Saturday, Sep 30, 2023
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foreign diplomats interact with artists writers in kashmir valley djsgnt

कश्मीर घाटी में विदेशी राजनयिकों ने की कलाकारों, लेखकों से बातचीत

  • Updated on 2/17/2021

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। जम्मू-कश्मीर आए 24 विदेशी राजनयिकों ने अपनी यात्रा के पहले दिन बुधवार को यहां डल झील के सम्मेलन परिसर के भीतर स्थित संगीतमय फव्वारे में लेखकों एवं कलाकारों से मुलाकात की। यूरोप, एशिया, दक्षिण अमेरिेका और अफ्रीका के विभिन्न देशों के राजनयिक ऐतिहासिक हजरतबल दरगाह गए। इसके बाद उन्होंने क्षेत्र में मिट्टी के बर्तन बनाने की कला को प्रोत्साहित करने की कोशिश कर रहीं साइमा शफी, सामाजिक कार्यकर्ता रेंजु शाह और पश्मीना कालीन पर कारीगरी करने वाले शाहनवाज समेत कई कलाकारों से बातचीत की।     

संगीतकार डॉ. शाइस्ता अहमद, कवि निगहत साहिबा और लेखक निलोफर बाज नहवी, निगहत नजर और नुसरत इकबाल भी इस कार्यक्रम में मौजूद थे। इस कार्यक्रम का मकसद विदेशी प्रतिनिधियों को कश्मीर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से अवगत कराना था। हस्तशिल्प और पर्यटन विभागों के अधिकारियों और कुछ नेताओं को राजनयिकों के साथ वार्ता करते देखा गया।     

फ्रांस के राजदूत इमैनुएल लेनैन और क्यूबा के राजदूत ऑस्कर जे माॢटनेज कोरडोवस ने हस्तशिल्प विशेषकर मिट्टी के बर्तनों में काफी रुचि दिखाई। ‘कराल करूर’ (मिट्टी के बर्तन बनाने वाली लड़की) के नाम से जानी जाने वाली शफी से बातचीत के दौरान दोनों राजदूतों ने इस बात पर हैरानी जताई कि कश्मीर घाटी में महिलाएं मिट्टी के बर्तन नहीं बनाती हैं। शफी ने कहा, ‘‘यदि महिलाएं मकान बना सकती हैं, तो वे मिट्टी को भी मनचाहा आकार दे सकती हैं।’’     

उन्होंने बताया कि दोनों राजदूतों ने उन्हें बताया कि उनके देश में मुख्य रूप से महिलाएं यह काम करती हैं। क्यूबा के राजदूत ने शफी से कहा कि उनके देश में चित्रकारी एवं मिट्टी के बर्तन बनाने का काम मुख्य रूप से महिलाएं करती हैं। शफी ने कहा, ‘‘मैंने उनसे कहा कि कश्मीर में समाज में इस प्रकार की समानता आने में कुछ समय लगेगा।’’ स्पेन के प्रतिनिधियों ने पर्यटन के बुनियादी ढांचे के अलावा कढ़ाई और पश्मीना में गहरी रुचि दिखाई।     

कई यूरोपीय देशों और ओआईसी के कुछ देशों के राजनयिकों के एक समूह का जम्मू-कश्मीर का दो दिवसीय दौरा बुधवार से शुरू हो गया, जो केंद्रशासित प्रदेश में खासकर हाल में हुए जिला विकास परिषद (डीडीसी) चुनाव के बाद की स्थिति का जायजा लेगा। उल्लेखनीय है कि 2019 में जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर इसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया था।     

अधिकारियों ने यहां बताया कि प्रतिनिधिमंडल को कड़े सुरक्षा प्रबंधों के बीच मध्य कश्मीर के मागम ले जाया गया जिसमें इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के चार देशों-मलेशिया, बांग्लादेश, सेनेगल और ताजिकिस्तान के राजनयिक भी शामिल हैं। प्रतिनिधिमंडल में ब्राजील, इटली, फिनलैंड, क्यूबा, चिली, पुर्तगाल, नीदरलैंड, बेल्जियम, स्पेन, स्वीडन, किॢगस्तान, आयरलैंड, घाना, एस्टोनिया, बोलिविया, मालावी, इरिट्रिया और आइवरी कोस्ट के राजनयिक भी शामिल हैं।

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