नई दिल्ली/टीम डिजिटल। इस साल की मोस्ट अवेटेड फिल्म और करण जौहर का ड्रीम प्रोजेक्ट ‘कलंक’ 17 अप्रैल को रिलीज हो रही है। तीन बार साथ काम करने के बाद आलिया भट्ट और वरुण धवन की सुपरहिट जोड़ी एक बार फिर से सिल्वर स्क्रीन पर धमाल मचाने वाली है।
उनके अलावा फिल्म में संजय दत्त, माधुरी दीक्षित, सोनाक्षी सिन्हा और आदित्य रॉय कपूर भी अहम किरदार निभाते नजर आएंगे। इस फिल्म को डायरेक्ट किया है अभिषेक वर्मन ने। फिल्म प्रमोशन के लिए दिल्ली पहुंचे वरुण, आलिया, सोनाक्षी और आदित्य ने पंजाब केसरी/ नवोदय टाइम्स/ जगबाणी/ हिंद समाचार से ढेर सारी बातें कीं। पेश हैं बातचीत के कुछ अंश:
'कलंक' के स्टार कास्ट ने दिल्ली में किया फिल्म का प्रचार
कलंक लगने से प्यार गलत नहीं हो जाता: वरुण धवन कलंक एक ऐसा धब्बा है जिसे हम कई बार प्यार से जोड़ते हैं लेकिन इसके लगने से प्यार गलत नहीं हो जाता। इस फिल्म में प्यार की शक्ति को दिखाया गया है। जब आपके पास प्यार होता है तो आप पूरी दुनिया से लड़ सकते हैं।
अलग होने के बावजूद मेरी तरह है जफर जफर का किरदार मुझसे काफी अलग है लेकिन हम दोनों में एक बात कॉमन है और वो है अपने रिश्ते को निभाने की चाहत। हम दोनों ही अपने रिश्ते को निभाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। दो साल की उम्र से अब तक बनाए गए रिश्ते आज भी मेरे साथ हैं।
मेरा मानना है कि जिंदगी में हर किसी के मिलने के पीछे एक वजह होती है इसलिए मैं हर रिश्ते को अंत तक निभाना चाहता हूं। यही खासियत जफर में भी है, वो जो रिश्ते बनाता है उसे कभी तोड़ता नहीं है।
बड़ी हो गई हैं आलिया आलिया मेरी बहुत ही अच्छी दोस्त हैं और वो बहुत ही ज्यादा मेहनत करती हैं। हम हमेशा एक-दूसरे के काम को बेहतर बनाने के लिए एक-दूसरे को चैलेंज करते रहते हैं। आलिया के साथ मैं कभी एक्टिंग नहीं कर पाता, किसी भी रोल को प्ले करने के लिए मुझे उस किरदार को अपनाना पड़ता है क्योंकि अगर मैं भी एक्टिंग करने की कोशिश करता हूं तो आलिया मुझे फील कराने के लिए अजीब से चेहरे बनाने लगती हैं। पहली फिल्म से अब तक साथ काम करने के बाद यही कह सकता हूं कि आलिया बड़ी हो गई हैं।
पाकिस्तानी टीवी शो से मिली मदद : आलिया भट्ट इस फिल्म को साइन करने के बाद फिल्म के डायरेक्टर अभिषेक ने मुझे कुछ ज्यादा तैयारियां करने के लिए नहीं कहा था लेकिन मैं इस फिल्म के लिए दिल से कुछ तैयारियां करना चाहती थी।
इसके लिए मैंने ‘मुगले आजम’, ‘उमराव जान’, ‘सिलसिला’ और ‘कभी-कभी’ फिल्में देखीं जिससे कि मेरी बॉडी लैंग्वेज में एक ग्रेस आ सके, मैं अपने एक्सप्रेशन पर काम कर सकूं। उसके बाद अभिषेक ने मुझे एक पाकिस्तानी टीवी शो ‘जिंदगी गुलजार है’ देखने को कहा जिससे मुझे काफी मदद मिली।
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प्यार को लेकर पुराने ख्याल की हूं प्यार को लेकर मेरे ख्याल आज भी पुराने जमाने जैसे हैं। मैं आज भी सोलमेट में विश्वास रखती हूं। फिल्म में एक डायलॉग है जिससे मैंने खुद को सबसे ज्यादा जुड़ा हुआ पाया और वो था ‘अकसर लोग मोहब्बत में तबाह हो जाते हैं लेकिन कुछ लोग अपनी तबाही में भी मोहब्बत ढूंढ लेते हैं।’
वरुण के साथ काम करने में मिलती है फ्रीडम वरुण के साथ काम करते वक्त मैं जैसे चाहूं वैसे रह सकती हूं। मुझे ये नहीं सोचना पड़ता कि मुझे क्या बोलना है या कैसा व्यवहार करना है। काम करते वक्त अगर कभी भी हम दोनों को एक-दूसरे के काम में कुछ कमी लगती है तो हम दोनों बिना किसी झिझक के बोल देते हैं जिससे हमारा काम बेहतर होता है।
एफर्टलेस एक्ट्रेस हैं सोनाक्षी सोनाक्षी की खास बात यह है कि एक्टिंग करने के लिए उन्हें किसी भी चीज की जरूरत नहीं होती है। मुझे सोनाक्षी की सबसे अच्छी बात यही लगती है कि वो अपने काम को लेकर सीरियस तो हैं लेकिन वो खुद को बहुत गंभीरता से नहीं लेती हैं। वो एफर्टलेस एक्ट्रेस हैं और ये भी एक वजह है कि जितने लोगों ने उनके साथ काम किया है वो बार-बार उनके साथ काम करना चाहते हैं।
करियर का सबसे स्पेशल किरदार है ‘सत्या’: सोनाक्षी सिन्हा सत्या मेरे करियर का सबसे स्पेशल किरदार है। इस किरदार की सबसे खूबसूरत बात है उसकी ताकत। जिस तरह से वो परिस्थितियों से गुजरती है और चीजों को संभालती है वो बहुत ही अलग है। इस किरदार को निभाना मेरे लिए बहुत ही खास था।
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लकी हैं आलिया मुझे माधुरी दीक्षित के साथ काम करने का मौका मिला ये मेरी खुशकिस्मती है। मैंने ये दूसरी बार उनके साथ काम किया है लेकिन एक ही फिल्म में काम करने के बावजूद हम स्क्रीन स्पेस शेयर नहीं कर पाए। मुझे लगता है आलिया बहुत ही लकी हैं कि उन्हें माधुरी के साथ स्क्रीन स्पेस शेयर करने का मौका मिला और मैं उम्मीद करती हूं कि जल्द ही मुझे भी ये मौका मिलेगा।
पहली बार निभाया है इस तरह का किरदार: आदित्य रॉय कपूर देव जैसा किरदार मैंने पहले कभी नहीं किया। वो बहुत ही सच्चा और सिद्धांतों पर जीने वाला इंसान है। देव एक खास किरदार था जिसके लिए मुझे काफी तैयारी करनी पड़ी। इसके लिए मैंने ‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’, ‘इंडियन समर’ जैसी कई किताबें पढ़ीं। इसके साथ ही मैंने ‘अंदाज’, ‘मधुमती’ जैसी कुछ पुरानी फिल्में भी देखी जिससे कि मैं अपनी बोली और बॉडी लैंग्वेज पर काम कर पाऊं।
शूटिंग करते वक्त लगता था डर फिल्म की शूटिंग के वक्त कभी-कभी थोड़ी घबराहट होती थी क्योंकि आपके कुछ किरदार में इतनी गहराई होती है कि एक एक्टर के तौर पर आपकी जिम्मेदारी बढ़ जाती है। आलिया और मैं डियर जिंदगी में को-एक्टर होने के साथ-साथ पार्टी फ्रैंड्स भी हैं जिसके कारण उनके साथ काम करना काफी कंफर्टेबल था।
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