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हिमाचल प्रदेश में फि‍र लगे भूकंप के झटके, रिक्टर स्केल पर 3.6 मापी गई तीव्रता

  • Updated on 10/26/2020

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में सोमवार यानी आज तीसरे दिन लगातार भूकंप (Earthquake) के झटके महसूस किए गए। शिमला में आए इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.6 मापी गई। भूकंप के इन झटकों से किसी भी प्रकार के कोई नुकसान की सूचना नहीं है। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, 1.20 पर आए इस भूकंप का केंद्र शिमला में था।

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24 अक्टूबर को बिलासपुर लगे भूकंप के झटके 
इससे पहले 24 अक्टूबर को हिमाचल के बिलासपुर में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। भूकंप के झटके बिलासपुर के अलावा हमीरपुर, मंडी और ऊना में भी महसूस किए गए। इस दौरान भी भूकंप के झटकों से किसी तरह के जान-माल के नुकसान की सूचना नहीं है।

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23 अक्टूबर को चम्बा जिले में आया था भूंकप
हिमाचल में ऐसे ही भूकंप के झटके 23 अक्टूबर को चम्बा जिले में महसूस किए गए थे। यहीं इनकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर  2.7 मापी गई । मौसम विज्ञान विभाग ने यह जानकारी दी। इस दौरान किसी प्रकार के जान-माल के नुकसान की कोई जानकारी नहीं मिली है। विभाग ने बताया कि भूकंप का केंद्र चम्बा जिले के पूर्वोत्तर में पांच किलोमीटर की गहराई में था। उसने बताया कि दोपहर सवा बारह बजे जिले में और इसके आस-पास भूकंप के झटके महसूस किए गए। 

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वहीं दूसरी ओर हिमालय पर्वत श्रृंखला (Himalaya Mountains) में बड़ा भूकंप (Earthquake) आने की आशंका जाहिर की गई है। ऐसा माना जा रहा है कि इसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर आठ या उससे भी अधिक हो सकती है। इसके साथ ही वैज्ञानिकों का कहना है कि इन झटकों के कारण घनी आबादी वाले देशों में बड़ी तादात में जानमाल का नुकसान हो सकता है। हालांकि ये भूकंप कब आएंगे इस बात को लेकर अभी तक कुछ स्पष्ट नहीं किया गया है। 

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एक स्टडी में कही गई ये बात
दरअसल, हिमालय में आने वाले बड़े भूकंप की बात एक हालिया स्टडी में की गई है। इस अध्ययन में जिओलॉजिकल, हिस्टोरिकल और जियोफीजिकल डेटा की समीक्षा कर भविष्यवाणी की गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि इसमें कोई बड़ी बात नहीं होगी अगर ये भीषण भूकंप हमारे जीवनकाल में ही आ जाए। इस अध्ययन में स्पष्ट किया गया है कि भविष्य में हिमालय क्षेत्र में आने वाले भूकंप की सीक्वेंस की भी 20वीं सदी में एलेयूटियन जोन में आए भूकंप जितनी हो सकती है। 

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सिस्मोलॉजिकल रिसर्च लेटर्स जर्नल में कही गई ये बात
सिस्मोलॉजिकल रिसर्च लेटर्स जर्नल में आई इस स्टडी में चट्टानों के सतहों के विश्लेषण, स्ट्रक्चरल ऐलानिलिस, मिट्टी के विश्लेषण और रेडियोकार्बन ऐनालिसिस जैसे बेसिक जिओलॉजिकल सिद्धांतों का प्रयोग किया गया है। इसके आधार पर प्रागैतिहासिक काल में आए भूकंपों का समय और तीव्रता का अनुमान लगाया जाता है। इसी आधार पर ही भविष्य में आने वाले भूकंप के जोखिम का आकलन भी किया जाता है।

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संपूर्ण हिमालय आ सकता है भूकंप की जद में
अध्ययन के लेखक और अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ नवादा में जिऑलजी और सिस्मोलॉजी के प्रोफेसर स्टीवन जी. वोस्नोस्की का कहना है कि 'इसकी जद में संपूर्ण हिमालयन क्षेत्र पूरब में भारत के अरुणाचल प्रदेश से लेकर पश्चिम में पाकिस्तान तक अतीत में बड़े भूकंप का केंद्र रह चुका है। उन्होंने कहा, इन भूकंपों के फिर से आने का अनुमान है। उन्होंने कहा ये हमारे ही जीवनकाल के दौरान देखे जाएं तो कोई हैरानी की बात नहीं होगी।

 

 

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