Thursday, Jun 01, 2023
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debt ridden telecom company vodafone idea board approves raising up to rs 14500 crore rkdsnt

वोडाफोन आइडिया के डायरेक्टर बोर्ड ने दी 14,500 करोड़ रुपये तक जुटाने के लिए मंजूरी

  • Updated on 3/3/2022

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। कर्ज में डूबी दूरसंचार कंपनी वोडाफोन आइडिया लिमिटेड (वीआईएल) ने बृहस्पतिवार को कहा कि उसके निदेशक मंडल ने प्रवर्तक संस्थाओं से 4,500 करोड़ रुपये सहित कुल 14,500 करोड़ रुपये तक जुटाने को मंजूरी दी है। इक्विटी की बिक्री, या एडीआर (अमेरिकन डिपोजिटरी रिसीट), जीडीआर (ग्लोबल डिपोजिटरी रिसीट) और एफसीसीबी (विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांड) जैसे ऋण साधनों के माध्यम से 10,000 करोड़ रुपये की राशि जुटाई जाएगी। 

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कंपनी ने शेयर बाजार को बताया कि बोर्ड ने 10 रुपये अंकित मूल्य वाले 338.3 करोड़ इक्विटी शेयरों को 13.30 रुपये प्रति इक्विटी शेयर के भाव पर जारी करने की मंजूरी दी, जिससे कुल 4,500 करोड़ रुपये तक जुटाए जाएंगे। वीआईएल ने बताया कि ये शेयर यूरो पैसिफिक सिक्योरिटीज लिमिटेड और प्राइम मेटल्स लिमिटेड (वोडाफोन समूह की इकाइयां और कंपनी के प्रवर्तक) और ओरियाना इंवेस्टमेंट््स प्राइवेट लिमिटेड (आदित्य बिड़ला समूह की इकाई) को तरजीही आधार पर जारी किए जाएंगे। 

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इसके अलावा बोर्ड ने इक्विटी शेयरों या इक्विटी शेयरों में परिवर्तनीय प्रतिभूतियों को जारी करके और अन्य ऋण साधनों के जरिए 10,000 करोड़ रुपये तक जुटाने को मंजूरी दी है। कंपनी वैश्विक जीडीआर, एडीआर, विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बॉंड, परिवर्तनीय ऋणपत्र और वारंट, गैर-परिवर्तनीय ऋणपत्र और वारंट के जरिए राशि जुटाने पर भी विचार करेगी। यह राशि एक या अधिक चरणों में जुटाई जाएगी।      

कोर्ट ने लूप टेलीकॉम की याचिका खारिज की

उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को ‘लूप टेलीकॉम’ को ‘‘धोखाधड़ी का संघ’’ और ‘पहले आओ-पहले पाओ’ की नीति की ‘‘लाभार्थी’’ करार दिया। न्यायालय ने कहा कि यह नीति ‘‘बोली लगाने वाले निजी सहयोगियों के एक समूह की सरकारी कोष का नुकसान कर मदद करने के लिए बनाई गई थी। उच्चतम न्यायालय ने 2जी लाइसेंस के लिए ‘लूप टेलीकॉम’ द्वारा दिए गए 1,454 करोड़ रुपए वापस किए जाने और लाइसेंस रद्द होने के बाद उसकी प्रतिष्ठा को हुए नुकसान की क्षतिपूॢत के लिए 1,000 करोड़ रुपए दिए जाने के अनुरोध संबंधी याचिका खारिज कर दी। न्यायालय ने कहा कि आपराधिक मामले में प्रवर्तकों के बरी होने से उसके ये निष्कर्ष ‘‘मिट’’ नहीं जाते कि लाइसेंस देने की प्रक्रिया ‘‘मनमानी और संवैधानिक रूप से कमजोर’’ थी।

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न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि आपराधिक मामले में कंपनी के प्रवर्तकों के बरी हो जाने से 2जी स्पेक्ट्रम की मंजूरी 2012 में रद्द करने के दौरान शीर्ष अदालत के दिए गए ‘‘निष्कर्ष मिट नहीं’’ जाते।    पीठ ने अपने 71 पृष्ठ के विस्तृत फैसले में कहा कि प्राकृतिक संसाधनों के आवंटन के लिए एक खुली और पारदर्शी बोली प्रक्रिया की आवश्यकता को एक ऐसी प्रक्रिया द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था जिसे चयनित बोलीदाताओं के समूह पर गैरकानूनी लाभ प्रदान करने के लिए तैयार किया गया था, जिससे लूप टेलीकॉम को लाभ हुआ।        उच्चतम न्यायालय ने 2जी स्पैक्ट्रम की मंजूरी रद्द करने का आदेश याचिकाओं के एक समूह की सुनवाई के दौरान सुनाया था। इनमें से एक याचिका गैर सरकार संगठन (एनजीओ) ‘सेंटर ऑफ पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन’ (सीपीआईएल) ने दायर की थी।     

 

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