नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे के गुट ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि जून, 2022 महाराष्ट्र राजनीतिक संकट से जुड़ी याचिकाएं राजनीति के क्षेत्र के तहत आती हैं और न्यायपालिका से इसपर फैसला देने को नहीं कहा जा सकता है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके गुट के विधायकों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने प्रधान न्यायाधीश धनंजय वाई. चन्द्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ से कहा कि अदालत को ‘अनुमानों' पर आगे नहीं बढ़ना चाहिए।
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न्यायमूर्ति चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति एम. आर. शाह, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा की पीठ को साल्वे ने बताया, ‘‘इस रास्ते पर आगे बढ़ना इस अदालत के लिए बहुत जोखिम भरा होगा। श्रीमान (उद्धव) ठाकरे ने इस्तीफा दिया। राज्यपाल ने मौजूदा मुख्यमंत्री से बहुमत साबित करने को कहा। ऐसा नहीं हुआ। आपको कैसे पता कि कौन किसका समर्थन करता? तब क्या होता अगर उनके गठबंधन सहयोगियों में से कोई कह देता कि हम समर्थन नहीं करना चाहते? हमें नहीं पता है।''
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उन्होंने कहा, ‘‘हम हम वकीलों के लिए तय करने का मुद्दा नहीं है। यह राजनीति के क्षेत्र में आता है। ऐसे में माननीय से इन अनुमानों का खतरा मोल लेने के लिए कैसे अनुरोध किया जा सकता है।'' यह दलील देते हुए कि शीर्ष अदालत में दायर सभी याचिकाओं में लिखी बातें सिर्फ ‘एकैडमिक' हैं, साल्वे ने कहा कि ठाकरे ने कभी बहुमत साबित नहीं किया। साल्वे ने कहा, ‘‘देखें, जब शिंदे विधानसभा में बहुमत साबित करने आए तो क्या हुआ।
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ठाकरे के कट्टर समर्थक 13 लोग मतदान से अनुपस्थित थे। राजनीति में ऐसी चीजें होती हैं। बेहद तेजी से बदलते ये राजनीतिक परिदृश्य हर मोड़ पर अपना रूख बदल लेते हैं। हम इनका अनुमान नहीं लगा सकते हैं।'' यह स्वीकार करते हुए कि 10वीं अनुसूची पूरी तरह से त्रुटिमुक्त नहीं है, उसमें कई ‘खामियां' हैं जिन्हें दूर करने की आवश्यकता है, साल्वे ने कहा कि वर्तमान मामले में सबकुछ सिर्फ‘एकैडमिक' है और अदालतों को एक हद से आगे नहीं जाना चाहिए। मामले में सुनवाई अधूरी रही और 14 मार्च को होली की छुट्टी के बाद फिर से शुरू होगी।
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