नई दिल्ली/टीम डिजिटल। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने मंगलवार को सार्वजनिक क्षेत्र की ओएनजीसी और ऑयल इंडिया लि. (ओआईएल) को खोजे गये क्षेत्रों में उत्पादन शुरू नहीं होने को लेकर आगाह किया। उन्होंने कहा कि जो भी तेल और गैस क्षेत्र उनके पास हैं और जहां उत्पादन शुरू नहीं हुआ है, उसे क्षेत्र के विशेषज्ञों के साथ मिलकर संयुक्त उद्यम के जरिये पूर्ण रूप से उपयोग में लाने की जरूरत है। ऐसा नहीं होने पर सरकार इन क्षेखें को अपने नियंत्रण में लेकर नीलाम करेगी।
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बीएनईएफ शिखर सम्मेलन में उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां ऐसे समय जब देश तेल एवं गेस का शुद्ध रूप से आयातक है, कंपनियां संसाधनों को अनंतकाल तक अपने पास दबाये बैठी नहीं रह सकती। उन्होंने कहा कि भारत 1990 के दशक से निजी और अन्य कंपनियों के लिये तेल एवं गैस क्षेत्र की नीलामी कर रहा है। इसके बाद भी ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपारेशन (ओएनजीसी) और ओआईएल के पास कई साल से बड़ी संख्या में ऐसे क्षेत्र पड़े हैं। प्रधान ने कहा, ‘‘हमने उन्हें दो चीजें करने को कहा है। आप खुद से क्षेत्र के विशेषज्ञों और विदेशी कंपनियों के साथ संयुक्त उद्यम के जरिये और फिर नये व्यापार मॉडल के जरिये तेल एवं गैस का उत्पादन करें। पर इतना तय है कि सरकार आपको अनंत काल तक संसाधनों को रोके रखने की अनुमति नहीं दे सकती।’’
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देश के सभी आठ अवसादी बेसिन क्षेत्रों की खोज और उसे उत्पादन में लाने वाली ओएनजीसी और ओआईएल देश में उत्पादित कुल तेल एवं गैस का करीब तीन चौथाई उत्पादन करती है। इन दोनों कंपनियों खासकर ओएनजीसी को खोजे गये क्षेत्रों से उत्पादन नहीं कर पाने को लेकर आलोचनाओं को सामना करना पड़ा है। प्रधान ने कहा कि भारत को अपने महत्वकांक्षी आथिक वृद्धि एजेंडे के लिये ऊर्जा की जरूरत है। ‘‘हम आयात पर निर्भरता कम करना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि जो भी हमारे संसाधन हैं, उसका पूरा उपयोग हो।’’
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उन्होंने कहा, ‘‘इसीलिए हमने अपनी सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों को नीतिगत दिशानिर्देश दिया है। या तो आप अपने दम पर नये भागीदारों के जरिये या नये आॢथक मॉडल के आधार पर उत्पादन कीजिए, अन्यथा एक निश्चित समय बाद सरकार हस्तक्षेप करेगी और संसाधनों की नीलामी के लिये अपने अधिकार का उपयोग करेगी।’’ इससे पहले भी प्रधान ने कहा था कि पेट्रोलियम मंत्रालय की तकनीकी इकाई हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय (डीजीएच) को उन बड़े फील्डों की पहचान करने की जिम्मेदारी दी गयी है, जहां उत्पादन शुरू नहीं हो पाया है। उन्होंने 10 जून को कहा था, ‘‘संसाधन किसी कंपनी का नहीं होता। वह देश का होता है। कंपनियां अनंतकाल तक उसे लेकर बैठी नहीं रह सकती। अगर कोई वहां से उत्पादन नहीं करता है, हम उसे नई व्यवस्था में लाएंगे।’’
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