Saturday, Sep 30, 2023
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ट्रंप यात्रा का असर : भारतीयों के लिए आसान हो सकते हैं एच-1बी वीजा नियम

  • Updated on 2/26/2020

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच मंगलवार को हुई बातचीत के बाद एच-1बी वीजा के मामले में भारतीय पेशेवरों को राहत मिलने की उम्मीद जगी है। भारत और अमरीका की बातचीत के दौरान इस मुद्दे पर भी बातचीत हुई है और अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने संबोधन में इस बात का जिक्र भी किया है। ट्रम्प का यह बयान इसलिए भी अहम हो जाता है क्योंकि कुछ दिन पहले ही अमरीका के ङ्क्षथक टैंक (कमेटी फार इकोनॉमिक डिवैल्पमैंट) ने अमरीका में कुशल कर्मियों और इन्नोवेशन को बढ़ावा देने के लिए एच-1बी वीजा की प्रोसैस को आसान किए जाने की सिफारिश की है। 

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मोदी-ट्रम्प की बातचीत के बाद जगी आस 
अमरीकन थिंक टैंक का मानना है कि विदेशों से आने वाले कुशल कर्मियों को पक्की नागरिकता देने की दिशा में नियमों को आसान किया जाना जरूरी है। इससे पहले 2015 में तत्कालीन अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने विदेशी टैलेंट को अमरीका में सुविधाएं देने के मकसद से एच-1बी वीजा के नियमों को आसान किया था लेकिन डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद नियमों में बदलाव कर दिया गया पर अब अमरीका में चुनाव को देखते हुए ट्रम्प के लिए भारतीयों को राहत देना जरूरी हो गया है। 

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बराक ओबामा ने जारी किया था एच-4 वीजा
2015 में अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के शासनकाल दौरान अमरीका ने एच-4 वीजा जारी किया था। यह वीजा उन पेशेवरों के लाइफ पार्टनर्स के लिए था जिन्हें अमरीका एच-1बी वीजा दे रहा था। उनके पार्टनर्स को एच-4 वीजा के तहत अमरीका में एंट्री मिल रही थी और ये पार्टनर भी अमरीका में रहकर नौकरी कर रहे थे लेकिन 2017 में डोनाल्ड ट्रम्प ने एच-1बी वीजा के नियमों में बदलाव करने का प्रस्ताव पेश किया। इसके साथ ट्रम्प ने अमरीकी दूतावास के अधिकारियों को एच-1बी वीजा आवेदकों की अर्जी रद्द करने के अधिकार भी दे दिए।

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नैशनल फाऊंडेशन फॉर अमेरिकन पॉलिसी की रिपोर्ट के मुताबिक एच-1बी वीजा के लिए आवेदन करने वाले भारतीय आई.टी. पेशेवरों के आवेदन रद्द होने की संख्या में जबरदस्त इजाफा हुआ है। 2015 में अमरीका ने 6 फीसदी भारतीय आई.टी. प्रोफैशनल्स के वीजा रद्द किए थे जो 2019-20 की तीसरी तिमाही में बढ़कर 24 फीसदी हो गए।  इन वीजा के रद्द होने के कारण भारत की टैक महिंद्रा और विप्रो व इंफोसिस जैसी आई.टी. कम्पनियों को काफी नुक्सान हुआ था और वीजा रद्द होने के मामले में भी भारतीय कम्पनियों के जरिए वीजा अप्लाई करने वाले आवेदकों की संख्या अमरीका आधारित एमेजोन, गूगल व माइक्रोसॉफ्ट के मुकाबले काफी ज्यादा थी। भारतीय कम्पनियों के लिए कई आवेदन करने वाले आई.टी. प्रोफैशनल्स के 30 फीसदी तक वीजा रद्द किए गए।

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अमरीका में चुनाव के चलते मिल सकती है राहत
अमरीका में इस साल के अंत में राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं और इन चुनावों में भारतीयों की भूमिका भी काफी अहम रहने वाली है। पिछले कुछ वर्षों से भारत और अमरीका के आपसी संबंध लगातार प्रगाढ़ हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमरीका दौरे के बाद जिस तरीके से डोनाल्ड ट्रम्प का भारत में स्वागत हुआ है उसे देखते हुए भी माना जा रहा है कि अमरीका इस मामले में भारत के प्रति रवैया नरम कर सकता है क्योंकि अमरीका में होने वाले चुनावों में भारतीयों का समर्थन हर पक्ष के लिए जरूरी है।

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एच-1बी वीजा के लिए फिक्स है कोटा
अमरीका विदेशों से प्रोफैशनल्स को बुलाने के लिए एच-1बी वीजा के तहत हर साल 65,000 प्रोफैशनल्स को एंट्री देता है। इसमें चिली और सिंगापुर के 6800 प्रोफैशनल्स भी शामिल हैं। इन दोनों देशों को अमरीका एच1बी1 प्रोग्राम के तहत हुए आपसी समझौते के तहत 6800 प्रोफैशनल्स को वीजा देता है। इसके अलावा अमरीका मास्टर्स प्रोग्राम के लिए एच-1बी एडवांस डिग्री कैप के तहत 20 हजार वीजा जारी करता है।
 

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