नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में अपनी निर्धारित ट्रैक्टर रैली को लेकर अनिश्चितता की स्थिति के बीच, नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने मंगलवार को कहा कि शांतिपूर्ण मार्च की तैयारी पूरे जोरों पर है और वापस हटने का कोई सवाल ही नहीं है। दिल्ली पुलिस द्वारा ट्रैक्टर रैली में रोक लगाने की मांग करने के बाद, उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि इस पर निर्णय केंद्र सरकार और पुलिस को लेना है। अभी तक इस रैली को हालांकि आधिकारिक अनुमति नहीं मिली है।
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गौरतलब है कि किसान संगठनों ने घोषणा की है कि हजारों किसान 26 जनवरी को राष्ट्रीय राजधानी की आउटर रिंग रोड पर ट्रैक्टर रैली निकालेंगे। विरोध कर रहे संगठनों ने दावा किया है कि बुधवार को गुरु गोङ्क्षबद सिंह जयंती के बाद और अधिक किसानों के विरोध स्थलों पर पहुंचने की संभावना है। दोआबा किसान समिति के महासचिव अमरजीत सिंह रैरा ने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि सरकार हमें अपनी रैली के लिए अनुमति दे। यह हमारा देश है और अपनी मांगों को रखना हमारा संवैधानिक अधिकार है।’’
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उन्होंने कहा, च्च्हम अपने किसान संघों और राष्ट्रीय ध्वज के झंडे के साथ मार्च करेंगे। इसलिए अगर वे हमसे लड़ते हैं, तो वे‘तिरंगा’से लड़ रहे होंगे।’’ उन्होंने कहा कि किसानों को मार्च निकालने से रोकने के बजाय, केंद्र और पुलिस को रैली के लिए एक सुरक्षित रास्ता प्रदान करना चाहिए। हालांकि रैली की अंतिम योजना तैयार नहीं की गई है, मार्च के दौरान अनुशासन सुनिश्चित करने के लिए स्वयंसेवकों को लगाया जाएगा। पटियाला के एक किसान सुखजीत सिंह सिद्धू ने कहा, ‘‘रैली के पूर्वाभ्यास हमारे गांव में चल रहे हैं। यहां के स्वयंसेवकों को बताया जा रहा है कि मार्च के दौरान व्यवस्था को कैसे बनाए रखा जाए।’’
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उन्होंने कहा, ‘‘गुरूपरब (गुरु गोबिदद सिंह की जयंती) के बाद बृहस्पतिवार से लाखों लोग यहां पहुंचेंगे।’’ पंजाब के तरनतारन जिले के कुर्लाल सिंह ने कहा, 'हमारे किसान यूनियन नेताओं ने सरकार को परेड की रूपरेखा पहले ही उपलब्ध करा दी है, इसलिए हमें अनुमति नहीं देने का कोई कारण नहीं बनता।’’ उन्होंने कहा, 'हम अब तक शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करते आ रहे हैं, और हमारी रैली भी अहिंसक होगी। दिल्ली में प्रवेश करना हमारा संवैधानिक अधिकार है।’’
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गौरतलब है कि केंद्र सरकार और प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच भी नौ दौर की अलग से बात हुई थी लेकिन मुद्दे को सुलझाने की यह पहल बेनतीजा रही अब 10वें दौर की वार्ता बुधवार को प्रस्तावित है। दिल्ली की सीमा पर हजारों की संख्या में किसान करीब दो महीने से नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।
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