Friday, Sep 29, 2023
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यूपी में 'बुलडोजर एक्शन' के खिलाफ SC पहुंचे शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश

  • Updated on 6/14/2022

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के छह पूर्व न्यायाधीशों और छह वकीलों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमना को पत्र लिखकर उत्तर प्रदेश में प्रर्दशनकारियों के खिलाफ हो रही कार्रवाई पर तत्काल संज्ञान लेने का आग्रह किया है। पैगंबर मुहम्मद पर टिप्पणी के खिलाफ हुए हिंसक प्रदर्शन के बाद यूपी सरकार उपद्रवियों के खिलाफ सख्त एक्शन ले रही है। 

ऐसे में पूर्व न्यायधीशों ने चीफ जस्टिस से आग्रह किया है कि वो इस मामले में संज्ञान लें। जिस तरह से पुलिस को प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेने और उनकी संपत्तियों को ध्वस्त करने के लिए देखा जा रहा है, उस पर आपत्ति जताते हुए पत्र में कहा गया है, “सत्तारूढ़ प्रशासन द्वारा इस तरह का क्रूर दमन कानून के शासन का अस्वीकार्य उल्लंघन और नागरिकों के अधिकारों का हनन है। इस तरह की कार्रवाई संविधान और राज्य द्वारा गारंटीकृत मौलिक अधिकारों का मजाक बनाता है।”

सुप्रीम कोर्ट के तीन पूर्व न्यायाधीशों – जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी, वी गोपाल गौड़ा और एके गांगुली, दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एपी शाह और उच्च न्यायालय के दो पूर्व न्यायाधीशों – जस्टिस के चंद्रू (मद्रास उच्च न्यायालय) और मोहम्मद अनवर (कर्नाटक) ने एक साथ पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं।

इसके अलावा, हस्ताक्षरकर्ताओं में पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री शांति भूषण, वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह, श्रीराम पंचू, सीयू सिंह, आनंद ग्रोवर और प्रशांत भूषण शामिल हैं।

उत्तर प्रदेश में मौजूदा स्थिति का स्वत: संज्ञान लेने के लिए CJI से तत्काल अपील करते हुए, पत्र में कहा गया है, ऐसे लोगों के खिलाफ इस प्रकार कार्रवाई कर यूपी राज्य प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों को सुनने और शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में शामिल होने का अवसर देने के बजाय हिंसक कार्रवाई को मंजूरी दे दी है। 

 

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