Friday, Mar 31, 2023
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डबल इंजन की सरकार बनाएंगे और पंजाब को नई दिशा देंगेः लालपुरा

  • Updated on 8/20/2022

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। पूर्व आई.पी.एस. अफसर इकबाल सिंह लालपुरा भाजपा में एक दशक के अंदर ही बड़ी छलांग लगाकर पार्टी के संसदीय बोर्ड के साथ ही केंद्रीय चुनाव समिति के सदस्य बन गए हैं। केंद्रीय अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन लालपुरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी माने जाते हैं। उनके जरिए क्या भाजपा सिखों में अपनी पैठ बनाने और पंजाब पर खास फोकस करने जा रही है ? ऐसे ही कई सवालों और भाजपा व पंजाब से जुड़े मसलों पर नवोदय टाइम्स के लिए हरिश्चंद्र ने उनसे बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंशः

भाजपा ने अपने नीति निर्धारक माने जाते संसदीय बोर्ड में आपको जगह दी है। शायद अल्पसंख्यक वर्ग से पहली बार किसी को इस बोर्ड में लिया गया है। इसे कैसे देखते हैं?
अल्पसंख्यकों से तो पता नहीं, मगर सिखों से पहली बार मुझे इस बोर्ड का मैंबर बनाया गया है। पार्टी नेतृत्व, खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और अध्यक्ष जे.पी. नड्डा का धन्यवाद है कि मुझे इस काबिल समझा कि उनकी पार्टी के कोई काम आ सकूं। मुझे भी जिम्मेदारी दी गई है कि देश को मिलकर आगे बढ़ाएं। स्वतंत्रता दिवस पर पी.एम. ने स्पष्ट विजन दिया है, कैसे आगे चलें, कैसे हर भारतीय को इसमें योगदान के लिए प्रेरित करें, इस पर काम करना है। 

पंजाब में दशक पहले लोगों का झुकाव कांग्रेस व शिअद की ओर ही होता था। आपने रिटायरमैंट के बाद सिख होने के बावजूद राजनीतिक पारी के लिए भाजपा को ही क्यों चुना?
भाजपा प्रदेश, देश और दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी है। मजदूर, किसान, पान वाला हो या फिर कोई अन्य, वे सभी भाजपा के साथ  हैं। थोड़े किसान हमारे विरोध में थे, वे भी कृषि कानून वापसी के बाद साथ आ गए हैं। विभिन्न वर्गों के साथ बैठक में भी यह बात स्पष्ट हो रही है। 1924 का पंडित नेहरू का एक पत्र है, जिसमें उन्होंने लिखा कि पंजाब में हिंदुओं और सिखों का आपस में भाईचारा नहीं है।

दूसरा, उन्होंने कहा कि पंजाब में कोई तगड़ा हिंदू लीडर भी नहीं है। जब उनके हाथ डोर आई तो पंजाबी सूबे का शोर शुरू हो गया। आज तक न पंजाबी बोलते इलाके मिले, न चंडीगढ़ और न ही एस.वाई.एल. जैसे मसले हल हुए। 55 साल बाद भी इन पर क्या फैसला आना चाहिए, यह नई समस्या खड़ी हो गई।

सो भाजपा ऐसी पार्टी है, जो विकास की बात करती है, आपसी भाईचारे की बात करती है। उस समय तो पंजाब से संबंधित था और मैं समझता था कि यदि कोई पंजाब का भविष्य आगे बढ़ा सकता है, ऐसी कोई विचारधारा है तो वह भाजपा के पास है। इसलिए मैंने भाजपा ज्वाइन की।

पंजाब में भाजपा को किसान आंदोलन के कारण भी झटका लगा था। भाजपा पर हिंदू पार्टी का ठप्पा है तो पंजाब में सिखों को आप कैसे जोड़ पाएंगे?
नहीं, ऐसा नहीं है। भाजपा हमेशा कुर्बानी देने वाली पार्टी है। 1951 में यह पार्टी जनसंघ के रूप में अस्तित्व में आई। उसके बाद 1967 से हम अक्सर पंजाब में गठबंधन में आए हैं। गठबंधन धर्म में कई बार कुछ देना भी पड़ता है, कुछ लेना भी पड़ता है। पंजाब के बड़े मनोरथ को, पंजाब की बड़ी तरक्की को, पंजाब के भविष्य को देखते हुए भाजपा ने कुर्बानी दी है। हम यहां 117 सीटों में से गठबंधन में 23 सीटें लड़ते रहे हैं जो 20 प्रतिशत भी नहीं हैं। तो हमारा लक्ष्य है कि समाज को जोड़ा जाए, इकट्ठा किया जाए और जो पंजाब है इसमें कोई दोराय नहीं कि पंजाब न हिंदू न मुसलमान, पंजाब जिउंदा गुरुां दे नां ते। इसमें हमारी सांझी सभ्यता है।

एक भी पंजाबी बाजू खड़ी करके नहीं कह सकता कि उसका कोई रिश्तेदार केशधारी नहीं और कोई केशधारी यह नहीं कह सकता कि उसका कोई भाई-रिश्तेदार बिना केशधारी नहीं। हमारा सांझा समाज है, एक-दूसरे से रिश्तेदारियां हैं। खान-पान सांझा है। हम दूर कहां हैं, दूर तो यह है कि लोगों ने अपने स्वार्थ के लिए... जैसे किसान मुद्दों को लेकर बात की थी। जब प्रधानमंत्री ने वह वापस लिया था तब भी मैंने कहा था कि हमारे पास डेढ़ महीना है, आप सभी ने विरोध किया था उन बिलों का। मैंने मुख्यमंत्री चन्नी को कहा था कि अब ऐसा बिल बनाकर जाओ, जिससे किसानों को फायदा मिले, उन्हें दोबारा सड़कों पर न आना पड़े।

आप बताओ कि चन्नी ने तब क्या रोडमैप बनाया? सिवाय झूठ की राजनीति के उन्होंने कुछ नहीं किया। मैं ये मानता हूं कि किसान आंदोलन सिख वर्सेज केंद्र नहीं था। वह एक ग्रुप है जो पंजाब को 70 साल से झुलसता देखना चाहता है, यहां आग लगी देखना चाहता है। इस बार वह गु्रप किसानों में भी शामिल था। वह ग्रुप लोगों को मुद्दों से भटकाता है।

कांग्रेस के पूर्व प्रधान सुनील जाखड़ के अलावा कई पूर्व मंत्री तक भाजपा में शामिल हो चुके हैं। चुनाव फिलहाल बहुत दूर हैं, फिर इन नेताओं के शामिल होने के पीछे क्या कारण हैं?
कांग्रेस डूबता जहाज है। उस डूबते जहाज के पूर्व सी.एम. भी अब नजर नहीं आते। एक पार्टी छोड़कर दूसरी ओर चले गए। कांग्रेस में अब है क्या, इसलिए जो भी अच्छा आदमी कांग्रेस से भाजपा में आना चाहता है, हम उसका स्वागत करते हैं।

भाजपा ने पंजाब में बड़े जोर-शोर से लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। 3 जोन में बांट कर केंद्रीय मंत्रियों को जिम्मा सौंपा गया है। क्या इस बार पंजाब पर खास फोकस है?
हमारी सरकार 2024 में दो-तिहाई बहुमत से बने, इसके लिए पूरे देश में तैयारी कर रहे हैं, केवल पंजाब में नहीं। पंजाब में भी हम कोशिश करेंगे कि कारगुजारी यहां भी बढिय़ा हो। 13 की 13 सीटें जीतें।

भाजपा के पास पंजाब में संगठन भी है, ब्लॉक स्तर तक वर्कर भी हैं मगर नेताओं की कमी है। विधानसभा चुनाव में पूरे उम्मीदवार नहीं थे?
पिछली बार भी हमारे पास उम्मीदवार थे। हमारे पास बूथ स्तर तक नेता हैं। वह चुनाव हमने संयुक्त अकाली दल और पंजाब लोक कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ा था। हमने इन दलों को भी समायोजित करना था। हमारे पास अधिकांश सीटों पर एक से ज्यादा टिकट के दावेदार उम्मीदवार थे। 

पंजाब के लिए केंद्र सरकार सब करने को तैयार 

जीतने की क्षमता वाले नेताओं की कमी पंजाब में भाजपा के पास है, ऐसे उम्मीदवार जिनकी जीत यकीनी दिखती हो ?
 हमारे सभी उम्मीदवार जीतने में सक्षम हैं। उस समय के हालात क्या थे, परिस्थितियां क्या थीं, किस तरह का माहौल बनाया गया था पंजाब में, हमें यह भी ध्यान में रखना पड़ेगा। कभी देखा है कि प्रधानमंत्री की रैली न होने दी जाए।

हम फ्रंटफुट पर हैं, तगड़े होकर चुनाव लड़ेंगे और पंजाब में डबल इंजन की सरकार बनाएंगे। पंजाब को नई दिशा दी जाएगी, इसे खुशहाल बनाएंगे। पंजाब सरहदी सूबा है, प्रधानमंत्री मोदी सिखों के सेवक हैं। सिखों ने आप उन्हें अपना मसीहा माना जब 2019 में उन्हें सम्मान पत्र दिया गया गुरु नानक साहिब के गुरुपर्व पर।  ऐसे व्यक्ति के नेतृत्व में हम पंजाब में बड़ी तरक्की कर सकते हैं। पंजाब के लिए केंद्र सरकार सब कुछ करने को तैयार है।

पंजाब को दोराहे से सीधे रास्ते पर लाना है
राष्ट्रीय स्तर पर तो आपकी जिम्मेदारी अब बढ़ गई है, पंजाबी होने के नाते पंजाब में कितनी सक्रियता रहेगी?
पूरे देश की जिम्मेदारी है। पंजाब को भी दोबारा खड़ा करना हम सबकी जिम्मेदारी है। जिस दोराहे पर पंजाब को डाल दिया गया है, उस पंजाब को सीधे रास्ते पर चलाना है। आपसी भाईचारा मजबूत करें, आपसी विश्वास पैदा करें। लोगों की समस्याएं सुनी जाएं, उनका समाधान करें। तब जाकर हम खुद को असली पंजाबी कह सकते हैं। सिखों ने हमेशा कौम के लिए कुर्बानी दी है। कांग्रेस ने ज्यादती करके आतंकवाद इनके गले डाल दिया और आज तक हम इसी ताने-बाने में उलझे फिर रहे हैं। इस कौम का मान-सत्कार होना चाहिए, जो पी.एम. ने हमेशा किया है।

बेअदबी का मामला लंबे समय से लटका पड़ा है। जांच कमेटियां बनी, इस मुद्दे पर सरकारें भी बनीं लेकिन अब तक यह किसी सिरे नहीं चढ़ा। दोषी अब तक सामने नहीं लाए जा सके। क्या कारण हो सकते हैं?
मैं पुलिस अफसर रहा हूं। मैं तो समझता हूं कि इन्हें इन्वैस्टीगेशन ही करनी नहीं आती। कोर्ट कहती है, 90 दिन में चालान दिया जाए। हमें 9 साल हो गए इस मुकद्दमे को उठाए फिरते। दूसरी बात यह है कि इस मुकद्दमे में हाईकोर्ट ही कह देती है कि यह चालान बनाने योग्य नहीं। आप चालान बनाने वाले उस अफसर को सजा के बजाय हीरो बनाते हो। क्या इतने साल बाद भी किसी को सजा मिली है? यह सब सरकारों की बदनीयती है।

श्री गुरु ग्रंथ साहिब को इंसाफ मिलना चाहिए। जो दोषी हैं, उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए। सी.बी.आई. जांच कर रही थी जिसे कै. अमरेंद्र वापस ले आए। इस सरकार को भी 5 माह हो गए, न चालान पेश हुआ और न ही कोई गिरफ्तारी हुई। यह सभी तो बस सिख-सिख खेलते हैं।

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