नई दिल्ली। अनामिका सिंह। रेजिडेंट डॉक्टरों की देशव्यापी हडताल के चलते मरीजों को काफी परेशानियों का सामना पिछले कई दिनों से करना पड रहा है। दिल्ली के आरएमएल, लेडी हार्डिंग अस्पताल में रोते-बिलखते मरीज और उनके परिजन ईलाज के लिए भीख मांगते दिखाई दिए। कई ऐसे भी थे जो समय पर ईलाज नहीं मिलने की वजह से अपने प्यारों की मौत पर आंसू बहा रहे थे। ओमीक्रॉन के बढ़े केस, एम्स ने जारी की एडवाइजरी
प्रसव पीड़ा से तड़पती रही, नहीं किया भर्ती सुबह से दर्द में तड़प रही हूं, पहले डॉक्टरों ने कुछ समय इंतजार करने के लिए कहा और अब शाम होने पर बोल रहे हैं कि कहीं ओर चली जाओ। मुझे प्रसव पीड़ा हो रही है। मेरी ही नहीं बल्कि मेरे बच्चे की जान भी खतरे में है, पति भी साथ नहीं है बताइए कहां चली जाऊं। डॉक्टर यदि सुबह ही बता देते तो कम से कम प्राइवेट अस्पताल जाती या किसी से मदद लेती। उक्त बातें झंडेवालान से आई 20 वर्षीय गर्भवती महिला खुशबू ने बताई और दर्द से रोने लगी। खुशबू प्रसव पीड़ा से बोझिल हो गई थीं। उनका कहना था कि लंबे समय से उनका इलाज लेडी हार्डिंग अस्पताल में ही चल रहा है। अब जब प्रसव का समय आया और मुझे आशा वर्कर यहां लेकर आईं तो डॉक्टरों द्वारा भर्ती नहीं किया जा रहा है। मेरी हालत लगातार बिगड़ती जा रही है। वहीं उनके साथ आईं आशा वर्कर सुदर्शन ने कहा कि वो एमसीडी नायवाला गली में कार्यरत है और खुशबू को साथ लेकर लगातार डॉक्टरों से भर्ती करने की गुहार लगा रही हैं लेकिन हड़ताल की बात कह कर भर्ती नहीं किया जा रहा। सुबह से शाम हो गई है यदि ऐसे में मां-बच्चे को कुछ परेशानी हुई तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा।
रविवार से कर रहे थे इंतजार, सोमवार को भर्ती होने के बाद हुई मौत हमारे घर में जवान मौत हो गई है। रविवार से धक्के खा रहे हैं राम मनोहर लोहिया अस्पताल (आरएमएल) में कि किसी तरह हमारे मरीज को भर्ती कर लिया जाए। लेकिन बार-बार हड़ताल की बात कह कर भर्ती करने से मना कर दिया जाता था। सोमवार सुबह जब किसी तरह भर्ती करवाया भी गया तो कुछ समय बाद ही मेरे बहनोई की मौत हो गई। उक्त बातें नरेंद्र शर्मा ने बताई जो अपने बहनोई पटेल नगर निवासी 44 वर्षीय भूवन चंद को आरएमएल में भर्ती करवाने का प्रयास बीते दो दिनों से कर रहे थे। नरेंद्र शर्मा ने कहा कि इस हड़ताल के चलते हमारे घर का एक जवान आदमी चला गया। डॉक्टरों को तो भगवान कहते हैं लेकिन किसी ने समय पर भूवन को नहीं देखा। अगर उन्हें वक्त पर ईलाज मिल जाता तो वो आज हमारे बीच होते। वहीं उनके छोटे भाई शेखर ने कहा कि हमारे घर का बड़ा चला गया है। इस हड़ताल ने हमारे पूरे परिवार को बर्बाद करके रख दिया, ये तकलीफ जिंदगीभर नहीं भूल पाएंगे। अभी भी अस्पताल के बाहर बैठकर उनका इंतजार कर रहे हैं ताकि आखिरी दर्शन तो कर सकें। कल जब लेकर यहां आए, तो ये नहीं सोचा था कि उन्हें आखिरी बार देख रहे है।
बीमार पिता को लेकर ईलाज की गुहार लगाती रहीं बेटियां बस किसी तरह कोई हमारे पिता को भर्ती करवा दे तो आज वो हमारे लिए देवता बन जाएगा। सुबह से परेशान हैं पिता को लेकर। किसी तरह स्ट्रेचर तो मिला लेकिन ईलाज नहीं मिल पा रहा है। सुबह 11 बजे से धक्के खा रहे हैं लेकिन अस्पताल के अंदर सिक्यूरिटी गार्ड्स हड़ताल की बात कहकर जाने नहीं दे रहे। बोल रहे हैं डॉक्टरों की हड़ताल है, कोई देखने वाला नहीं है। उक्त बातें गीता कॉलोनी से अपने 70 वर्षीय पिता सुधीर कुमार को लेकर आरएमएल आईं उनकी तीन बेटियों में से सबसे बड़ी रजनी ने बताई। रजनी का कहना था कि वो सुबह 11 बजे से परेशान हो रही हैं। डॉक्टरों की कमी की बात कहकर उन्हें टाला जा रहा है। हमारे घर में कोई आदमी नहीं है। ऐसे में हम तीनों लड़कियां कहां पिताजी को लेकर जाएं। उन्हें होश नहीं आ रहा है। कल से सांस लेने में दिक्कत की बात कर रहे थे। शुगर की भी परेशानी है। इन डॉक्टरों की हड़ताल के चक्कर में ना जाने कितने इंसानों की जिंदगियां चली जाएंगी। हमारे पास ज्यादा पैसे भी नहीं हैं कि किसी ओर अस्पताल लेकर जाएं क्योंकि एक हजार से डेढ़ हजार रूपए एंबुलेंस वाले मांग रहे हैं।
डेंगू पीड़ित बच्चा, भटकता रहा अस्पताल-दर-अस्पताल मेरे बेटे को डेंगू है और बुखार उतरने का नाम नहीं ले रहा है। इसके साथ ही उसके दोनों पैरों में इतनी ज्यादा सूजन आ गई है कि उससे चला भी नहीं जा रहा है। बावजूद मेरे बेटे को डॉक्टर देख नहीं रहे हैं, हम बहुत परेशान हो चुके हैं समझ नहीं आ रहा कि बच्चे को लेकर अब जाएं तो जाएं कहां। यह बोलते-बोलते 11 वर्षीय शहादत की मां तब्बसुम रोने लगती है। तब्बसुम अपने पति वक्कार अहमद के साथ ओखला से अपने बेटे का ईलाज करवाने के लिए आरएमएल अस्पताल आईं थीं। तब्बसुम ने बताया कि वो आरएमएल से पहले एम्स और सफदरजंग भी बेटे को भर्ती करवाने के लिए ले कर गईं थीं। लेकिन वहां भी डॉक्टरों की हड़ताल के चलते उनके बेटे को भर्ती नहीं किया गया। ऐसे में वो दोपहर से आरएमएल अस्पताल में खड़े आते-जाते डॉक्टरों व सिक्योरिटी गार्ड्स से अपने बेटे को भर्ती करवाने की गुहार लगा रही हैं। वहीं उनका बेटा टकटकी लगाए कभी मां को चुप करवाता है तो कभी इधर-उधर देखकर कहीं ओर अस्पताल ले जाने की बात कहता है। डेंगू के चलते मां तब्बसुम शहादत को लेकर काफी चिंतित हैं उन्होंने बताया कि उसकी प्लेटलेट्स भी गिर रही है।
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