Tuesday, Dec 12, 2023
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आईजीएनसीए में लगी वैदिक, भक्ति काल से लेकर आजादी तक महिलाओं का इतिहास बताती प्रदर्शनी

  • Updated on 3/14/2022

नई दिल्ली/पुष्पेंद्र मिश्र। भारतीय महिलाओं ने न सिर्फ संविधान के निर्माण में योगदान दिया। बल्कि स्वतंत्रता संग्राम में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। महिलाओं ने ऋग्वेद के सूक्त भी लिखे, उपनिषद की रचनाओं में भी उनका योगदान रहा। वेदों में महिलाओं पर कई श्लोक लिखे गए हैं जिनमें से कुछ श्लोकों को आईजीएनसीए में प्रदर्शित किया गया है।

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शक्ति पर्व से लगी प्रदर्शनी में 68 महान महिलाओं को दी गई जगह
शक्ति पर्व के नाम से लगी इस प्रदर्शनी में महिलाओं को स्मरण कराते डाक टिकट, वैदिक काल और भक्ति काल में जिन महिलाओं ने ख्याति प्राप्त की उन सभी के बारे में बताया गया है। इस प्रदर्शनी में दर्शकों को पहली बार बुरका प्रथा पर खिलाफत करने वाली महिला, सिखों की लंगर परंपरा में शुरूआती योगदान देने वाली महिला और कलकत्ता में अंग्रेजों से मछुआरों के लिए लडऩे वाली महिला की जानकारी भी मिलेगी।

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21 मार्च तक दर्शकों के अवलोकन के लिए खुली है प्रदर्शनी
आईजीएनसीए में महिलाओं की वीरता, शौर्य और असाधारण क्षमता का बखान करती यह प्रदर्शनी यह दर्शाती है कि महिलाओं के बारे में जो भ्रांतियां फैली हैं वह सभी सत्य नहीं हैं। इतिहास महिलाओं के साहस का गवाह रहा है। महिला दिवस और आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत लगी इस प्रदर्शनी में कस्तूरबा गांधी, कमला नेहरू, चंद्रप्रभा, अदिति, अपाला, गार्गी, मैत्रेयी, सुगरा हुमायू मिर्जा, बेगम अख्तर, वेदिका रानी, मीराबाई, अक्का महादेवी, रानी लक्ष्मी बाई, राजकुमारी अमृत कौर, कमला चौधरी, लीला रॉय, सुचेता कृपलानी, दुर्गाबाई देशमुख, सरोजनी नायडू, विजय लक्ष्मी पंडित, जीजाबाई समेत 68 महिलाओं को शामिल किया गया है।

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लगा मंगेश्कर को दी गई श्रद्धांजलि
इस प्रदर्शनी में सुर साम्रागी लता मंगेश्कर को भी श्रृद्धांजलि दी गई है। आईजीएनसीए में प्रदर्शनी के बारे में श्रुति अवस्थी ने बताया कि हम कुछ और मोनोग्राम तैयार कर रहे हैं ताकि प्रदर्शनी में लगाई गई महिलाओं की संख्या 75 की जा सके। 8 मार्च को परिसर में संस्कृति राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी, आईजीएनसीए अध्यक्ष राम बहादुर राय और सदस्य सचिव स"िादानंद जोशी ने इसका उद्घाटन किया था। प्रदर्शनी सुबह 10 बजे से शाम 5.30 बजे कला प्रेमियों के अवलोकन के लिए खुली है।

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