नई दिल्ली/टीम डिजिटल। केंद्र की मोदी सरकार के नए कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान नेताओं की आज 11.00 बजे सिंघु बॉर्डर (Singhu Border) पर बैठक होने जा रही है। सरकार के साथ लगातार चार बैठक करने के बाद किसान नेताओं की आज बातचीत होगी। इस बैठक में नेताओं और किसानों को बताया जाएगा कि गुरुवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में सरकार के साथ हुई बैठक में उनके सामने क्या-क्या बातें रखी गई है। इसके अलावा आगे की रणनीति पर मंथन होगा, क्योंकि दोनों पक्ष एक बार फिर से 5 दिसंबर को आमने-सामने होंगे।
इस बीच पंजाब, हरियाणा और गुजरात समेत कई क्षेत्रों से किसान प्रदर्शनकारी सिंघु बॉर्डर पर डटे हुए हैं। एक किसान प्रदर्शनकारी ने बताया, 'इन कानूनों को रद्द करने के लिए सभी राज्यों के किसान संगठनों को बुलाया जाए, प्रधानमंत्री खुद मीटिंग लें और कानूनों को रद्द करने का निर्णय लें।' वहीं सरकार के साथ बैठक के बाद भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार ने MSP पर संकेत दिए हैं। सरकार बिलों में संशोधन चाहती है। आज बात कुछ आगे बढ़ी है। आंदोलन जारी रहेगा। 5 दिसंबर को बैठक फिर से होगी।
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एमएसपी पर कानून चाहते हैं किसान किसान एमएसपी पर कानून चाहते हैं। उन्होंने फिर जोर दिया कि नए कानूनों पर किसानों को पूरी कानूनी सुरक्षा दी गई है। तोमर ने किसानों की जायज चिंता बताते हुए कहा कि एमएसपी है और एमएसपी रहेगा। सरकार ने इसमें कोई बदलाव नहीं किया, बल्कि और मजबूत करने का काम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विवाद की स्थिति में सिविल कोर्ट जाने की किसानों की मांग पर भी सरकार विचार करेगी। उन्होंने कहा कि अब अगले दौर की बैठक 5 दिसम्बर को 2 बजे से होगी, जिसमें बाकी मसलों पर चर्चा होगी।
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बैठक के बाद किसानों की नारेबाजी वहीं, बैठक के बाद नारेबाजी करते हुए सभा स्थल से बाहर आए किसान नेताओं ने कहा कि वार्ता में गतिरोध बना हुआ है। भारतीय किसान यूनियन के प्रमुख राकेश टिकैत ने बताया कि सरकार सिर्फ संशोधन की बात कर रही है, जबकि हमारी मांग है कि पहले तीनों कानून वापस लिए जाएं। उन्होंने कहा कि अभी कई बिंदुओं पर बात होनी बाकी है, जिस पर शनिवार को फिर से दोनों पक्ष बैठेंगे। इसके पहले बैठक की शुरूआत में किसानों ने सरकार की मंशा अनुसार तीनों कानूनों पर अपनी आपत्तियां, सुझाव और मांगें लिखित में दी।
किसान आंदोलन: फिर बेनतीजा रही बैठक, 5 दिसंबर तक अंतिम फैसले के आसार
किसानों ने रखी ये प्रमुख मांगें-- 1-तीनों केंद्रीय कृषि कानून सरकार तत्काल वापस हों। 2-एमएसपी पर खरीद की गारंटी देने वाला कानून बने। 3-एमएसपी निर्धारण में स्वामीनाथन कमेटी फार्मला लागू हो। 4-पराली जलाने पर मुकदमा दर्ज करने का कानून रद्द हो। 5-खेती के लिए डीजल आधी कीमत पर मिले। 6-किसान नेताओं, एक्टिविस्टों पर दर्ज हुए मुकदमे वापस हों।
चौथे दौर में भी नहीं बनी बात, किसानों से सरकार की फिर होगी बात
सरकार ने रखी यह बात- 1-सरकार हर बिंदु पर विचार के बाद जरूरत अनुसार संशोधन को तैयार। 2-एमएसपी है, एमएसपी रहेगी। जरूरत अनुसार और सशक्त किया जाएगा। 3-एपीएमसी एक्ट को और मजबूत करने के लिए सरकार हर प्रावधान लाएगी। 4-मंडियों के बाहर ट्रेडर्स के रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था बनाई जाएगी। 5-विवाद की स्थिति में सिविल कोर्ट जाने की मांग पर सरकार का सकारात्मक रुख। 6-एपीएमसी मंडियों और निजी मंडियों के लिये समान अवसर सुनिश्चित करने पर विचार होगा।
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बात नहीं बनी तो 5 दिसंबर को दिल्ली में प्रवेश करेंगे बता दें कि एक बार फिर वार्ता विफल होने के बाद किसानों ने चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर 5 दिसंबर तक सरकार ठोस निर्णय नहीं लेती है, तो किसान बॉर्डर से कूच कर दिल्ली में प्रवेश करेंगे। इसके लिए वह कोई भी कीमत चुकाने को तैयार हैं। दूसरी तरफ खुफिया एजेंसियों ने गृह मंत्रालय और सरकार को अलर्ट किया है कि गेहूं की फसल की बुआई हो चुकी है, नतीजतन किसान अभी एक माह खाली रहेंगे, इसलिए उनके लिए लंबा धरना करना बड़ी बात नहीं है। अगर ऐसा हुआ तो राजधानी के हालात बिगड़ सकते हैं।
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हरियाणा-UP समेत सभी राज्यों की पुलिस को अलर्ट जारी अभी तक केवल पंजाब और यूपी के किसान प्रदर्शन में शामिल थे, लेकिन धीरे-धीरे आंदोलन की सुगबुगाहट मध्य प्रदेश, राजस्थान और पूर्वांचल, यूपी में भी शुरु हो गई है। ऐसे में गृह मंत्रालय ने हरियाणा-उत्तर प्रदेश सभी राज्यों की पुलिस को अलर्ट जारी कर निर्देशित किया है कि किसानों को एकजुट न होने दिया जाए और किसी की तरह उन्हें दिल्ली आने से रोका जाए।
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