नई दिल्ली/टीम डिजिटल। सुनंदा पुष्कर मौत मामले में दिल्ली कोर्ट ने कांग्रेस नेता शशि थरूर को सभी आरोपों से बरी कर दिया है। साढ़े सात साल चली लंबी लड़ाई के बाद थरूर को ये बड़ी राहत मिली है। शशि थरूर के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा का कहना है कि यह 7 साल की लंबी लड़ाई थी। अंतत: न्याय की जीत हुई है। उन्हें शुरू से ही न्याय व्यवस्था में विश्वास था। पुलिस द्वारा आत्महत्या के लिए उकसाने और क्रूरता के लिए लगाए गए आरोप बेतुके थे।
It was a long battle of 7 yrs. Ultimately justice has prevailed. He had faith in the judicial system right from the beginning. The charges levelled by the police for abetment to suicide & cruelty were absurd & preposterous: Senior advocate Vikas Pahwa, counsel for Shashi Tharoor — ANI (@ANI) August 18, 2021
It was a long battle of 7 yrs. Ultimately justice has prevailed. He had faith in the judicial system right from the beginning. The charges levelled by the police for abetment to suicide & cruelty were absurd & preposterous: Senior advocate Vikas Pahwa, counsel for Shashi Tharoor
बता दें कि दिल्ली की एक अदालत ने जुलाई माह में कांग्रेस नेता शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत से संबंधित मामले में थरूर के खिलाफ मुकदमा चलाने या न चलाने पर आदेश को तीन सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया था। पुष्कर 17 जनवरी 2014 की रात दिल्ली के एक लग्जरी होटल के कमरे में मृत पाई गई थीं। पुष्कर और थरूर होटल में ठहरे हुए थे, क्योंकि उस समय थरूर के आधिकारिक बंगले का नवीनीकरण किया जा रहा था।
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दस्तावेज दाखिल करने के लिए टली थी 18 अगस्त तक सुनवाई विशेष न्यायाधीश गीतांजलि गोयल थरूर के खिलाफ आरोप तय करने पर आदेश सुनाने वाली थीं। उन्होंने अभियोजन पक्ष को कुछ दस्तावेज दाखिल करने की अनुमति देते हुए मामले की सुनवाई को 18 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दिया था। दस्तावेजों में लिखित टिप्पणियों के साथ-साथ सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के विभिन्न निर्णयों के साथ-साथ लिखित दलीलें शामिल हैं।
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विकास पहावना ने कोर्ट में दी थी ये दलील सुनवाई के दौरान थरूर की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा ने अदालत को बताया था कि एसआईटी द्वारा की गई जांच में थरूर को पूरी तरह आरोपमुक्त करार दिया गया था। पाहवा ने मामले में थरूर को आरोपमुक्त करने की अपील करते हुए कहा कि उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 498ए या 306 के तहत दंडनीय अपराध साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं है। थरूर पर दिल्ली पुलिस द्वारा भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए और 306 के तहत आरोप लगाए गए थे, लेकिन इस मामले में उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया था। उन्हें 5 जुलाई 2018 को जमानत दे दी गई थी।
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