नई दिल्ली/टीम डिजिटल। दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को भाजपा नेता राजीव बब्बर से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और अन्य आप नेताओं की ओर से दायर उस अर्जी पर जवाब दाखिल करने को कहा जिसमें उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में मतदाता सूची से मतदाताओं के नाम हटाने के संबंध में कथित टिप्पणी को लेकर दायर एक मानहानि मामले में उन्हें जारी समन को चुनौती दी है।
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जस्टिस अनु मल्होत्रा ने कहा कि जवाब अगली सुनवायी की तिथि से पहले दायर किया जाए और मामले की अगली सुनवायी की तिथि 23 नवम्बर तय की। उच्च न्यायालय ने गत 28 फरवरी को निचली अदालत में मानहानि मामले की सुनवायी पर रोक लगा दी थी और दिल्ली सरकार एवं बब्बर को नोटिस जारी किया था और उनसे 23 अप्रैल तक जवाब मांगे थे। बब्बर ने ही पार्टी की दिल्ली इकाई की ओर से एक मानहानि शिकायत दायर की थी।
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हालांकि मामले पर सुनवायी कोविड-19 महामारी के चलते अदालत में नहीं हो सकी थी। केजरीवाल और आप नेताओं का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा और अधिवक्ता आर ए अय्यर द्वारा किया गया जबकि बब्बर का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता अजय दिगपौल द्वारा किया गया जिन्होंने कहा कि वह एक जवाब दाखिल करेंगे क्योंकि कुछ तथ्यों को अदालत के संज्ञान में लाने की जरूरत है। सोमवार को उच्च न्यायालय ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के निर्देश के मद्देनजर मामले की सुनवायी तेजी से की जानी है।
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गत 16 सितम्बर को उच्चतम न्यायालय ने एक आदेश पारित करके सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों से उन सभी आपराधिक मामलों को एक उपयुक्त पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने को कहा था जिसमें वर्तमान एवं पूर्व जनप्रतिनिध शामिल हैं और जिनमें स्थगन प्रदान किया गया है। उच्च न्यायालय के समक्ष वर्तमान मामले में केजरीवाल और तीन अन्य-आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार गुप्ता और पार्टी नेताओं मनोज कुमार एवं आतिशी मार्लेना-ने उस सत्र अदालत के आदेश को चुनौती दी है जिसने एक मजिस्ट्रेट अदालत के निर्णय को बरकरार रखा था। मजिस्ट्रेट अदालत ने इन आप नेताओं को शिकायत में आरोपी के तौर पर समन करने का फैसला दिया था।
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आप नेताओं ने मजिस्ट्रेट अदालत के 15 मार्च, 2019 और सत्र अदालत के इस वर्ष 28 जनवरी के आदेशों को रद्द करने का अनुरोध किया है। बब्बर ने अपनी शिकायत में आप नेताओं के खिलाफ इसके लिए मामला चलाने का अनुरोध किया कि उन्होंने यहां मतदाता सूची से नाम हटाने के लिए भाजपा पर आरोप लगाकर पार्टी की साख को ‘‘नुकसान’’ पहुंचाया।
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बब्बर ने दावा किया था कि आप नेताओं ने दिसम्बर 2018 में एक संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया थ कि भाजपा के निर्देश पर चुनाव आयोग ने बनिया, पूर्वांचली और मुस्लिम समुदाय के 30 लाख मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटा दिये। केजरीवाल और अन्य ने दावा किया कि निचली अदालत यह समझने में असफल रही कि उनके खिलाफ मानहानि या अन्य कोई अपराध नहीं बनता।
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