Thursday, Mar 23, 2023
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किसान आंदोलन: अचानक क्यों बुलानी पड़ी  बैठक, क्या है सरकार की रणनीति?

  • Updated on 12/9/2020

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। नए कृषि कानूनों (New Farm laws) के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों को मंगलवार की शाम केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने बैठक के लिए बुलाया। इससे सरकार के नरम पड़ने की संभावना जागी, लकिन 3 घंटे चली अनौपचारिक बैठक भी बेनतीजा रही और आज यानी बुधवार को सरकार के साथ होने वाली किसानों की बैठक भी टल गई। अब तक की जो भी बातचीत हुई है सरकार उसके आधार पर किसानों के लिए नए सिरे से लिखित प्रस्ताव बनाएगी। 

अमित शाह के साथ हुई बैठक के बाद किसान नेता हनन मोल्ला ने बताया कि गृहमंत्री संशोधन की बात कह रहे हैं, जबकि किसान तीनों कानून वापस चाहते हैं। उन्होंने कहा कि कानूनों को वापस लिए जाने से कम किसानों को कुछ भी मंजूर नहीं है। बैठक में पंजब से 8 और 4 किसान प्रतिनिधि बाकी राज्यों के थे।

इनमें राकेश टिकैत, हनन मोल्ला, शिव कुमार कक्का जी, रूलदू सिंह, बोध सिंह मानसा, गुरनाम सिंह चढूनी, जगजीत सिंह दलेवाल, बलवीर सिंह राजेवाल, कुलवंत सिंह संधू, मंजीत सिंह राय, बूटा सिंह बुर्जगिल, हरिंदर सिंह लखोवाल और दर्शन पाल शाम करीब 7 बजे तय समय पर शाह के आवास पर पहुंचे, जहां उन्हें आईसीएसआर के गेस्ट हाउस, पूसा कृषि इंस्टीट्यूट ले जाया गया। वहीं से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए उनकी बात हुई।

हालांकि इस एक्सरसाइज से किसान नेता रोलदू सिंह नाराज हो गए। वो पूसा इंस्टीट्यूट जाने के बजाय सिंघू बॉर्डर वापस चले गए। सूत्रों की मानें तो शाह ने किसानों को भरोसा दिलाने की कोशिश की कि इन तीनों कानूनों से किसानों के हितों को कोई नुकसान नहीं होगा। 

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पीएम मोदी ने बुलाई कैबिनेट बैठक
वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार यानी आज सुबह कैबिनेट की बैठक बुलाई है। सूत्रों की मानें तो बैठक का एजेंडा नए कृषि कानून और किसान आंदोलन है। गतिरोध खत्म करने के लिए सरकार बीच का रास्ता निकालने की कोशिश कर रही है। वह कानूनों में कुछ संशोधन कर सकती है। फिर भी अगर किसान अपनी बात पर अड़े रहे तो संभव है कि कोई अहम फैसला सरकार की ओर से लिया जा सकता है। हालांकि कानून को वापस लेने का संकेत कहीं से भी अब तक नहीं मिला है। लेकिन संभव है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद की गांरटी देने पर सरकार फैसला ले ले।

आज राष्ट्रपति से मिलेंगे विपक्ष के नेता
दूसरी ओर विपक्ष के तमाम नेता कृषि कानूनों और किसान आंदोलन को लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने वाले हैं। एनसीपी प्रमुख शरद पवार के साथ ही कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी इन नेताओं में शामिल रहेंगे। विपक्ष ने संसद में इन कानूनों को पारित होते वक्त भी विरोध किया था और राष्ट्रपति से विधेयक पर हस्ताक्षर करने से मना किया था। 

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किसान संगठनों के बीच हो सकती है आपसी तकरार!
जब से दिल्ली चलो किसान आंदोलन शुरू हुआ तब से सरकार किसान के कुछ चुनिंदा नेताओं से बातचीत करना चाहती थी, लेकिन किसान सभी संगठनों के प्रतिनिधियों को बैठक में लेजाने पर अड़े रहे। लेकिन अमित शाह की बैठक में किसान एक कमद पीछे हटते दिखे और केलव 13 किसान नेताओं ने अमित शाह से बातचीत की। ऐसे में पंजाब के मालबा की सबसे प्रभावी किसान जत्थेबंदी भाकियू अगराहा के प्रांतीय अध्यक्ष योगेंद्र सिंह उगराहा का बायन सामने आया कि सरकार की इस अनौपचारिक बातचीत में किसान जत्थेबंदियों को शामिल नहीं होना चाहिए था।  

वहीं कुछ ने कहा कि अमित शा से बातचीत के विषय में कुछ संगठनों को खबर तक नहीं है। दरअसल उगराहा संगठन दिल्ली के साथ-साथ मालबा में भी डटा है। इस स्थिति में किसान संगठनों के बीच नाराजगी होने की संभवाना बनती दिख रही है। वहीं हरियाणा के कुछ किसान कृषि कानूनों के समर्थन में आए हैं और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से इस बाबत मुलाकात भी की है। अब सबकी नजर आज की कैबिनेट बैठक, और सरकार के लिखित प्रस्ताव पर टिकी है, जिसके बाद साफ हो पाएगा कि सरकार के रुख पर किसानों की क्या राय है।  

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