नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के पूर्व प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे पहलवानों में साक्षी मलिक को छोड़कर बाकी सभी हरियाणा स्थित अपने घर लौट गये। पहलवानों ने दावा किया कि ‘मौन व्रत' के कारण उन्होंने हरिद्वार में मीडिया से कोई बातचीत नहीं की।
पहलवानों ने 23 अप्रैल को जंतर-मंतर पर अपना आंदोलन फिर से शुरू किया था लेकिन 28 मई को नये संसद भवन की ओर मार्च करते समय उन्हें हिरासत में लिया गया था। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शन स्थल से उनके सामान को हटा दिया और वहां वापस आने से रोक दिया। पहलवानों ने मंगलवार को अपने पदकों को गंगा नदी में विसर्जित करने की घोषणा की लेकिन खाप और किसान नेताओं के मनाने पर ऐसा नहीं किया।
प्रदर्शनकारी समूह के एक सदस्य ने कहा, ‘‘ वे (प्रदर्शनकारी पहलवान) सुबह से रो रहे थे। जिला स्तर पर जीते हुए एक पदक को भी फेंकना आसान नहीं होता और वे उन बड़े अंतरराष्ट्रीय पदकों को विसर्जित करने के लिए तैयार थे। वे सदमे में थे, उनके मुंह से एक शब्द नहीं निकल रहा था।''
उन्होंने दावा किया, ‘‘ उन्होंने मंगलवार को मौन व्रत धारण किया था। इसलिए हरिद्वार में किसी से बात नहीं की। सभी अपने-अपने घर लौट गए हैं लेकिन साक्षी अभी दिल्ली में हैं।'' बृजभूषण के खिलाफ पोक्सो कानून (यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण संबंधी कानून) सहित दो प्राथमिकी दर्ज की गई थी। कुछ रिपोर्टों में यह दावा किया गया है कि डब्ल्यूएफआई के पूर्व प्रमुख के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने वाली ‘नाबालिग', वास्तव में नाबालिग नहीं है।
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