नई दिल्ली/टीम डिजिटल। बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराधों की घटनाएं समाज को शर्मसार करती हैं। इस तरह के मामलों की बढ़ती संख्या देखकर सरकार ने वर्ष 2012 में एक विशेष कानून बनाया था POCSO।
इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध में अलग-अलग सजा का प्रावधान है इस कानून के तहत चारा वो मामले आते हैं जिसमें बच्चे के साथ कुकर्म या फिर दुष्कर्म (Sexual Offences) किया गया हो। इस अधिनियम में सात साल की सजा से लेकर उम्रकैद तक का प्रावधान है साथ ही साथ जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों के मामलों में मौत की सजा के प्रावधान को शामिल करने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल (Union Cabinet) ने यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण के कुछ वर्गों (POCSO) अधिनियम, 2012 में संशोधन किया है। प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल आफेंस 2012 यानी पॉक्सो एक्ट में बदलाव का प्रस्ताव सिंतबर में पीएमओ के साथ हुई बैठक करने बाद के बाद महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय ने प्रस्तावित किया था। इसमें सेक्शन 12 की उपधारा एक से तीन तक बदलाव का किया गया है।
2016 के राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (National Crime Records Bureau) (NCRB) के आंकड़ों की माने तो, पिछले साल जारी किया गया डेटा मे 94.65 प्रतिशत मामलों में बच्चों पर यौन हमले और शोषण (Sexual assaults) शामिल है।
1.इस नियम के तहत 18 साल से कम किसी भी मासूम के साथ अगर दुष्कर्म होता है तो वह पॉक्सो एक्ट के अंदर आता है। और तुरंत गिरफ्तारी का प्रावधान है। इसके अलावा अधिनियम की धारा 11 के साथ यौन शोषण को भी परिभाषित किया जाता है।
2. बच्चों से जुड़े पोर्न यानी Child Pornography पर रोक लगाने के लिए फाइन लगाने और जेल भेजने का भी संशोधन इस कानून में किया जाएगा
3.यदि कोई भी व्यक्ति अगर किसी बच्चे को गलत नीयत से छूता है या फिर उसके साथ गलत हरकतें करने का प्रयास करता है या उसे पॉर्नोग्राफी दिखाता है तो उसे धारा 11 के तहत दोषी माना जाएगा। जिसके तहत दोषी को तीन साल तक की सजा हो सकती है।
4.इस अधिनियम में बच्चे की मेडिकल जांच के लिए प्रावधान भी किए गए हैं। मेडिकल जांच बच्चे के माता-पिता या किसी अन्य व्यक्ति की उपस्थिति में किया जाना चाहिए और बच्ची की मेडिकल जांच महिला चिकित्सक द्वारा ही की जानी चाहिए।
5.स्कूलों में बच्चों से होने वाले यौन शोषण के मामले दबाने वाले शिक्षकों को छह माह से एक साल तक की जेल होगी।
6.स्कूलों में मामलों की शिकायत करने के लिए चाइल्ड टोल फ्री नंबर 1098 के बारे में बताया जाय। नेशनल कमीशन आफ प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट की वेबसाइट पर जाकर ई बाक्स लिंक में भी शिकायत करने की बच्चों को जानकारी दी जाए।
7.अधिनियम में यह भी कहा गया है कि बच्चे के यौन शोषण का मामला घटना घटने की तारीख से एक वर्ष के भीतर निपटाया जाना चाहिए।
सरकार ने यह भी बताया है कि इससे क्या फायदा होगा? इससे सरकार बच्चों के खिलाफ यौन हिंसा में कमी लाने में सफल हो सकती है, क्योंकि कड़े कानूनों से अपराधियों के हौसले पस्त होंगे। सरकार का यह भी कहना है कि कानून में इस संशोधन से यौन अपराध और उसमें मिलने वाली सजा के बारे में स्थिति थोड़ी साफ़ होगी। इसके पहले भी देश में होने आले यौन अपराधों में मौत की सजा देने की मांग उठती रहीती है लेकिन अक्सर 'रेयरेस्ट ऑफ़ रेयर' केसों में फांसी दी मिलती है।
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