Friday, Jun 09, 2023
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dhankhar statement is part game role of confrontation between government judiciary: congress

सरकार और न्यायपालिका के बीच टकराव की भूमिका तैयार करने के खेल का हिस्सा है धनखड़ का बयान: कांग्रेस

  • Updated on 1/13/2023

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। कांग्रेस ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ द्वारा न्यायपालिका की परोक्ष रूप से आलोचना किए जाने को लेकर शुक्रवार को उन पर फिर निशाना साधा और दावा किया कि एक उच्च संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति का एक संवैधानिक संस्था पर हमला करना न्यायपालिका और सरकार के बीच टकराव की भूमिका तैयार करने के खेल का हिस्सा है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने पूर्व उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू के उस कथन का हवाला भी दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘‘संविधान सर्वोच्च है।''

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रमेश ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह स्पष्ट रूप से सरकार और न्यायपालिका के बीच टकराव की भूमिका तैयार करना है। अलग-अलग आवाजें उठाई जा रही हैं। प्रतिबद्ध न्यायपालिका होना अलग बात है, लेकिन यहां मकसद तो न्यायपालिका को अपने कब्जे में लेने का है। मुझे लगता है कि लोकतंत्र खतरे में है। यह टकराव पैदा करने के खेल का हिस्सा है।'' उन्होंने यह भी कहा, ‘‘केशवानंद भारती मामले के फैसले को करीब 50 साल हो चुके हैं। हमने अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी और अरुण जेटली को इस फैसले की तारीफ करते सुना...अब एक संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति दूसरी संवैधानिक संस्था पर हमला कर कर रहा है। यह अभूतपूर्व स्थिति है।''

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इससे पहले, रमेश ने ट्वीट किया, '' पी चिदंबरम जी ने न्यायपालिका पर उपराष्ट्रपति के हमले का यह कहते हुए सही प्रतिवाद किया है कि संसद नहीं, संविधान सर्वोच्च है। एक साल पहले, धनखड़ जी से पूर्व उपराष्ट्रपति रहे वेंकैया नायडू ने वही बात की थी, जो चिदंबरम जी ने की है।" उन्होंने नायडू के कथन से जुड़ी पीआईबी की एक विज्ञप्ति भी साझा की। 25 नवंबर, 2020 की इस विज्ञप्ति के मुताबिक, राज्यसभा के तत्कालीन सभापति नायडू ने कहा था कि "राज्य के तीनों अंगों में से कोई भी सर्वोच्च होने का दावा नहीं कर सकता है, क्योंकि केवल संविधान सर्वोच्च है और विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका संविधान में परिभाषित दायरे के भीतर काम करें।"

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पीआईबी की इस विज्ञप्ति में कहा गया है कि नायडू ने गुजरात के केवड़िया में पीठासीन अधिकारियों के 80वें अखिल भारतीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की थी। रमेश ने धनखड़ पर निशाना साधते हुए बृहस्पतिवार को कहा था कि राज्यसभा के सभापति का केशवानंद भारती मामले से जुड़े फैसले को ‘गलत' कहना न्यायपालिका पर अभूतपूर्व हमला है। उल्लेखनीय है कि धनखड़ ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) अधिनियम निरस्त किए जाने के मुद्दे पर बुधवार को कहा था कि संसद के बनाए कानून को किसी और संस्था द्वारा अमान्य किया जाना प्रजातंत्र के लिए ठीक नहीं है। उच्चतम न्यायालय द्वारा 2015 में एनजेएसी अधिनियम को निरस्त किए जाने को लेकर उन्होंने यह भी कहा था कि ‘‘दुनिया में ऐसा कहीं नहीं हुआ है।'' 

कोविड प्रोटोकॉल लागू क्यों नहीं हुआ: कांग्रेस 
कांग्रेस ने शुक्रवार को सरकार पर कोविड का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया और यह सवाल किया कि स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया द्वारा राहुल गांधी को पत्र लिखे 23 दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब तक कोरोना को लेकर कोई प्रोटोकॉल लागू क्यों नहीं किया गया। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं पूछना चाहता हूं कि 20 दिसंबर को स्वास्थ्य मंत्री ने धमकी भरा खत लिखा था। उस खत के बहाने ‘भारत जोड़ो यात्रा' को रोकने की कोशिश की गई थी। 23 दिन हो गए, लेकिन कोई प्रोटोकॉल लागू क्यों नहीं किया गया?'' 

उन्होंने दावा किया, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बिना मास्क लगाए जगह-जगह घूम रहे हैं, रैलियां संबोधित कर रहे हैं। 20 तारीख का पत्र एक राजनीतिक कदम था क्योंकि वह राजस्थान में ‘भारत जोड़ो यात्रा' की सफलता से बौखला गई थी।'' बाद में रमेश ने ट्वीट किया, ‘‘ये क्या मनसुख मांडविया? ‘भारत जोड़ो यात्रा' को भटकाने के लिए भाजपा सांसदों के पत्रों के आधार पर 20 दिसंबर को राहुल गांधी को लिखने के बाद आपने ओमीक्रॉन सब वैरिएंट बीएफ.7 से निपटने के लिए कोई प्रोटोकॉल जारी नहीं किया! मोदी सरकार कुछ गंभीर कार्य करने की बजाय कोविड का राजनीतिकरण कर रही है।'' 


 

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