नई दिल्ली/टीम डिजिटल। कोरोना संकट से जूझते भारत की दुनिया में क्या स्थिति है इसे लेकर भ्रम बना हुआ है। सरकार कहती है कि कोरोना के आंकड़े भले ही बढ़ रहे हैं लेकिन भारत फिर भी बाकी देशों की तुलना में बेहतर हालत में हैं। हालांकि इस बारे में जानकारों का कहना इसका उल्ट है।
इस बारे में भारतीय अर्थशास्त्री कौशिक बसु ने सरकार को चेताते हुए एक ट्वीट किया है। कौशिक बसु ने न सिर्फ इस ट्वीट में भारत की अर्थव्यवस्था में आयी भारी गिरावट को लेकर चिंता जताई है बल्कि कोरोना से भारत में पैदा हुए संकट पर भी सरकार को आगाह किया है।
कौशिक बसु ने ट्वीट करते हुए कहा है कि भारत इस कठिन से उबर सकता है बस सरकार को बेहतर नीति बनाने की जरुरत है। कौशिक बसु ने अपने ट्वीट में कुछ आंकड़े भी पेश किए हैं जो डरा देने वाले हैं।
India’s drastic economic slowdown is hurting. It can’t be rationalized as cost of Covid containment. It’s critical for the Finance Ministry to inject stimulus. There’s enough talent in India—in universities, govt & pvt sector, that, brought to the table, can design such a policy. pic.twitter.com/0lb8oiNzXC — Kaushik Basu (@kaushikcbasu) September 26, 2020
India’s drastic economic slowdown is hurting. It can’t be rationalized as cost of Covid containment. It’s critical for the Finance Ministry to inject stimulus. There’s enough talent in India—in universities, govt & pvt sector, that, brought to the table, can design such a policy. pic.twitter.com/0lb8oiNzXC
अपने ट्वीट में कौशिक बसु ने लिखा कि ‘भारत की अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट चिंताजनक है। इसके लिए कोरोना के चलते लागू हुए लॉकडाउन को ही जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। वित्त मंत्रालय के लिए ये बेहद अहम है कि वह प्रोत्साहन दे। भारत में विश्वविद्यालय, सरकार और निजी सेक्टर में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, उसकी मदद ली जानी चाहिए और एक पॉलिसी बनानी चाहिए।’
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बसु ने अपने ट्वीट में पूरी लिस्ट जारी की है जिसमें इकोनॉमी और कोरोना से भारत को किस तरफ से नुकसान हुआ है और क्या हालत रहे हैं ये दर्शाया गया है।
मौजूदा हालातों की बात करें तो भारत आर्थिक वृद्धि घटकर माइनस 23.9% हो गई है और कोरोना वायरस के कारण भारत में प्रति 10 लाख की आबादी पर 68 मरीजों की मौत हुई है यानी भारत में होने वाली मौतों का आंकड़ा चीन के मुकाबले 23 गुना ज्यादा है।
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