Thursday, Mar 30, 2023
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Exclusive Interview : मेरी जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा है 'छिछोरे'- नितेश तिवारी

  • Updated on 9/4/2019
  • Author : Alka Jaiswal

नई दिल्ली/अल्का जायसवाल। हर किसी की जिंदगी में कॉलेज लाइफ (College Life) एक खास जगह रखती है। ये वो दिन होते हैं जब हमें दोस्तों के रूप में कुछ ऐसे रिश्ते मिलते हैं जो जिंदगी के हर उतार-चढ़ाव में हमारे साथ खड़े होते हैं। कॉलेज के उन्हीं सुनहरे पलों की यादें ताजा करने और हमारी जिंदगी की एक तस्वीर हमारे सामने रखने इस 6 सितम्बर को रिलीज हो रही है फिल्म 'छिछोरे' (Chhichhore)। इस फिल्म में नजर आएंगे सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput), श्रद्धा कपूर (Shraddha Kapoor) और वरुण शर्मा (Varun Sharma)।

इसे डायरेक्ट किया है फिल्म 'दंगल' (Dangal) जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्म (Blockbuster Film)दे चुके डायरेक्टर नितेश तिवारी (Nitesh Tiwari) ने। फिल्म प्रमोशन (Film Promotion) के लिए दिल्ली (Delhi) पहुंचे नितेश ने पंजाब केसरी (Punjab Kesari) /नवोदय टाइम्स (Navodaya Times) से खास बातचीत की। पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश।

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सोचने पर मजबूर करेगी 'छिछोरे'
छिछोरे फिल्म के कैरेक्टर्स के नाम मेरे बैचमेट्स, जूनियर और सीनियर के नाम पर रखे गए हैं। ये फिल्म दो भागों में बंटी हुई है 1992 और 2019। जो यंग पोर्शन है ये वो जिंदगी है जो मैंने अपने कॉलेज के दिनों में हॉस्टल लाइफ में देखी थी जबकि ओल्ड वर्जन की कहानी को लिखा गया है। ये कह सकता हूं कि इस फिल्म का एक बड़ा हिस्सा मेरी जिंदगी से रिलेट करता है।  ये अनकंडिशनल, अनअपोलोजेटिक और टाइमलेस फ्रेंडशिप की कहानी है जो आपको हंसाएगी भी, रुलाएगी भी और सोचने पर भी मजबूर कर देगी।

आज भी बरकरार है वो पुराना रिश्ता
हालांकि मैं वॉट्सएप (Whats App) पर ज्यादा एक्टिव नहीं रहता हूं लेकिन उसमें आज भी एक ग्रुप है जो पिछले कई सालों से है और वो है मेरे हॉस्टल का ग्रुप। उसमें मेरे सारे सीनियर्स, सारे बैचमेट्स और बहुत सारे जूनियर्स हैं जिनके साथ मेरा आज भी वैसा ही रिश्ता है जैसे कॉलेज के दिनों में हुआ करता था। आज भी हम एक दूसरे को नॉर्मल नाम से नहीं बल्कि निकनेम से ही बुलाते हैं। हालांकि मुझे कभी कोई निकनेम नहीं मिला, हर कोई मुझे तिवारी कहकर ही बुलाता था। बीच में बाल बड़े करने के कारण लोग मुझे टपोरी बुलाने लगे थे लेकिन बाद में फिर से तिवारी नाम ही मेरे हाथ लगा।

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बॉलीवुड (Bollywood) से जुड़ना इत्तेफाक

भले ही मैं इंजीनियरिंग (Engineering) की पढ़ाई कर रहा था लेकिन हमेशा से ही मैं कुछ क्रिएटिव (Creative) करना चाहता था। पढ़ाई पूरी करने के बाद मैंने टेक्निकल जॉब (Technical Job) शुरू कर दी लेकिन उसी दौरान मुझे एहसास हुआ कि कुछ क्रिएटिव करके मैं इससे ज्यादा खुश रहूंगा। इंजीनियरिंग के दौरान मैंने एक ए़ड एजेंसी में इंटर्नशिप की थी जहां पर मैंने कॉपी राइटर्स (Copy Writers) को काम करते हुए देखा। वो सभी बड़े कूल से कपड़े पहनकर काम किया करते था जिससे इस फील्ड में मेरी रुचि भी बढ़ी। उस दौरान मैं काफी प्ले भी करता रहता है इसलिए हमेशा से दिमाग में था कि मुझे कभी न कभी राइटर बनने की कोशिश करनी चाहिए। आखिरकार मैंने हिम्मत की और कुछ नया करने निकल पड़ा। एक एड एजेंसी ने कॉपी राइटर की जॉब भी दे दी मुझे और फिर मैंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। ये सफर जारी रहा और फिर इत्तेफाक से मैं बॉलीवुड का भी हिस्सा बन गया।

8 साल की उम्र में बनाया मुगले आजम (Mughal-E-Azam) का टपोरी वर्जन (Tapori Version)
मैं ये कह सकता हूं कि बचपन से ही ये कला मेरे अंदर थी। तभी से मेरा उद्देश्य था कि कुछ हटकर किया जाए लेकिन क्या करना है ये सोचा नहीं था। कुछ अलग करने की चाह में हमने 8 साल की उम्र में मुगले आजम का टपोरी वर्जन बनाया। हालांकि वो प्ले 5-7 मिनट का ही था लेकिन उसे लोगों ने काफी सराहा और उसके लिए हमें इनाम भी मिला।

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'रामायण' के बारे में बात करना होगी जल्दबाजी
अभी मेरी अगली फिल्म 'रामायण' (Film Ramayan)के बारे में बात करना बहुत ही जल्दी होगी। इस फिल्म से जुड़ी जो भी खबर सामने आ रही है फिर चाहे वो कास्टिंग को लेकर हो या फिर किसी और चीज को, सब अनुमानित खबरें हैं। अभी तो हम फिल्म के टेक्निकल भाग पर ही काम कर रहे हैं। 

बॉक्स ऑफिस पर दिख रहा कंटेंट में बदलाव का असर
मेरे जैसे फिल्म मेकर के लिए बहुत ही खुशी की बात है कि फिल्मों के कंटेंट (Content) में अब काफी बदलाव आया है। मेरी हमेशा कोशिश रहती है कि कुछ ऐसा बनाया जाए जो लोगों के दिलों में जगह बना ले। खुशी की बात है कि लोग ऐसे कंटेट का बाहें खोलकर स्वागत कर रहे हैं और सराहना मिलने के साथ-साथ इसका असर अब बॉक्स ऑफिस (Box Office) पर भी देखने को मिल रहा है।

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बॉक्स ऑफिस से भी ज्यादा मायने रखती हैं कुछ चीजें
किसी भी फिल्म की सफलता बॉक्स ऑफिस कलेक्शन पर निर्भर करती है ये बिल्कुल सही बात है लेकिन ये कहना गलत होगा कि मैं सिर्फ बॉक्स ऑफिस को ध्यान में रखकर फिल्में बनाता हूं। मेरे लिए बॉक्स ऑफिस से भी ज्यादा जरूरी होती है फिल्म की कहानी और दर्शकों का प्यार। अगर इन दोनों के साथ अच्छा बॉक्स ऑफिस कलेक्शन भी मिलता है तो वो सोने पर सुहागा होगा मेरे लिए।

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