Saturday, Apr 01, 2023
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गाजीपुर बॉर्डर : धरना स्थल पर महिलाओं की संख्या में भारी कमी

  • Updated on 2/15/2021

नई दिल्ली,15 फरवरी  (चांदनी कुमारी): गाजीपुर बॉर्डर किसान आंदोलन में दो से तीन के बाद वहां आंदोलनकारी किसानों के चेहरे बदलते रहते हैं। पुराने लोग जाते रहते हैं और नए लोग आते रहते हैं। अभी आंदोलन स्थल लोगों की संख्या कम है और लंगर का भी व्यवस्था पहले के तरह नहीं है। जैसे-जैसे लोगों की संख्या कम होते जा रही है वैसे-वैसे लंगर लगाने वालों की भी संख्या कम हो रही है।

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वहीं किसानों का कहना है कि 26 जनवरी से पहले ठंड ज्यादा होती थी तो ज्यादातर लोग टेंटों में रहते हैं मंच के पास लोगों का जमावड़ा कम होता था। अब गर्मी जैसी मौसम होने लगी है तो अब ज्यादातर लोग मंच के सामने बैठे रहते हैं। इसलिए अंदर के टेंट दिन में खाली दिखाई दे रहे हैं। वहीं यूपी और उत्तराखंड से आने वाली महिलाएं पहले रात में भी धरना स्थल पर रूकती थी अब वैसा नहीं है ज्यादातर महिलाएं रात को घर लौट जाती है।ऐसे में महिलाओं का टेंट खाली पड़ा हुआ है। 

 

सुविधाओं के अभाव के कारण महिलाओं की संख्या में कमी 

वहीं गाजीपुर बॉर्डर पर 26 जनवरी के बाद महिलाओं का समूह रात में बहुत कम ही रुकती हैं। महिलाएं दिन में आती हैं और शाम तक वापस लौट जाती हैं।महिला किसान बबली का कहना है कि धरना स्थल पर पानी और बिजली की समस्या के कारण अब महिलाएं को रूकने में परेशानी हो रही है। बिना बिजली के टेंट में रूकना महिलाओं के लिए सुरक्षित नही है। इसके साथ ही पानी की किल्लत इतनी ज्यादा है कि शौचालय जाने में भी परेशानी हो रही है। राजबीर का कहना है  कुछ महिलाएं आती है और शाम तक वापस लौट जाती है।सौर प्लेट से बिजली का व्यवस्था किया गया है लेकिन वह काफी नहीं है। कुछ ही टेंटों में बल्ब जल पाते हैं।  पानी भी सिर्फ लंगर बनाने के लिए ही आ पा रहा है। 

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किसान महिलाओं की संख्या में भारी कमी 
धरना स्थल पर लंगर में बर्गर बना रहीं दिल्ली मयूर विहार फेस 3 की रहने वाली मंजीत कौर का कहना है कि अभी यूपी और उत्तराखंड से आने वाली महिलाओं की संख्या में कमी आई है क्योंकि पहले ज्यादातर लोग धरना स्थल पर टैक्टर से पहुंचते थे लेकिन अब लोग अपनी-अपनी गाड़ियों से दिन में आते हैं और धरना स्थल से शाम तक चले जाते हैं।अभी खेती और शादी का समय है इसलिए अभी धरना स्थल महिलाओं का टेंट पूरी तरह से खाली है। मैं यहीं की रहने वाली हूं इसलिए प्रतिदिन सुबह आती हूं और रात को घर चली जाती हूं।

 

 

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