नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री को उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश के खिलाफ उनकी कथित टिप्पणी से संबंधित एक आपराधिक अवमानना मामले के सिलसिले में 10 अप्रैल को पेश होने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने पहले अग्निहोत्री को बिना शर्त माफी मांगने के बाद बृहस्पतिवार को पेश होने के लिए कहा था। अग्निहोत्री के वकील द्वारा अदालत को सूचित किया गया कि वह अस्वस्थ थे जिसके बाद उन्हें पेशी से छूट दे दी गई थी।
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अग्निहोत्री ने 2018 में कथित तौर पर न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर के खिलाफ पूर्वाग्रह का आरोप लगाते हुए ट्वीट किए थे क्योंकि उन्होंने भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को नजरबंदी से रिहा कर दिया था। न्यायमूर्ति मुरलीधर उस समय दिल्ली उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश थे और वर्तमान में उड़ीसा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश हैं। ट्वीट को देखते हुए उच्च न्यायालय द्वारा अग्निहोत्री और अन्य के खिलाफ अदालती अवमानना की कार्यवाही शुरू की गई थी। पीठ में न्यायमूर्ति तलवंत सिंह भी शामिल हैं।
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पीठ ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि उसने फिल्म निर्माता से सुनवाई की अगली तारीख पर उपस्थित रहने के लिए “पूछा” नहीं था बल्कि उन्हें ऐसा करने का “निर्देश” दिया था। अदालत ने उनके वकील से कहा कि उन्हें उपस्थित रहने को कहें। दिल्ली उच्च न्यायालय ने पिछले साल छह दिसंबर को अग्निहोत्री को अदालत में पेश होकर पछतावा जताने का निर्देश दिया था। इससे पहले अपनी कथित टिप्पणी के लिए अग्निहोत्री द्वारा हलफनामे के माध्यम से बिना शर्त माफी मांगे जाने के बाद उच्च न्यायालय ने उन्हें पेश होने को कहा था।
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अदालत ने कहा था, ‘‘हम उनसे (अग्निहोत्री) यहां पेश होने को कह रहे हैं क्योंकि उनपर अवमानना का आरोप है। क्या उन्हें इस अदालत के समक्ष पेश होने में कोई दिक्कत है? उन्हें उपस्थित होना होगा और व्यक्तिगत रूप से पश्चाताप दिखाना होगा।'' कथित तौर पर अवमानना करने के एक अन्य आरोपी आनंद रंगनाथन की तरफ से पेश वकील ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह अवमानना की कार्यवाही में हिस्सा लेंगे।
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न्याय मित्र व वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद निगम ने कहा कि रंगनाथन ने अवमानना कार्यवाही के संबंध में एक ट्वीट किया है कि वह लड़कर हारेंगे। पीठ ने टिप्पणी की, ‘‘यह गृहयुद्ध नहीं है। मैं लड़कर गिरुंगा, मैं जहाज के साथ डूबूंगा। यह सब क्या है? हम केवल आपसे उपस्थित होने के लिए कह रहे हैं और आपके पास जो भी जवाब उपलब्ध है उससे कृपया हमें अवगत कराएं।'' अदालत द्वारा स्वत: संज्ञान लेकर अवमानना का मामला शुरू किया गया था।
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