नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने ‘जय सियाराम' के नारे पर जोर देते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ बुधवार को निशाना साधा। सिंह ने इंदौर में संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा, ‘‘भाजपा, विश्व हिंदू परिषद और संघ से हमारी आपत्ति है कि वे सीता जी का अपमान क्यों करते हैं? ये सीता जी का अपमान करते हैं, इसलिए हम इनके ‘जय श्री राम' के नारे का विरोध करते हैं। हम ‘जय सियाराम' बोलते हैं…‘जय श्री राम' नहीं बोलते।''
उन्होंने कहा,‘‘हम राजनीति में धर्म का उपयोग चुनावों के लिए कभी नहीं करते। भगवान श्री राम हमारे आराध्य देव हैं। अयोध्या में बन रहे राम मंदिर के लिए हम लोगों ने चंदा दिया है।'' सिंह ने कहा कि उनके रहते वे लोग कांग्रेस में कभी वापसी नहीं कर सकेंगे जिनके पाला बदलकर भाजपा में जाने से 2020 में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की सरकार गिर गई थी।
गौरतलब है कि वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की सरपरस्ती में कांग्रेस के 22 बागी विधायकों के विधानसभा से त्यागपत्र देकर भाजपा में शामिल होने के कारण तत्कालीन कमलनाथ सरकार 20 मार्च 2020 को गिर गई थी। इसके बाद मौजूदा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा 23 मार्च 2020 को सूबे की सत्ता में लौट आई थी।
दिग्विजय सिंह ने इस पालाबदल के बाद भाजपा में गुटबाजी पनपने का दावा किया और कहा,‘‘एक व्यक्ति कह रहा था कि भाजपा अब तीन खेमों में बंट गई है-शिवराज भाजपा, महाराज भाजपा और नाराज भाजपा। भाजपा में यह स्थिति आज राज्य के हर हिस्से में देखने को मिल रही है।''
उन्होंने आरोप लगाया कि दमोह के एक निजी विद्यालय में छात्राओं की वर्दी से जुड़ा विवाद सत्तारूढ़ भाजपा ने इसलिए उत्पन्न किया ताकि उज्जैन में महाकाल लोक के निर्माण में हुए कथित भ्रष्टाचार से मीडिया का ध्यान हटाया जा सके। सिंह ने आरोप लगाया कि इंदौर के बेलेश्वर महादेव मंदिर हादसे के दो नामजद आरोपियों को भाजपा के स्थानीय लोकसभा सदस्य शंकर लालवानी के संरक्षण के कारण अब तक गिरफ्तार नहीं किया गया है।
गौरतलब है कि 30 मार्च को रामनवमी पर इस मंदिर में हुए हादसे में 36 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी। सिंह ने नोटबंदी को लेकर भी केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि आम लोगों के पास रहने वाले 500 और 1,000 रुपये के नोट 2016 में अचानक चलन से बाहर कर दिए गए, जबकि ‘‘काला धन रखने वाले'' अमीर लोगों और कॉर्पोरेट जगत के व्यक्तियों को कथित रूप से फायदा पहुंचाने के लिए 2,000 रुपये के नोट को वापस करने के लिए चार महीने की लम्बी मोहलत दी गई है।
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