नई दिल्ली/टीम डिजिटल। मामलों को सूचीबद्ध करने पर नियमों का पालन कथित रूप से नहीं करने को लेकर अपनी रजिस्ट्री के खिलाफ एक शिकायत का जवाब देते हुए उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि इस तरह के आरोप लगाने में ‘‘गैर जिम्मेदाराना होना आसान है।''
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शीर्ष न्यायालय ने कहा कि इस तरह विषयों में न्यायाधीश नियमों का पालन कर रहे हैं। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली एक पीठ तमिलनाडु में ‘कैश फॉर जॉब' (नौकरी के लिए रिश्वत) प्रकरण से उपजे मामले अलग-अलग न्यायाधीशों के पास सूचीबद्ध किये जाने का वकीलों द्वारा उल्लेख किये जाने पर सुनवाई कर रही है।
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वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि शीर्ष न्यायालय की रजिस्ट्री कड़ी मेहनत कर रही है और एक ही मुद्दे से उपजे मामले सूचीबद्ध करने से जुड़े नियमों का पालन करने के लिए वह आबद्ध है, ऐसे में मौजूदा दृष्टांत में मामले दो अलग-अलग न्यायाधीशों के समक्ष रखे गये। प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘श्रीमान दवे, रजिस्ट्री के खिलाफ आपके आरोपों में गैर जिम्मेदाराना होना हमेशा आसान होता है। आपको इस संसार में हर किसी की आलोचना करने की स्वतंत्रता है। इस न्यायालय का न्यायाधीश होने के नाते हमें कुछ अनुशासन का पालन करना होगा और मैं विषय पर गौर करूंगा तथा इसे एक न्यायाधीश को सौंपूंगा।'' पीठ में न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा भी शामिल हैं।
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दवे ने पीठ से कहा कि न्यायपालिका का वह काफी सम्मान करते हैं और उनके द्वारा की गई आलोचना केवल वस्तुनिष्ठ है। प्रवर्तन निदेशालय की ओर से पेश हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि प्रधान न्यायाधीश जिस भी न्यायाधीश के समक्ष इसे सूचीबद्ध करेंगे, ‘‘हम विषय पर दलील पेश करेंगे।'' वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि वह प्रकरण पर उच्चतम न्यायालय के एक फैसले से उपजी एक अवमानना याचिका पर न्यायालय में उपस्थित हो रहे हैं।
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उन्होंने कहा कि पुलिस को इसी तरह के मामलों में संबद्ध उच्च न्यायालय द्वारा प्रदत्त रोक पर स्थगन आदेश लेने को कहा गया, लेकिन इसके बजाय एजेंसी विषय में नये सिरे से जांच के लिए सहमत हुई। प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि वह विषय की पड़ताल करने के बाद इसे एक पीठ को सौंपेंगे।
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