नई दिल्ली/ अकु श्रीवास्तव। बिहार (Bihar) में चुनाव प्रचार चल रहा है, रैलियां जारी हैं, रोड शो हो रहे हैं, स्टार प्रचारकों का आना-जाना लगा है और सुनने के लिए भीड़ उमड़ रही है, जैसे कोरोना वायरस (Coronavirus) का कोई डर ही न हो। न नेता मास्क लगाए हैं और न समर्थक। गनीमत यह है कि बुधवार देर शाम आखिर चुनाव आयोग (Election Commission) ने इसका संज्ञान लिया।
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रैलियों में नियमों को किया गया तार-तार पिछले कई दिन से बिहार में कोरोना गाइडलाइन का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन हो रहा है। किसी रैली में दो सौ से ज्यादा लोग नहीं होने चाहिए, मगर यहां तो हजारों का सैलाब उमड़ रहा है। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया जा रहा। आपको अधिकांश चेहरे बिना मास्क एक-दूसरे से सटे हुए दिख जाएंगे। सोशल मीडिया से न्यूजचैनलों तक इन रैलियों की फुटेज चल रही है। सबको दिखाई दे रहा था कि वहां क्या हो रहा है। इस भीड़ से वायरस फैलने का खतरा कितना बड़ा है, इसकी चिंता कोई नहीं कर रहा था।
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चुनाव प्रचार में उमड़ी भीड़ दुख तो यह है कि इस भीड़ को राजनीतिक दलों ने अपनी लोकप्रियता का पैमाना मान लिया और उसके लिए होड़ लगाने लगे। पटना के नीमी कॉलेज मैदान में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की रैली हो या गागौर में तेजस्वी यादव की जनसभा तथा चेवाड़ा में पप्पू यादव की प्रचार सभा, हर जगह समर्थकों की अनियंत्रित भीड़ उमड़ी। बरबीघ में तो लोजपा के पूर्व सांसद सूरजभान ने रोड शो ही कर डाला। मसौढ़ी, जहानाबाद, भोजपुरा के अगिआंव विधानसभा क्षेत्रों में जनसभाओं में ज्यादातर ने मास्क तक नहीं लगाए थे। खुद तेजस्वी बिना मास्क के भीड़ को संबोधित कर रहे थे।
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चुनाव आयोग ने लिया संज्ञान आखिर चुनाव आयोग ने सुध ली और नेताओं द्वारा जन सभाओं को बगैर मास्क पहने संबोधित करने का बुधवार को गंभीरता से संज्ञान लिया। सभी पार्टियों को जारी परामर्श में आयोग ने कहा है कि इस तरह के उल्लंघनों के लिये जिम्मेदार आयोजकों के खिलाफ मुख्य निर्वाचन अधिकारी तथा प्रशासन से दंडनीय प्रावधान पर अमल की उम्मीद की जाएगी।
आयोग ने पहले ही दे दिए थे निर्देश चुनाव आयोग के पहले से निर्देश हैं कि किसी भी पार्टी को जिस मैदान में जनसभा करनी है उसे चिन्हित कर जिला प्रशासन के जरिए प्रदेश चुनाव आयोग को भेजना जरूरी है। पार्टियों ने अपनी ओर से सभा स्थलों और मैदानों की सूची पहले ही प्रशासन को भेज रखी है। लोक निर्माण विभाग इन मैदानों में समाजिक दूरी का पालन कराने के लिए गोले भी बना देता है। मगर सामाजिक दूर का पालन नहीं हो रहा था।
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बिहार में बढ़ सकता है कोरोना का खतरा स्थानीय प्रशासन इन रैली स्थलों भीड़ को नियंत्रित करने और कोरोना दिशा निर्देशों का पालन करने में पूरी तरह असफल रहा। भीड़ के ये नजारे डराने वाले थे। भगवान न करे, ऐसी भीड़ में कुछ कोरोना संक्रमित लोग भी हुए तो, बिहार का क्या हाल होने वाला है, इस खतरे का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। अगर प्रशासन भीड़ को नहीं रोक सकता तो उसे उम्मीदवारों को जनसभा करने से रोक देना चाहिए या फिर चुनाव ही टाल देना हितकर होगा। महामारी के इस दौर में चुनाव से जरूरी है लोगों की जान को बचाना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मंगलवार को अपने भाषण में सबको सचेत किया था कि जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं। अब बिहार के प्रशासन को भी इससे सबक लेना चाहिए।
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