Friday, Jun 09, 2023
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exclusive interview with star cast pal pal dil ke paas

Exclusive Interview :'पल-पल दिल के पास’ की स्टार कास्ट के साथ खास बातचीत

  • Updated on 9/16/2019

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। 20 सितम्बर को फिल्म अभिनेता व सांसद सन्नी देओल (sunny deol) के बेटे करण देओल (karan deol) की पहली फिल्म ‘पल पल दिल के पास’ (pal dil ke paas) रिलीज हो रही है जिसको लेकर देओल फैमिली में बेहद उत्साहित व नर्वस माहौल बना हुआ है। आज फिल्म के डायरैक्टर सन्नी देओल,हीरो करण देओल व हीरोइन सहर लाम्बा पंजाब केसरी/नवोदय टाइम्स कार्यालय में विशेष तौर पर पधारे और फिल्म की स्टोरी, शूटिंग के अनुभव व अन्य कई अनुभव पाठकों के लिए हमसे सांझे किए। पेश हैं तीनों के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश:

बेटे की पहली फिल्म को लेकर कितने एक्साइटेड व नर्वस हैं?
पिता से ज्यादा नर्वस कोई नहीं होता जब उसके बेटे की पहली फिल्म का डैब्यू हो। अपने पापा धर्मेन्द्र(Dharmendra deol ) की उस घबराहट का मैं आज एहसास कर रहा हूं जैसी उन्हें मेरी पहली फिल्म ‘बेताब’ को लेकर हुई होगी। अब मैं अपने बेटे करण की पहली फिल्म ‘पल पल दिल के पास’ को लेकर काफी एक्साइटेड हूं।

फिल्म को खुद डायरैक्ट करने की कैसे ठानी?
पहले मैंने कोशिश की कि कोई अच्छा डायरैक्टर मिल जाए परंतु दिल को ऐसा कोई डायरैक्टर नहीं छुआ। फिल्म की कहानी व करैक्टर के हिसाब से लोकेशन, दिल को छू लेने वाली लव स्टोरी, फिल्म जिसमें लड़का हिमाचल (Himachal Pradesh) का है और लड़की दिल्ली (Delhi) की, फिल्म के अंत में ड्रामा आ रहा है। ऐसे में मैंने खुद ही फिल्म डायरैक्ट करने की ठानी।

करण क्या पहली फिल्म को लेकर आपका कॉन्फीडैंस तो नहीं डगमगाया?
कॉन्फीडैंस तो उस हर इंसान का डोल जाता है जो पहली बार कैमरे के सामने आए। मैंने पहले सीन में एक कार को चलाकर कुछ करना था लेकिन कार सही नहीं चली, कभी कार आगे निकल जाती तो कभी कार बंद हो जाती थी। 3 बार रीटेक के बावजूद सीन पूरा न होने की वजह से मेरा रोना निकल गया परंतु अगले दिन सब कुछ ठीक से हो गया। वहीं फिल्म की हीरोइन सहर बाम्बा ने कहा कि मेरा भी यही हाल था। सीन ठीक से न होने के कारण मैं भी खूब रोई परंतु बाद में सब ठीक हो गया।

सीन डायरेक्ट करते समय पापा प्यार से समझाते थे या डांट से?
हम (करण व सहर) डायरेक्टर के साथ पूरी तरह से कंफर्टेबल महसूस करते थे। वह हमें हरेक सीन को लेकर बेहद प्यार से समझाते थे, जब तक कि परफैक्ट शूट नहीं हो जाता था।

करण ने जब पहली बार एक्टर बनने का कहा तो आपको कैसा महसूस हुआ?
जब करण ने मुझे अपने बारे में बताया तो पहले तो उसे मैंने समझाया कि एक डाक्टर व इंजीनियर की जिंदगी सुकून से भरी होती है परंतु फिल्म एक्टर की पूरी जिंदगी स्ट्रगल से भरी होती है। आज फिल्म इंडस्ट्री में क्या माहौल है किसी से छिपा नहीं है, हर दिन आपका एक इम्तिहान होता है, जिसमें आप रोज पास या फेल होते हैं परंतु जब उसने ठान ही लिया तो उसकी बात मानते हुए हमेशा सच्चाई की राह पर चलने व डाऊन टू अर्थ बने रहने की नसीहत दी।

फिल्म की स्टोरी सिलेक्ट करने में कितनी दिक्कतें आईं?
 फिल्म की स्टोरी को सिलैक्ट करना भी बेहद जिम्मेवारी भरा होता है, क्योंकि दोनों बच्चों की उम्र व लहजे सहित, दोनों किस प्रकार की जिंदगी जी रहे हैं, उस ढंग से फिल्म की स्टोरी को सिलैक्ट करना था। आखिरकार काफी मेहनत के बाद फिल्म की कहानी चुनी और उस पर काम शुरू कर दिया। फिल्म की पूरी टीम ने पूरे फोकस व ईमानदारी से काम किया।

करण आप पर फिल्म इंडस्ट्री से संबंधित परिवार के होने का प्रैशर भी रहा होगा?
फार्मेंस के दौरान एक प्रैशर तो जरूर बना रहा कि दादा, पिता, चाचा के बाद मैंने भी ऐसा कुछ कर दिखाना है कि फिल्म इंडस्ट्री में अपना नाम बनाकर परिवार का नाम ऊंचा करूं परंतु पापा ने समझाया कि अगर ऐसा सोचोगे तो कभी काम नहीं कर पाओगे। रिलैक्स होकर रीयल लाइफ में आओ और नैचुरल तरीके से दिल लगा कर काम करो। बस फिर क्या था सारा प्रैशर उडऩछू हो गया।

फिल्म की शूटिंग हिमाचल में हुई, पहाड़ी इलाके में शूटिंग के दौरान कितनी दिक्कतें आईं?
सन्नी, करण व सहर ने बताया कि मनाली में फिल्म की शूटिंग काफी टफ रही। चारों तरफ पहाड़ ही पहाड़, बारिश, स्नो-फाल, लैंड स्लाइड के कारण काफी तकलीफें आईं। शूटिंग के लिए 4 बार हिमाचल जाना पड़ा परंतु स्क्रिप्ट के हिसाब से ही हमें लोकेशन पर ही शूटिंग करनी थी। इन्हीं दिक्कतों के कारण फिल्म भी लेट हो गई।


करण और सहर दोनों नए चेहरे, आप पहली बार डायरेक्टर, कैसे कंफर्ट बना?
सन्नी ने बताया कि मैं एक्टर हूं, मुझे एक्सपीरियंस है कि शूटिंग के दौरान डायरैक्टर मुझे सीन कैसे समझाते थे। इसीलिए हीरो-हीरोइन व टीम मैंबर्स को लेकर महीना मनाली में रहे। इस दौरान सभी की आपस में अटैचमैंट हो गई और एक-दूसरे के साथ सभी खुल गए थे जिस कारण कैमरे के सामने कुछ समय घबराहट के उपरांत करण व सहल एडजस्ट हो गए।

फिल्म में लव-इमोशन्स से भरे किरदार को निभाना कैसा अनुभव रहा?
करण व सहर ने बताया कि एक एक्टर के लिए इमोशन्स व प्यार से भरे सीन्स को करना कोई आसान काम नहीं है। एकाएक इमोश्नल, थ्रीलर, एक्शन भरे सीन को फिल्माने को बार-बार मूड बदलना पड़ता है। लव स्टोरी में किरदार के अनुसार काम करना जिंदगी का एक नया तुजुर्बा साबित हुआ।

फिल्म के गाने व डायलॉग कैसे हैं?
 सन्नी, करण व सहर ने बताया कि हरेक फिल्म की सफलता फिल्म के गानों व डायलॉग पर निर्भर करती है। अभी इस बारे में बताना कोई आसान नहीं है, क्योंकि फिल्म को लेकर फैसला दर्शकों ने करना है। परंतु ‘पल-पल दिल के पास’ का हरेक गाना व डायलॉग दर्शकों के दिलों दिमाग को छू ले ऐसा हमारा प्रयास रहा है।

बेटे की फिल्म के डायरैक्टर होने का आप पर कितना प्रेशर है?
सन्नी ने बताया कि उन पर डायरैक्टर होने का जरा-सा भी प्रैशर नहीं रहा और न ही है। परंतु जिम्मेदारी का प्रैशर जरूर है। दिल में डर बना हुआ है कि कहीं मुझसे कुछ गलत तो नहीं हो गया। परंतु मैंने फिल्म को पूरी ईमानदारी और लगन से बनाया है।


पंजाब में आकर कैसा महसूस हो रहा है?
करण व सहर ने बताया कि पंजाब के लोग बेहद मिलनसार स्वभाव के हैं। पंजाब में खूब टैलेंट है और सबका अपना-अपना रंग है। हम कल अमृतसर जा रहे हैं, पंजाबी खाना, पंजाबी तड़का, पंजाबी जायका, पंजाबी गाने जिस पर पूरी दूनिया फिदा है। पंजाबी गाना कहीं भी चले हरेक इंसान नाचने को मजबूर हो जाता है।

पंजाब के लोगों को कोई संदेश देना चाहेंगे?
सन्नी देयोल ने भावुक होते हुए कहा कि पंजाब हमारा घर है। पंजाब के लोगों ने पहले पापा धर्मेन्द्र फिर मुझे और मेरे भाई को ढेर सारा प्यार दिया। अब पंजाब के लोग दोनों बच्चों करण देयोल व सहर बाम्बे को भी अपना आशीर्वाद देंगे। मैं सभी से गुजारिश करूंगा कि फिल्म को जरूर देखें ताकि आप के प्यार से दोनों बच्चे फिल्म इंडस्ट्री में सफलता का मुकाम हासिल कर सकें।  

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