Friday, Jun 02, 2023
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CBSE बोर्ड परीक्षा की फीस माफ करने पर 2 हफ्ते में फैसला ले केजरीवाल सरकार- HC

  • Updated on 10/1/2020

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। सीबीएसई बोर्ड (CBSE Board) के 10वीं और 12वीं के 30 लाख बच्चों के एग्जाम फीस (Exam Fees) माफ करने से जुड़ी जनहित याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने सरकार को 2 हफ्ते में विचार करने के निर्देश दिए हैं। देशभर में सीबीएसई के एग्जाम फीस को माफ करने को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने रिप्रेजेंटेशन के तौर पर लेने के लिए दिल्ली और केंद्र सरकार को निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि वह इस याचिका पर 2 हफ्ते में कोई फैसला ले ले।

सीबीएसई के 10वीं और 12वीं के छात्रों के लिए एग्जाम फीस को जमा करने की आखिरी तारीख 15 अक्टूबर तय की गई है। दिल्ली हाईकोर्ट की डबल बेंच में याचिका पर हुई सुनवाई के दौरान सोशल जूरिस्ट की तरफ से पेश हुए वकील अशोक अग्रवाल ने कहा कि प्राइवेट स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ा रहे अभिभावकों की स्थिति इतनी खराब है कि वह बच्चों की फीस भरने में असमर्थ हैं।

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दिल्ली सरकार ने फीस के लिए केंद्र से मांगे 100 करोड़
दिल्ली सरकार ने मंगलवार को अपना पक्ष रखते हुए अदालत से कहा कि उन्होंने केंद्र सरकार से तकरीबन 100 करोड रुपए की राशि मांगी है, ताकि छात्रों की एग्जाम फीस माफ किया जा सके। लेकिन केंद्र सरकार की तरफ से अभी उन्हें कोई जवाब नहीं मिला है।

जनहित याचिका में बताया गया है कि कक्षा दसवीं के छात्रों से इस साल सीबीएसई एग्जाम फीस 1500 से बढ़ाकर 1800 रुपए मांगी जा रही है, जबकि 12वीं के छात्रों से 1500 से बढ़ाकर 25100 मांगी जा रही है। जनहित याचिका लगाने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने बताया कि 2 साल पहले सीबीएसई एग्जाम फीस को 300 से बढ़ाकर 500 कर दिया था। पिछले साल भी सीबीएसई एग्जाम फीस को ₹500 से 3 गुना बढ़ाकर 1500 कर दिया था। 

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CBSE पर खड़े किए गए सवाल
ऐसे में याचिका में सीबीएससी पर सवाल खड़ा किया गया है कि एग्जाम फीस जब पिछले साल तीन गुना बढ़ा दी गई है तो इस साल कोरोना और लॉकडाउन में फीस बढ़ाना कैसे तर्कसंगत है? याचिका में बताया गया है कि प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने वाले अभिभावकों की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि वह दैनिक खर्च भी नहीं उठा पा रहे हैं। अलग-अलग जगहों से वकील अशोक अग्रवाल को अभिभावकों की ओर से पत्र लिखे गए हैं। 

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