नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड और एनआईए के नोटिस को लेकर किसान संगठनों ने अपना रुख साफ किया है। किसान यूनियनों का कहना है कि 26 जनवरी को किसान दिल्ली में बाहरी रिंग रोड पर ट्रैक्टर परेड निकालेंगे। इसमें देशभर से किसान शामिल होंगे। इसके साथ ही राज्यों में भी किसान ट्रेक्टर परेड निकालेंगे। इस साथ ही 40 से ज्यादा किसानों को एनआईए के नोटिस पर भी किसान नेताओं ने अपने जज्बात शेयर किए।
आंदोलनरत किसानों की ना के बीच SC द्वारा नियुक्त कमेटी की पहली बैठक की तैयारी शुरू योगेंद्र यादव ने किसान यूनियन के संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन का समर्थन करने वाले लोगों के खिलाफ राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) मामले दर्ज कर रहा है। यह सरासर किसानों को डराने की कोशिश है, लेकिन इससे किसान डरने वाला नहीं है। उसके हौंसले और भी बुलंद होंगे। 26 जनवरी को किसान ट्रेक्टर परेड के जरिए अपनी ताकत का अहसास कराएगा।
किसान यूनियनों को ‘‘अडिय़ल’’ रुख छोड़ देना चाहिए: तोमर नये कृषि कानूनों को लेकर 19 जनवरी को होने वाली दसवें दौर की वार्ता से पहले कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने रविवार को किसान नेताओं से फिर आग्रह किया कि वे नए कृषि कानूनों पर अपना ‘‘अडिय़ल’’ रुख छोड़ दें और कानूनों की हर धारा पर चर्चा के लिए आएं। तोमर ने मध्य प्रदेश में अपने गृह निर्वाचन क्षेत्र मुरैना रवाना होने से पहले पत्रकारों से कहा, ‘‘अब जबकि उच्चतम न्यायालय ने इन कानूनों के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है तो ऐसे में अडिय़ल रुख अपनाने का कोई सवाल हीं नहीं उठता है।’’
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उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है कि किसान नेता 19 जनवरी को होने वाली अगली बैठक में कानून की हर धारा पर चर्चा के लिए आएं। उन्होंने कहा कि कानूनों को निरस्त करने की मांग को छोड़कर, सरकार ‘‘गंभीरता से और खुले मन के साथ’’ अन्य विकल्पों पर विचार करने के लिए तैयार है। तोमर हजूर साहिब नांदेड़-अमृतसर सुपरफास्ट एक्सप्रेस द्वारा अपने निर्वाचन क्षेत्र के लिए रवाना हुए। उन्हें सिख समुदाय के सह-यात्रियों से लंगर साझा करते हुए देखा गया।
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गौरतलब है कि केन्द्र के नये कृषि कानूनों के खिलाफ किसान विशेषकर हरियाणा और पंजाब के किसान दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं। उच्चतम न्यायालय ने केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों के क्रियान्वयन पर 11 जनवरी को अगले आदेश तक के लिए रोक लगा दी थी। साथ ही, न्यायालय ने गतिरोध का हल निकालने के लिए चार सदस्यीय एक समिति भी नियुक्त की थी।
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तोमर ने कहा कि सरकार ने कुछ रियायतों की पेशकश की थी, लेकिन किसान नेताओं ने लचीला रूख नहीं दिखाया और वे लगातार कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने दोहराया कि सरकार पूरे देश के लिए कानून बनाती है। कई किसानों, विशेषज्ञों और अन्य हितधारकों ने कानूनों का समर्थन किया है। केन्द्र और 41 किसान यूनियनों के बीच अब तक नौ दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका है।
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