नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। दिल्ली उच्च न्यायालय ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया की उस याचिका पर दिल्ली पुलिस से जवाब तलब किया है जिसमें विश्वविद्यालय ने आरोप लगाया है कि बार-बार आग्रह करने के बावजूद पुलिस ने जामिया की जमीन पर से अतिक्रमण हटाने के लिए उसे मदद उपलब्ध नहीं कराई। जस्टिस नवीन चावला ने जामिया की याचिका पर दिल्ली पुलिस और अतिक्रमण करने वालों को नोटिस जारी किया है।
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दिल्ली सरकार के अतिरिक्त स्थायी अधिवक्ता सत्यकम ने पुलिस की ओर से नोटिस स्वीकार किया। जामिया ने अपनी याचिका में कहा है कि संपदा अधिकारी ने 2002 में जामिया स्टाफ क्वार्टर के पास जमीन पर से अवैध कब्जा हटाने के लिए आदेश पारित किया था।
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संपदा अधिकारी के आदेश को 2007 में एक जिला अदालत और जुलाई 2012 में दिल्ली उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश ने बरकरार रखा था और सितंबर 2012 में उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने भी आदेश की पुष्टि की कर दी थी। याचिका में दावा किया गया है कि इसके बाद जामिया ने बार-बार जमीन खाली करने के लिए अतिक्रमण करने वालों से अनुरोध किया लेकिन जब वे नहीं माने तो विश्वविद्यालय ने पुलिस से कई बार मदद मांगी। पिछले बार जुलाई में मदद मांगी गई थी।
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उसमें कहा गया है कि पुलिस ने कथित रूप से मदद मुहैया नहीं कराई जिसके बाद विश्वविद्यालय ने उच्च न्यायालय का रुख किया और अवैध कब्जे को हटाने के लिए पुलिस उपलब्ध कराने के वास्ते एजेंसी को निर्देश देने का उससे अनुरोध किया।
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