नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर बनी समिति ने सोमवार को अपनी पहली बैठक में एमएसपी को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने समेत संबंधित मुद्दों पर व्यापक चर्चा की। हालांकि संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) बैठक में अनुपस्थित रहा। पूर्व कृषि सचिव संजय अग्रवाल की अध्यक्षता वाली इस समिति ने ‘शून्य बजट आधारित खेती को बढ़ावा देने’, देश की बदलती जरूरतों को ध्यान में रखते हुए फसल पतिरूप को ‘बदलने’ और एमएसपी को और अधिक ‘प्रभावी तथा पारदर्शी’ बनाने के तरीकों पर चर्चा की। समिति में इसके अध्यक्ष सहित 26 सदस्य हैं और एसकेएम के प्रतिनिधियों के लिए तीन सदस्यों की सीट अलग रखी गयी है।
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समिति के सदस्य बिनोद आनंद ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘तीन विषयों पर एक प्रस्तुति दी गई थी। इसे समिति की तरफ से गौर किये जाने और सिफारिश करने की आवश्यकता है। इसे क्या और कैसे करने की जरूरत है, किस राज्य सरकार ने अब तक बेहतर प्रदर्शन किया है और कौन सा सफल मॉडल है और उससे क्या सीखने की जरुरत है जैसे विषयों पर चर्चा की गई है।’’किसान समूह सीएनआरआई में महासचिव का प्रभार संभाल रहे आनंद ने कहा कि एसकेएम के प्रतिनिधि दिन भर चली बैठक में मौजूद नहीं थे। नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद भी अन्य व्यस्तताओं के कारण मौजूद नहीं थे। एसकेएम द्वारा तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने और सरकार को उन्हें निरस्त करने के लिए मजबूर करने के बाद 18 जुलाई को इस समिति की स्थापना की की गई थी। एसकेएम ने पहले ही इस समिति को खारिज कर दिया है और अपने प्रतिनिधियों को नामित नहीं करने का फैसला किया है।
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पिछले साल नवंबर में तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की घोषणा करते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के एमएसपी मुद्दों पर गौर करने के लिए एक समिति गठित करने का वादा किया था। बैठक में भाग लेने वाले अन्य सदस्यों में भारतीय आर्थिक विकास संस्थान के कृषि-अर्थशास्त्री सीएससी शेखर और आईआईएम-अहमदाबाद से सुखपाल सिंह और कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) के वरिष्ठ सदस्य नवीन पी सिंह शामिल थे। बैठक में भाग लेने वाले किसान प्रतिनिधियों में राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता किसान भारत भूषण त्यागी के साथ-साथ गुणवंत पाटिल, कृष्णवीर चौधरी, प्रमोद कुमार चौधरी, गुनी प्रकाश और सैय्यद पाशा पटेल शामिल थे। इफको के अध्यक्ष दिलीप संघानी भी बैठक में मौजूद थे। बैठक में कृषि विश्वविद्यालयों के वरिष्ठ सदस्य, केंद्र सरकार के सचिव और कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, सिक्किम और ओडिशा के मुख्य सचिव भी मौजूद थे।
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