नई दिल्ली/टीम डिजिटल। दिल्ली हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव अंशु प्रकाश द्वारा अपने खिलाफ विशेषाधिकार हनन की नई कार्यवाही को चुनौती देने वाली याचिका पर बुधवार को केंद्र, आम आदमी पार्टी सरकार और दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष कार्यालय से जवाब मांगा। जस्टिस विभू बखरू ने इस संबंध में नोटिस जारी किया, लेकिन कोई अंतरिम आदेश जारी करने से इंकार कर दिया।
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इससे पहले दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा ने कहा कि नौकरशाह के खिलाफ अभी कुछ नहीं हो रहा है और उनकी याचिका समयपूर्व है। मेहरा ने कहा कि इस याचिका पर 27 नवंबर को प्रकाश की एक अन्य याचिका के साथ सुनवाई की जाए। उस याचिका में प्रकाश ने अपने खिलाफ जारी एक अन्य विशेषाधिकार हनन कार्यवाही को चुनौती दी है।
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प्रकाश की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा और वकील विवेक चिब ने अदालत से अनुरोध किया कि दो नई कार्यवाही रोक लगाते हुए अंतरिम आदेश पारित किया जाए। अदालत से यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया कि विशेषाधिकार समिति द्वारा उनकी उपस्थिति पर जोर नहीं दिया जाए। कोर्ट ने कोई अंतरिम निर्देश जारी नहीं किया और इस मामले को 27 नवंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया। अदालत ने कहा कि अब तक नौकरशाह के खिलाफ कुछ भी नहीं हुआ है और अगर कुछ भी होता है तो वह अदालत से संपर्क कर सकते हैं।
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प्रकाश ने वकील आसिफ अहमद और रुचिरा गोयल के जरिए दायर अपनी याचिका में अनुरोध किया कि प्रश्न और संदर्भ समिति (क्यूआरसी) और विधानसभा की प्रोटोकॉल समिति की शिकायतों पर उनके खिलाफ शुरू की गई विशेषाधिकार कार्यवाही के दो नए मामलों को रद्द किया जाए। संक्षिप्त सुनवाई के दौरान, लूथरा ने तर्क दिया कि दोनों समितियों के कुछ सदस्य जिन्होंने उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है, वे भी विशेषाधिकार समिति का हिस्सा हैं और यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है।
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