Friday, Jun 02, 2023
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पूरे दिन भूख हड़ताल पर रहे किसान नेता, देशभर में प्रदर्शन, विपक्षी दलों का भी मिला समर्थन

  • Updated on 12/15/2020

नई दिल्ली, (नवोदय टाइम्स)। केंद्र के तीनों नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसान संगठनों के नेताओं ने सोमवार को एक दिन की भूख हड़ताल कर अपने आंदोलन को और तेज करने का संकेत दिया। इस आंदोलन को समर्थन देते हुए देशभर में जिला मुख्यालयों पर भी विभिन्न किसान संगठनों ने धरना-प्रदर्शन किया। उन्हें विपक्षी दलों का भी भरपूर समर्थन मिला। इस दौरान राजस्थान समेत कई राज्यों के किसान ट्रैक्टर रैली लेकर दिल्ली की ओर से रवाना हुए, जिसके चलते दिल्ली-जयपुर हाईवे समेत कई रास्तों पर दिनभर जाम लगा रहा। आंदोलनरत किसान दिल्ली आने वाले विभिन्न मार्गों को पिछले 19 दिनों से घेरे बैठे हैं।

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पुलिस ने कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया

पूर्व घोषित कार्यक्रम के मुताबिक जो संगठन जिस नाके पर डेरा डाले हुए है, उसके मुखिया ने उसी जगह रहते हुए एक दिन की भूख हड़ताल की। भारतीय किसान यूनियन दोआबा के अध्यक्ष मनजीत सिंह ने कहा कि सरकार को हमारा संदेश है कि उसकी नीतियों के कारण अन्नदाता को उपवास करना पड़ा। सरकार को तीन कृषि कानूनों को निरस्त करना चाहिए।

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किसान नेता बलदेव सिंह ने बताया कि किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने सिंघू बार्डर पर भूख हड़ताल की। सुबह आठ बजे से शाम पांच तक यह भूख हड़ताल चली। किसान नेताओं ने दावा किया कि देश के सभी जिला मुख्यालयों पर भी किसानों ने उनके आंदोलन के समर्थन और तीनों कानून के खिलाफ धरना-प्रदर्शन किया। इस दौरान कई जगहों से किसानों को हिरासत में लेने की भी खबरें आई। दिल्ली-जयपुर हाईवे पर जाम के चलते पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर किसानों को तितर बितर किया और उनके ट्रैक्टरों की चाबियां छीन ली।

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करीब दर्जनभर किसानों को पुलिस ने हिरासत में लिया है। राजस्थान से दिल्ली के लिए निकले किसानों को जयपुर-दिल्ली राजमार्ग पर हरियाणा पुलिस ने सीमा पर ही रोक लिया। स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव के नेतृत्व में कुछ किसान संगठनों ने जयसिंहपुर-खेरा सीमा पर डेरा डाला है। यहीं पर यादव ने एक दिन की भूख हड़ताल की। मेरठ में भी तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों और विपक्षी दलों के नेताओं ने प्रदर्शन किया। कांग्रेस, सपा और आम आदमी पार्टी के तमाम नेताओं को स्थानीय पुलिस ने नजरबंद कर दिया और कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया है।
 
---भूख-हड़ताल में शामिल नहीं हुए बीकेयू एकता उग्रहां के नेता
नई दिल्ली। भारतीय किसान यूनियन (उग्रहां) के महासचिव सुखदेव सिंह ने पंजाब के 32 किसान यूनियंस के एक दिन के अनशन से खुद को अलग कर लिया। सुखदेव सिंह ने पिछले हफ्ते एक कार्यक्रम किया था, जिसमें गिरफ्तार किए गए समाजसेवी कार्यकर्ताओं और आंदोलनकारियों की रिहाई की मांग की थी।  इस दौरान टिकरी बॉर्डर पर हाथ में पोस्टर लिए गिरफ्तार किए गए कार्यकर्ताओं की रिहाई की मांग करते दिखे थे। इन तस्वीरों में दिल्ली दंगा भड़काने के कई आरोपियों के चेहरे थे। इन तस्वीरों के वायरल होने के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि ये आसामाजिक तत्वव किसान की आड़ में आंदोलन का माहौल बिगाड़ने की साजिश कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि इसके बाद से ही बाकी किसान यूनियनें उग्रहां गुट से थोड़ी दूरी बनाए हुए हैं। सुखदेव सिंह का कहना है कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया था। मानवाधिकार दिवस पर आयोजित इस कार्यक्रम में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की रिहाई की मांग की गई थी।

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---सरकार के लिए थोड़ी राहत, कई संगठनों ने दिया समर्थन

नई दिल्ली, 14 दिसम्बर (नवोदय टाइम्स)। बीते 19 दिनों से चले आ रहे किसान आंदोलन से परेशान केंद्र सरकार ने सोमवार को तब थोड़ी राहत महसूस की, जब देश के विभिन्न राज्यों से आए करीब 10 किसान संगठनों ने तीनों कृषि कानूनों का समर्थन जताते हुए कृषि मंत्री को एक ज्ञापन दिया। बाद में हरियाणा के कई विधायकों और सांसदों ने भी कृषि मंत्री से मुलाकात की।

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हरियाणा और उत्तराखंड के कुछ किसानों के बाद अब सोमवार को केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, हरियाणा और महाराष्ट्र के करीब 10 किसान संगठनों ने आल इंडिया किसान को-ऑर्डिनेशन कमेटी के बैनर तले केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से कृषि भवन में मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने एक ज्ञापन दिया, जिसमें केंद्र के तीनों कृषि कानूनों का खुलकर समर्थन जताया है। उन्होंने कहा कि तीनों कृषि कानून किसानों के हित में हैं और इन्हें कतई वापस नहीं लिया जाना चाहिए।

 

 

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