Monday, Mar 20, 2023
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don''''t just do digital- digital, understand digital media properly

सिर्फ डिजिटल- डिजिटल मत कीजिए, डिजिटल मीडिया को ढंग से समझिए

  • Updated on 5/30/2022

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। आज की आधुनिक डिजिटल पत्रकारिता काफी हद तक डेस्क रिपोर्टिंग पर केंद्रित है। कहना तो नहीं चाहिए, लेकिन कई धुरंधर पत्रकार भी डेस्क से ही अपनी बीट मैनेज कर लेते हैं। फोन पर आपको केवल वही सुनने को मिलेगा जो सुनाया जा रहा है, मगर फील्ड पर आप वो भी देख- समझ पाएंगे जो शायद दूसरे न देख पाएं। इसलिए युवा साथियों को यही सुझाव है कि फील्ड और स्पॉट रिपोर्टिंग पर जोर दीजिए।

डिजिटल मीडिया को पत्रकारिता का भविष्य कहा जाता है, जिस तेजी से हम टेक्नोलॉजी सैवी हो रहे हैं, वे आधुनिकता का परिचायक तो है, लेकिन यदि डिजिटल मीडिया का मौजूदा स्वरूप ही ‘भविष्य’ बनेगा, तो फिर उसके उज्ज्वल होने की संभावना बेहद कम है। मैं लंबे समय से डिजिटल मीडिया से जुड़ा रहा हूं, इसलिए उसकी नब्ज समझता हूं और यह भी खुले दिल से स्वीकार करता हूं कि भविष्य बनने के लिए उसमें बड़े पैमाने पर बदलाव की जरूरत है। हिंदी भाषियों के लिए डिजिटल मीडिया पर काफी कंटेंट है, लेकिन उसे परिष्कृत करने की जरूरत है। 

डिजिटल मीडिया में सारा खेल नंबरों का है। नंबर ज्यादा तो आप हिट वरना फ्लॉप। अब ये नंबर आप कैसे, कहां से जुटाएंगे, इससे किसी को कोई लेना-देना नहीं। इस नंबर के खेल ने  संपादकों को मैनेजर बना दिया है, जिन्हें हर हाल में टारगेट पूरा करना है। इसलिए आप देख सकते हैं कि इंटरनेट पर आजकल कैसा कंटेंट मौजूद है।

पत्रकारिता के मूल्य, सिद्धांत जैसी बातें डिजिटल जर्नलिज्म में आकर किताबी हो जाती हैं। इन किताबी हो चुकी बातों को फिर से अमल में लाना होगा और ‘बंदरिया का नाच’ और ‘सेक्सी एक्ट्रेस के बिकनी पोज’ जैसी खबरों से गंभीर खबरों पर रुख करना होगा।

डिजिटल पत्रकारिता आज उसी दौर से गुजर रही है, जिस दौर से कभी टीवी गुजरा था। भूत प्रेत की कहानियां, एलियन का गाय का दूध पीना, बिना ड्राइवर की कार जैसा दौर, जिसमें टीवी मीडिया का उपहास उड़ाया गया था, ठीक वैसा ही अब ऑनलाइन जर्नलिज्म में हो रहा है। सेमी न्यूड एक्ट्रेस से लेकर बेडरूम सीक्रेट जैसी स्टोरीज अधिकांश संपादकों की पहली पसंद बन गई हैं। 

डिजिटल के ज्यादातर संपादक ओपिनियन विहीन भी हो गए हैं। कितने डिजिटल संपादक किसी विषय पर लिखते हैं या किसी विषय पर अपनी टीम के साथ चर्चा करते हैं? यह कहना गलत नहीं होगा कि अधिकांश डिजिटल संपादक रोबोट बन गए हैं।

हिंदी डिजिटल पत्रकारिता के सामने एक बेहतर भविष्य है, लेकिन महत्वपूर्ण है पत्रकारिता को जीवित रखना, क्योंकि पत्रकारिता जीवित रहेगी, तभी तो हमारा और आपका वजूद रहेगा। अंत में मैं महादेवी वर्मा की लिखी कुछ पंक्तियां कहना चाहूंगा। ‘पत्रकारिता एक रचनाशील शैली है। इसके बगैर समाज को बदलना असंभव सी बात है। अत: पत्रकारों को अपने दायित्व और कर्तव्य का निर्वाह निष्ठापूर्वक करना चाहिए। क्योंकि उन्हीं के पैरों के छालों से इतिहास लिखा जाएगा’।

अभिषेक मेहरोत्राः ( लेखक बिजनेस वर्ल्ड ग्रुप के डिजिटल एडिटर हैं।)

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख (ब्लाग) में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इसमें सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं। इसमें दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार पंजाब केसरी समूह के नहीं हैं, तथा पंजाब केसरी समूह उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।

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