नई दिल्ली/टीम डिजिटल। निर्वाचन आयोग ने सोशल मीडिया कंपनियों की आपत्तियों के बाद सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम और ट्विटर सहित अन्य कंपनियों के साथ हुए अपने पत्राचार का खुलासा करने से इनकार कर दिया है। आयोग ने यह जानकारी दी। पुणे के आरटीआई कार्यकर्ता विहार दुर्वे ने निर्वाचन आयोग से 2019-2022 के बीच सोशल मीडिया कंपनियों के साथ हुए पत्राचार की जानकारी मांगी थी।
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अधिनियम की धारा 11 के तहत तृतीय पक्ष के खंड को लागू करते हुए आयोग ने पत्राचार का खुलासा करने पर कंपनियों के विचार मांगे। जानकारी का खुलासा किये जाने के संबंध में अंतिम फैसला अधिकारी का होता है। दुर्वे ने 2019 से 2022 के बीच ट्विटर, फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, टेलीग्राम, किसी भी अन्य सोशल मीडिया मंच के साथ निर्वाचन आयोग द्वारा किए गए ‘‘पत्राचार, रिकॉर्ड, सूचना, ईमेल आदि का विवरण मांगा था।’’
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निर्वाचन आयोग ने दुर्वे के सवाल के जवाब में जानकारी देने से इनकार किया। वर्ष 2019 में आम चुनाव से पहले सोशल मीडिया मंचों ने स्वेच्छा से तैयार की गई आचार संहिता के तहत निर्णय लिया था कि फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्सएप समेत प्रमुख सोशल मीडिया मंचों पर मतदान से 48 घंटे पहले कोई राजनीतिक प्रचार-प्रसार की अनुमति नहीं होगी।
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