नई दिल्ली/टीम डिजिटल। रबी की फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की हालिया घोषणा में मोदी सरकार ने एक बार फिर अपना किसान विरोधी रवैया दिखाया है। सरकार द्वारा घोषित कीमतें बहुत कम हैं और यह किसी भी सूरत में किसानों को स्वामीनाथन आयोग द्वारा अनुशंसित किया गया है।
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किसान नेताओं ने वीरवार को कहा कि एमएसपी में वृद्धि, खेती की अत्यधिक बढ़ी हुई लागत और किसानों द्वारा खरीदी जाने वाली उपभोग वस्तुओं की कीमतों में मुद्रास्फीति के मुकाबले बहुत ही कम है। गेहूं के एमएसपी में केवल 5.5 प्रतिशत और चना के एमएसपी में केवल 2 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। यह याद रखना जाना चाहिए कि 2022 के अधिकांश महीनों मेंए खाद्य पदार्थों की उपभोक्ता कीमतों में मुद्रास्फीति 7 प्रतिशत से अधिक रही है।
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अखिल भारतीय किसान सभा के हन्नान मौल्ला, अशोक धवले ने कहा कि किसान विरोधी घोषणा करते हैं। साथ ही एक बार फिर स्वामीनाथन आयोग के फार्मूले के अनुरूप एमएसपी तय हो यह मांग करते हैं। किसान नेताओं ने एमएसपी की कानूनी गारंटी के लिए अपने देशव्यापी संघर्ष को व्यापक व तेज करने का आह्वान किया।
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