नई दिल्ली/टीम डिजिटल। प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने धनशोधन के एक मामले की जांच के तहत ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ (पीएफआई) के अध्यक्ष ओ एम अब्दुल सलाम और उसके केरल राज्य प्रमुख नसरुद्दीन एलामारोम के परिसरों समेत नौ राज्यों में पीएफआई के कम से कम 26 परिसरों पर बृहस्पतिवार को छापे मारे। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि चेन्नई, तेनकासी और मदुरै (तमिलनाडु), बेंगलुरु, दरभंगा और पूर्णिया (बिहार), लखनऊ और बाराबंकी (उत्तर प्रदेश), औरंगाबाद (महाराष्ट्र), कोलकाता और मुॢशदाबाद (पश्चिम बंगाल), जयपुर, दिल्ली के शाहीन बाग क्षेत्र और केरल के कोच्चि, मलप्पुरम और तिरुवनंतपुरम जिलों में धनशोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत छापे मारे जा रहे हैं।
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सूत्रों ने बताया कि धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत इन राज्यों के कम से कम 26 स्थानों पर छापेमारी की जा रही है। उन्होंने बताया कि इस छापेमारी का मकसद पीएफआई और उससे संबंधित लोगों के खिलाफ धन शोधन के विभिन्न मामलों में जारी जांच के तहत सबूत एकत्र करना है। धन शोधन संबंधी विभिन्न मामलों को एक ही मामले में मिला दिया गया है। सूत्रों ने बताया कि सलाम और पीएफआई के राष्ट्रीय सचिव एलामारोम तथा संगठन के कई अन्य पदाधिकारियों के परिसरों पर भी छापे मारे जा रहे हैं।
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केंद्रीय जांच एजेंसी देश में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शनों, इस साल फरवरी में दिल्ली में हुए दंगों और कई अन्य घटनाओं को भड़काने को लेकर ‘‘वित्तीय संबंधों’’ के आरोपों की पीएफआई के खिलाफ जांच कर रही है। इससे पहले, उसने केरल राज्य विद्युत बोर्ड के वरिष्ठ सहायक सलाम और दिल्ली में पीएफआई के कई अन्य पदाधिकारियों के बयान भी दर्ज किए थे। सलाम और पीएफआई ने छापेमारी की इस कार्रवाई को ‘‘हथकंडा’’ बताया और आरोप लगाया कि किसानों के मामले से ध्यान भटकाने की कोशिश के तहत ये छापे मारे गए हैं।
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संगठन ने एक बयान में कहा, ‘‘देशभर में पॉपुलर फ्रंट के राष्ट्रीय नेताओं के आवासों पर ईडी ने एक साथ छापे मारे। हमारा मानना है कि यह एजेंसी की ओर से की गई राजनीतिक रूप से प्रेरित कार्रवाई है। इस प्रकार की छापेमारी हमारे देश में अकसर उस समय होती है, जब कभी सत्तारूढ़ सरकार किसी जन आंदोलन के कारण दबाव में होती है और वह देश का ध्यान भटकाना चाहती है।’’ उसने कहा, ‘‘मोदी सरकार ने अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ और देश में असंतोष को दबाने के लिए हमेशा राष्ट्रीय एजेंसियों का इस हद तक इस्तेमाल किया है कि उनकी विश्वसनीयता सवालों के घेरे में आ गई है।’’
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उसने कहा कि प्राधिकारी ‘‘संगठन को संविधान विरोधी सीएए-एनआरसी के खिलाफ उसकी लड़ाई से रोकना चाहते है।’’ पीएफए की स्थापना 2006 में केरल में की गई थी और इसका मुख्यालय दिल्ली में है। उसने कहा कि उसकी गतिविधियां ‘‘पारदर्शी’’ और सार्वजनिक हैं तथा उसके पास छुपाने के लिए कुछ नहीं है। एजेंसी ने पिछले महीने ट््वीट किया था, ‘‘ईडी पीएफआई के पदाधिकारियों के पास से बरामद कुछ ठोस साक्ष्यों के आधार पर पीएफआई और भीम आर्मी के बीच वित्तीय जुड़ाव की जांच कर रहा है । ’’ भीम आर्मी ने कहा था कि वह किसी भी तरह की जांच के लिए तैयार है। भीम आर्मी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद हैं।
ईडी ने अगस्त में आम आदमी पार्टी के पार्षद ताहिर हुसैन को इस मामले में गिरफ्तार कर आरोप लगाया था कि सीएए विरोधी प्रदर्शनों को भड़काने और फरवरी में दिल्ली में हुए दंगों के लिए उन्हें धन मिला था। पीएमएलए के तहत 2018 से ही पीएफआई की जांच कर रही एजेंसी ने आरोप लगाया है कि इन प्रदर्शनों और केरल स्थित संगठन के बीच ‘‘वित्तीय जुड़ाव’’ है। ईडी ने कहा था कि पिछले साल चार दिसंबर से इस साल छह जनवरी के बीच संगठन से जुड़े कई बैंक खातों में कम से कम 1.04 करोड़ रुपये जमा किए गए। सूत्रों ने कहा कि पीएफआई के बैंक खाते में जमा की गयी 120 करोड़ रुपये की रकम ईडी की जांच के घेरे में है । पीएफआई ने इन आरोपों से लगातार इनकार किया है।
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