Thursday, Jun 01, 2023
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declaration of emergency in sri lanka troubled by economic crisis, protesters enter pmo

आर्थिक संकट से बेहाल श्रीलंका में आपातकाल का ऐलान, प्रदर्शनकारी PMO में घुसे

  • Updated on 7/13/2022

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में उग्र प्रदर्शनकारियों ने बुधवार को प्रधानमंत्री कार्यालय पर धावा बोल दिया, वहीं देश में आपातकाल की घोषणा कर दी गयी। इससे कुछ घंटे पहले राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे देश के भयावह आर्थिक संकट के बीच सेना के विमान से मालदीव चले गये। बुधवार को इस्तीफा देने का वादा करने वाले 73 वर्षीय राजपक्षे ने देश छोड़कर जाने के कुछ घंटे बाद प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त किया और इस तरह देश में राजनीतिक संकट गहरा गया तथा नये सिरे से विरोध प्रदर्शन शुरू हो गये। श्रीलंका की संसद के अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवद्र्धने ने कहा कि राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने उन्हें टेलीफोन पर सूचित किया है कि वह वादे के अनुसार आज इस्तीफा दे देंगे। उन्होंने कहा कि नये राष्ट्रपति के लिए मतदान 20 जुलाई को होगा। उन्होंने नागरिकों से शांति बरतने की अपील की। 

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विक्रमसिंघे ने टेलीविजन पर जारी विशेष बयान में देशभर में आपातकाल की घोषणा की और शहर में तथा आसपास के क्षेत्रों में कफ्र्यू भी लगा दिया।उन्होंने कहा, ‘‘हमें लोकतंत्र पर मंडरा रहे इस फासीवादी खतरे को समाप्त करना चाहिए। हम सरकारी संपत्ति को बर्बाद नहीं होने दे सकते। राष्ट्रपति कार्यालय, राष्ट्रपति सचिवालय और प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास में उचित सुरक्षा बहाल होनी चाहिए।’’  उन्होंने कहा, ‘‘मेरे कार्यालय में मौजूद लोग कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में जिम्मेदारी अदा करने से मुझे रोकना चाहते हैं। हम उन्हें अपने संविधान को नुकसान नहीं पहुंचाने दे सकते। कुछ मुख्यधारा के राजनेता भी इन उग्रवादियों का समर्थन करते प्रतीत होते हैं। इसलिए मैंने राष्ट्रव्यापी आपातकाल और कर्फ्यू की घोषणा की है।’’  उन्होंने कहा कि उनके दफ्तर में प्रदर्शनकारियों के धावा बोलने के बाद वह कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में पश्चिमी प्रांत में आपातकाल और कफ्र्यू की घोषणा कर रहे हैं।     कार्यवाहक राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने सैन्य कमांडरों और पुलिस प्रमुख को आदेश दिया है कि व्यवस्था बहाल करने के लिए जो कुछ जरूरी है, किया जाए। विक्रमसिंघे ने कहा कि उन्होंने सुरक्षा बलों को हालात सामान्य करने के लिए आपातकाल और कफ्र्यू लगाने का निर्देश दिया है। सशस्त्र बलों के प्रमुखों की एक समिति को यह काम करने की जिम्मेदारी दी गयी है जिसमें राजनीतिक हस्तक्षेप बिल्कुल नहीं होगा।   

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 हालांकि इस घटनाक्रम से सरकार विरोधी प्रदर्शनकारी और उग्र हो गये हैं जो देश में अर्थव्यवस्था की खराब स्थिति को लेकर राष्ट्रपति तथा प्रधानमंत्री दोनों का इस्तीफा चाहते हैं।  हजारों प्रदर्शनकारियों ने आज आपातकाल को धता बताते हुए और लंका के झंडे लहराते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय का घेराव किया। पुलिस ने अवरोधक तोड़कर प्रधानमंत्री कार्यालय में घुसने वाले प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले छोड़े। विक्रमसिंघे ने कहा कि वह खुफिया सेवाओं को मिली जानकारी से हतप्रभ हैं। उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रपति के देश छोड़कर जाने और नये राष्ट्रपति के चुनाव के लिए कदम उठाये जाने के बावजूद कुछ प्रदर्शनकारी समूहों ने प्रधानमंत्री कार्यालय पर कब्जे की योजना बनाई और राष्ट्रपति को मालदीव जाने के लिए वायु सेना का विमान उपलब्ध कराने पर वायु सेना के कमांडर के आवास को घेर लिया। उन्होंने नौसेना के कमांडर और सैन्य कमांडर के आवास को भी घेरने का फैसला किया। इन समूहों ने देश को अपने नियंत्रण में लेने की कोशिश की।’’      विक्रमसिंघे ने कहा, ‘‘उसी समय, उन्होंने संसद को भी घेरने की योजना बनाई थी। ये समूह अब प्रधानमंत्री के कार्यालय के आसपास प्रदर्शन कर रहे हैं। उनके यहां आने की कोई वजह नहीं है। वे मुझे कार्यवाहक राष्ट्रपति बनने से रोकना चाहते हैं, मुझे नये राष्ट्रपति के चुनाव के लिए संसद अध्यक्ष के साथ काम करने से रोकना चाहते हैं। वे अपना खुद का उम्मीदवार नियुक्त होते देखना चाहते हैं।’’     

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उन्होंने कहा कि सभी फैसलों में संविधान का पालन किया जाएगा। संकटग्रस्त श्रीलंका में राजनीतिक उथल-पुथल और आॢथक संकट के बीच देश के सरकारी टेलीविजन चैनल ‘रूपवाहिनी’ ने बुधवार को प्रसारण कुछ समय के लिए निलंबित कर दिया क्योंकि प्रदर्शनकारियों ने इसकी इमारत पर धावा बोल दिया। इसके एक घंटे से भी कम समय बाद एक दूसरे सरकारी टेलीविजन चैनल का प्रसारण भी रोक दिया गया। श्रीलंका की वायु सेना ने एक संक्षिप्त बयान में बताया कि 73 वर्षीय राजपक्षे अपनी पत्नी और दो सुरक्षा अधिकारियों के साथ सेना के एक विमान में देश छोड़कर चले गए हैं। उसने कहा कि रक्षा मंत्रालय की पूर्ण स्वीकृति के साथ यह किया गया। राष्ट्रपति रहते हुए अभियोजन से छूट प्राप्त 73 वर्षीय राजपक्षे नयी सरकार द्वारा संभावित गिरफ्तारी से बचने के लिए अपनी पत्नी और दो सुरक्षा अधिकारियों के साथ मालदीव रवाना हो गये।      सूत्रों के मुताबिक श्रीलंका से राजपक्षे के मालदीव जाने के विषय पर बातचीत मालदीव की संसद के अध्यक्ष और पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने की थी।    

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 मालदीव सरकार की दलील है कि राजपक्षे अब भी श्रीलंका के राष्ट्रपति हैं और उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया है या अपने अधिकार किसी उत्तराधिकारी को नहीं सौंपे हैं। सूत्रों ने कहा कि इसलिए यदि राजपक्षे मालदीव की यात्रा करना चाहते हैं तो इससे इनकार नहीं किया जा सकता था।     मालदीव सरकार ने अभी तक राजपक्षे की अपने यहां मौजूदगी पर आधिकारिक बयान नहीं दिया है।      हालांकि मालदीव्स नेशनल पार्टी (एमएनपी) ने श्रीलंका के राष्ट्रपति को मालदीव की यात्रा पर आने की अनुमति देने के यहां की सरकार के फैसले पर अप्रसन्नता जताई और कहा कि वह इस बाबत प्रस्ताव रखकर सरकार से स्पष्टीकरण मांगेगी। एमएनपी नेता और मालदीव की पूर्व विदेश मंत्री दुन्या मौमून ने कहा कि यह बहुत निराशाजनक है कि मालदीव सरकार श्रीलंका की जनता की भावनाओं का ध्यान नहीं रखती। मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम की बेटी मौमून ने कहा, ‘‘मेरी पार्टी संसद (पीपल्स मजलिस) में प्रस्ताव रखेगी और इस मामले में सरकार से स्पष्टीकरण की मांग करेगी।’’  मालदीव के संसद सचिवालय के संचार निदेशक हसन जियाऊ ने कहा कि संसद को इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है। टीवी समाचार चैनलों पर प्रसारित खबरों के अनुसार, राजपक्षे के साथ 13 लोग मालदीव गए हैं। वे एएन32 विमान से मालदीव पहुंचे।   

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 मालदीव में सूत्रों के हवाले से ‘डेली मिरर’ ने एक रिपोर्ट में कहा कि राजपक्षे बुधवार रात तक सिंगापुर रवाना हो सकते हैं। श्रीलंका के ‘द मॉॢनंग’ समाचार पोर्टल की खबर में सरकार में उच्च पदस्थ सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि राजपक्षे बुधवार शाम तक अंतिम गंतव्य देश में पहुंचने के बाद अपना इस्तीफा भेज सकते हैं।  इस बीच पूर्व राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरिसेना ने आगाह किया कि ‘‘सत्ता के लिए भूखा’’ एक समूह धीरे-धीरे देश को तबाह कर रहा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति और कार्यवाहक राष्ट्रपति के पास जनादेश नहीं है इसलिए उनके निर्देशों को लागू करने से पहले दो बार सोचा जाना चाहिए। सिरिसेना ने एक बयान में कहा कि सशस्त्र बलों की जिम्मेदारी है कि वे संघर्ष कर रहे लोगों की सुरक्षा करें।नेता प्रतिपक्ष सजित प्रेमदास ने ट्वीट कर कहा, ‘‘एक सीट वाले सांसद को प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाता है। अब उसी व्यक्ति को कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में नियुक्त गया है। यह लोकतंत्र की राजपक्षे शैली है। क्या तमाशा है। क्या त्रासदी है।’’     

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बुधवार को ही श्रीलंका में भारतीय उच्चायोग ने इन खबरों को निराधार बताकर पूरी तरह खारिज कर दिया कि उसने राजपक्षे के मालदीव जाने में मदद की। भारतीय मिशन ने कहा, ‘‘यह दोहराया जाता है कि भारत लोकतांत्रिक माध्यमों और मूल्यों, स्थापित लोकतांत्रिक संस्थानों और संवैधानिक रूपरेखा के जरिए समृद्धि एवं प्रगति की आकांक्षाओं को पूरा करने में श्रीलंका के लोगों का सहयोग करता रहेगा।’’ वहीं, राजपक्षे के देश छोडऩे की खबरें आने के बाद उत्साहित भीड़ सिंहली भाषा में ‘‘संघर्ष की जीत’’ और ‘‘गो होम गोटा’’ के नारे लगाते हुए गाले फेस ग्रीन में एकत्रित हो गयी। बीबीसी ने सूत्रों के हवाले से खबर दी कि राजपक्षे के छोटे भाई और पूर्व वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे भी देश छोड़कर चले गए हैं।      इससे पहले सोमवार की रात राजपक्षे और उनके भाई बासिल ने परिवार के खिलाफ बढ़ते जनाक्रोश के बीच देश छोडऩे की कोशिश की, लेकिन उन्हें हवाई अड्डे से लौटना पड़ा।    गौरतलब है कि 2.2 करोड़ की आबादी वाला देश सात दशकों में सबसे खराब आॢथक संकट से जूझ रहा है, जिसके कारण लोग खाद्य पदार्थ, दवा, ईंधन और अन्य जरूरी वस्तुएं खरीदने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। 


 

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