नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। केंद्र सरकार (Central Government) के नए कृषि कानूनों (Farm Laws) को वापस लेने की मांग पर अड़े किसानों का आंदोलन 50वें दिन भी जारी है। इस बीच 26 जनवरी को होने वाली किसान ट्रैक्टर रैली को लेकर भारतीय किसान यूनियन ने अब बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने कहा है कि किसान रैली लाल किले पर नहीं दिल्ली की सीमाओं पर ही आयोजित की जाएगी।
केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी (Kailash Choudhary) ने किसान भाईयों से अपील करते हुए कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट की कमेटी के सामने अपना पक्ष रखें। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने जो कमेटी बनाई है वह निष्पक्ष है। इसके साथ ही कैलाश चौधरी ने गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर रैली को लेकर कहा कि यह हमारा राष्ट्रीय पर्व है, अगर कोई उसमें बाधा डालेगा तो पूरे विश्व में इसका गलत संदेश जाएगा।
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कैलाश चौधरी की किसानों से अपील केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने पत्रकारों से कहा, 'मैं किसान भाईयों से कहना चाहूंगा कि सुप्रीम कोर्ट ने जो कमेटी बनाई है वह निष्पक्ष है। उसके सामने अपना मुद्दा रखें ताकि कोर्ट समय पर निर्णय कर सके। अब जो भी फैसला होगा सुप्रीम कोर्ट के अंदर होगा। सरकार सिर्फ आग्रह कर सकती है।' किसानों की ट्रैक्टर रैली पर कैलाश चौधरी ने कहा, 'गणतंत्र दिवस हमारा राष्ट्रीय पर्व है, अगर कोई उसमें बाधा डालेगा तो पूरे विश्व में इसका गलत संदेश जाएगा। किसान यूनियन के नेताओं से आग्रह है कि वे इसे समझें। अभी भी उन्हें इस निर्णय को वापस ले लेना चाहिए। '
गणतंत्र दिवस हमारा राष्ट्रीय पर्व है, अगर कोई उसमें बाधा डालेगा तो पूरे विश्व में इसका गलत संदेश जाएगा। किसान यूनियन के नेताओं से आग्रह है कि वे इसे समझें। अभी भी उन्हें इस निर्णय को वापस ले लेना चाहिए: किसानों की ट्रैक्टर रैली पर कैलाश चौधरी https://t.co/kiluoAsnYP — ANI_HindiNews (@AHindinews) January 14, 2021
गणतंत्र दिवस हमारा राष्ट्रीय पर्व है, अगर कोई उसमें बाधा डालेगा तो पूरे विश्व में इसका गलत संदेश जाएगा। किसान यूनियन के नेताओं से आग्रह है कि वे इसे समझें। अभी भी उन्हें इस निर्णय को वापस ले लेना चाहिए: किसानों की ट्रैक्टर रैली पर कैलाश चौधरी https://t.co/kiluoAsnYP
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किसानों ने कमेटी के सामने जाने से किया इनकार वहीं सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद भी केंद्र सरकार और किसानों के बीच जारी गतिरोध खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने चाहे नए कृषि विवादित कानूनों को ठंडे बस्ते में डालकर पैनल गठित कर किसानों को अपनी बात उसके समक्ष रखने को कहा है। मगर किसानों ने पैनल के समक्ष जाने से साफ इनकार कर दिया।
इसके बारे में उनका मानना है कि पैनल में शामिल लोग इन कानूनों के हक में ही खुलकर बोलते हैं। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने यह बात स्पष्ट भी कर दी है। ऐसे में केंद्र सरकार और राजधानी दिल्ली को करीब डेढ़ महीने से घिरे बैठे किसानों के बीच 15 जनवरी की प्रस्तावित नए दौर की बातचीत में भी इस मामले का कोई हल निकलता नहीं दिख रहा है।
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15 जनवरी को नहीं बनी बात तो तेज होगा आंदोलन- किसान अगर सरकार ने 15 जनवरी को भी टालमटोल किया तो किसान संगठन अपने प्रदर्शन को तेज कर देंगे और 17 जनवरी को राजपथ पर जाने का प्लान बनाएंगे। बुधवार को किसानों ने लोहड़ी का त्यौहार भी प्रदर्शन स्थल पर मनाया। किसानों ने लोहड़ी की आग में तीनों कृषि कानूनों की प्रति भी जलाई। इस दौरान किसानों रेवडियां और मुगफली जैसे अन्य खाने के सामान भी बांटे। किसानों ने सरकार को चेतावनी दी है कि वह जल्द ही किसानों के बारे में सोचे नहीं तो वह जल्द ही राजपथ पर परेड में शामिल होंगे। किसान सरकार पर दवाब बनाने के लिए बार-बार इस बात को कह रहे हैं।
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कृषि कानूनों के कार्यन्वयन पर SC की रोक बता दें इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को तीनों कृषि कानूनों पर अंतरिम रोक लगा दी है। इसके साथ ही इस कानून से संबंधित विवाद को हल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक कमेटी के गठन का भी निर्देश दिया है जो संबंधित पक्षों के विवादित मामलों की सुनवाई करेगी। कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि कोई ताकत उसे नए कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए समिति का गठन करने से नहीं रोक सकती और उसे समस्या का समाधान करने के लिए कानून को निलंबित करने का अधिकार है।
SC की कमेटी के समक्ष जानें से किसानों का इनकार बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद भी केंद्र सरकार और किसानों के बीच जारी गतिरोध खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने चाहे नए कृषि विवादित कानूनों को ठंडे बस्ते में डालकर पैनल गठित कर किसानों को अपनी बात उसके समक्ष रखने को कहा है। मगर किसानों ने पैनल के समक्ष जाने से साफ इंकार कर दिया।
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आंदोलन तेज करने की चेतावनी अगर सरकार ने 15 जनवरी को भी टालमटोल किया तो किसान संगठन अपने प्रदर्शन को तेज कर देंगे और 17 जनवरी को राजपथ पर जाने का प्लान बनाएंगे। बुधवार को किसानों ने लोहड़ी का त्यौहार भी प्रदर्शन स्थल पर मनाया। किसानों ने लोहड़ी की आग में तीनों कृषि कानूनों की प्रति भी जलाई। इस दौरान किसानों रेवडियां और मुगफली जैसे अन्य खाने के सामान भी बांटे। किसानों ने सरकार को चेतावनी दी है कि वह जल्द ही किसानों के बारे में सोचे नहीं तो वह जल्द ही राजपथ पर परेड में शामिल होंगे। किसान सरकार पर दवाब बनाने के लिए बार-बार इस बात को कह रहे हैं।
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