नई दिल्ली/टीम डिजिटल। प्यार जितना खूबसूरत होता है, उतना ही खौफनाक भी हो जाता है जब ये पागलपन की हद तक पहुंच जाए। इसी खौफनाक तस्वीर की चश्मदीद रही साल 2005 की एक ऐसी घटना, जब 15 साल की लक्ष्मी (Laxmi Agarwal) पर तब तेजाब (Acid) फैंक दिया गया जब उसने एक सिरफिरे आशिक के शादी के प्रोपोजल को ठुकरा दिया।
इसी खौफनाक और दिल दहलाने वाली घटना को पर्दे पर पेश करने 10 जनवरी यानी आज आ रही है फिल्म ‘छपाक’। दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone) इस फिल्म में मुख्य भूमिका में नजर आएंगी। दीपिका के साथ इस फिल्म में उनका साथ देते दिखाई देंगे विक्रांत मैसी (Vikrant Massey)।
फिल्म को डायरैक्ट किया है ‘तलवार’ और ‘राजी’ जैसी फिल्में दे चुकीं मेघना गुलजार (Meghna Gulzar)ने। फिल्म से दीपिका बतौर प्रोड्यूसर अपना डेब्यू कर रही हैं। फिल्म प्रोमोशन के लिए दिल्ली पहुंची दीपिका, मेघना और विक्रांत ने पंजाब केसरी/ नवोदय टाइम्स/ जगबाणी और हिंद समाचार से खास बातचीत की। पेश हैं प्रमुख अंश।
बेहद करीब से देखी लक्ष्मी की जिंदगी: दीपिका पादुकोण वैसे तो लक्ष्मी के बारे में हर कोई जानता है लेकिन इस फिल्म के जरिए मुझे उन्हें और उनकी पूरी जर्नी को काफी करीब से जानने का मौका मिला। जिन भी परिस्थितियों से वो गुजरीं, उन्हें मैं बारीकी से समझ पाई। उनकी परिस्थितियों और उनकी बॉडी लैंग्वेज को समझने से मुझे अपने किरदार को और भी सहजता से करने में मदद मिली।
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लक्ष्मी का अप्रूवल सबसे जरूरी इस फिल्म की सफलता मेरे लिए तीन भागों में बंटी हुई है। सबसे पहला और सबसे महत्वपूर्ण था लक्ष्मी का अप्रूवल मिलना, जो मुझे मिला भी तो पहले चरण में मैं खुद को सफल मानती हूं। दूसरा था मेघना की उम्मीदों पर खरा उतरना जिसमें मेघना ने मुझे पास किया है। अब तीसरा चरण बाकी है और वो है ऑडियंस जिसका रिजल्ट 10 जनवरी को आएगा। टीम के जज्बे ने बनाया ‘छपाक’ को मुमकिन एक मेकर के नजरिए से देखा जाए तो फिल्म शूटिंग का हर लम्हा यादों के रूप में सिमटता जाता है। चाहे वो सीन इंटैंस हो या लाइट हो, उसमें उतनी ही एनर्जी लगती है। कई दिन हमारे लिए बहुत ही ज्यादा चैलेंजिंग थे, जब शूटिंग करना बहुत ही मुश्किल हो जाता था लेकिन ये टीम का जज्बा था जिसने ‘छपाक’ को मुमकिन बनाया।
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लक्ष्मी की कहानी चुनने के पीछे दो वजह : मेघना गुलजार लक्ष्मी की कहानी चुनने के पीछे दो वजह थीं। पहली थी उनका पूरा केस और दूसरी लक्ष्मी की खुद की शख्सियत। लक्ष्मी की कहानी में पहली बार किसी आरोपी को 10 साल की सजा मिली थी। मैडीकल के नजरिए से देखें तो उनका केस एक लैंडमार्क था क्योंकि जो उनकी आखिरी सर्जरी हुई वो पहली बार की गई। लक्ष्मी ने अपने वकील के साथ पहली बार कोर्ट में एसिड की बिक्री को बैन करने के लिए पी.आई.एल. फाइल की थी। सोशल लैवल पर ये सारी चीजें उनके केस को बहुत ही महत्वपूर्ण बनाती हैं। लक्ष्मी की जो शख्सियत है, वह बहुत ही अलग है, एक तरफ ये दर्दनाक घटना है और दूसरी तरफ उनकी जीत है कि वो किस तरह से इस घटना से टूटने के बाद खुद को समेटकर और साथ ही ज्यादा निखर कर बाहर निकलीं। इसके बाद उन्होंने न सिर्फ खुद को संभाला बल्कि अपनी जैसी औरों की जिंदगी को भी संवारने में मदद की। ये सब उनकी कहानी को और भी महत्वपूर्ण और खास बना देता है।
फैक्ट्स के साथ नहीं हुई छेड़छाड़ जब भी हम किसी सच्ची घटना पर फिल्म बनाते हैं तो हमारा फर्ज होता है कि फैक्ट्स के लिए बिल्कुल भी छेड़छाड़ ना करें। इस फिल्म में हमने सिनेमैटिक लिबर्टी तो नहीं ली है लेकिन सिनेमैटिक टूल्स का इस्तेमाल किया गया है। एक न्यूज आर्टीकल और एक फिल्म में फर्क होता है, इसी फर्क को हमने बरकरार रखा है और इसके अलावा इस कहानी के फैक्ट्स से किसी भी तरह की कोई भी छेड़छाड़ नहीं की गई है।
दीपिका से चिढ़े लोगों ने Chhapaak पर फैलाया बड़ा झूठ समाज के लिए तेजाब है छोटी सोच वैसे तो समाज में कई ऐसे मुद्दे हैं, जिनको बड़े पर्दे पर उतारना चाहिए लेकिन मैं उम्मीद करती हूं कि कभी ऐसे मुद्दे भी सामने आएं जिसे बनाने में हमें गर्व और खुशी हो। मेरे अनुसार मौजूदा समय में छोटी सोच पूरे समाज को नष्ट कर रही है, जरूरी है कि इसे नष्ट किया जाए।
‘छपाक’ एक अविश्वसनीय अनुभव : विक्रांत मैसी इस फिल्म में काम करने का अनुभव बहुत ही अविश्वसनीय रहा, आज भी कभी-कभी मुझे लगता है कि कैसे हो गया। सबसे ज्यादा मुझे खुशी इस बात की है कि मुझे इस कहानी का हिस्सा बनने का मौका मिला। मेघना के साथ काम करने का मौका मिला। उम्मीद है कि ये फिल्म एक मुहिम को जन्म देगी।
समाज द्वारा तय की गई खूबसूरती की परिभाषा को बदलना जरूरी हमारे समाज में खूबसूरती की एक परिभाषा तय कर दी गई है। बहुत ही कम लोग होते हैं जो इसके परे देख पाते हैं। ऐसे लोग होने चाहिए हमारे समाज में। मैं नहीं जानता कि मैं कितना उनकी तरह हूं लेकिन हां, मैं एक अच्छा इंसान बनने की हमेशा कोशिश करता हूं।
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काम के लिए सख्त हैं मेघना गुलजार मेघना काम को लेकर काफी स्ट्रिक्ट हैं और जब आप ऐसी फिल्म बना रहे हैं तो जरूरी भी है। उनकी सोच बिल्कुल साफ रहती है कि हमें किस सीन को कैसे रिक्रिएट करना है जिससे गलती की कम गुंजाइश होती है। किसी भी फिल्म को शूट करने से पहले एक एक्टर को तैयारी के लिए बहुत वक्त मिला होता है इसलिए एक्टर का फर्ज है कि सेट पर जब वो शूटिंग के लिए आए तो डायरैक्टर की उम्मीदों पर खरा उतरे। काम को लेकर बातचीत होनी चाहिए। मेरी और मेघना की भी कई बार नोकझोंक हुई लेकिन वो फिल्म के लिए हैल्दी था, उसमें एक-दूसरे के विचारों के लिए पूरी रिस्पैक्ट बरकरार थी।
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