नई दिल्ली/टीम डिजिटल।अपनी कलम के जादू से सभी के दिलों पर राज करने वाली महशूर पंजाबी लेखिका, कवित्री और उपन्यासकार अमृता प्रीतम का आज 100वां जन्मदिन है। इस मौके पर गूगल ने उनकी याद में एक खास डूडल बनाया है। जिसमें एक महिला सिर पर दुपट्टा रखकर कुछ लिखते हुए दिख रही है।
Google honours Punjabi writer Amrita Pritam with doodle Read @ANI Story | https://t.co/UxSDN3wSjf pic.twitter.com/6TMQLkMscM — ANI Digital (@ani_digital) 31 अगस्त 2019
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1919 को पंजाब के गुंजरावाला जिले में जन्मी अमृता का अधिकांश बचपन लाहौर में बीता और वहीं उन्होंने पढ़ाई भी की। अमृता को बचपन से ही लिखने का शोक था। उन्होंने कच्ची उम्र से ही इबारत लिखनी शुरू कर दी थी।
अमृता और साहिर अमृता को साहिर लुधियानवी से बेपनाह मोहब्बत थी। साहिर लाहौर में उनके घर आया करते थे। साहिर चेन स्मोकर थे। साहिर के होंठों के निशान को महसूस करने के लिए अमृता उन सिगरटों की बटो को होंठ से लगा उसे दोबारा पीने की कोशिश करती थीं। साहिर बाद में लाहौर से मुंबई चले आये। साहिर के जीवन में गायिका सुधा मल्होत्रा भी आ गई थीं, लेकिन अमृता का प्यार आखिरी वक्त तक बना रहा था।
अमृता और इमरोज इमरोज़ अमृता के जीवन में काफी देर से आये। अमृता कभी कभी कहा करती थीं ‘अजनबी तुम मुझे जिंदगी की शाम में क्यों मिले, मिलना था तो दोपहर में मिलते’। दोनों ने साथ रहने के फैसला किया और दोनों पहले दिन से ही एक ही छत के नीचे अलग-अलग कमरों में रहे। जब इमरोज ने कहा कि वह अमृता के साथ रहना चाहते हैं तो उन्होंने कहा पूरी दुनिया घूम आओ फिर भी तुम्हें लगे कि साथ रहना है तो मैं यहीं तुम्हारा इंतजार करती मिलूंगी। कहा जाता है कि तब कमरे में सात चक्कर लगाने के बाद इमरोज ने कहा कि घूम लिया दुनिया, मुझे अभी भी तुम्हारे ही साथ रहना है।
पद्मविभूषण भी मिल चुका है
उन्होंने सौ से अधिक कविताओं की किताब लिखी, साथ ही फिक्शन, बायोग्राफी, आलेख और आटोबॉयोग्राफी लिखा, जिसका कई भारतीय भाषाओं सहित विदेशी भाषाओं में भी अनुवाद हुआ। अमृता प्रीतम पहली महिला लेखिका हैं जिन्हें 1956 में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला। 1982 में उन्हें ‘कागज ते कैनवास’के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला। 2004 में पद्मविभूषण भी प्रदान किया गया।
ऐसी मोहब्बत के लिए मशहूर शायर साहिर लुधियानवी ने लिखा था-
वो अफसाना जिसे अंजाम तक लाना ना हो मुमकिन उसे इक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा।
वो अफसाना जिसे अंजाम तक लाना ना हो मुमकिन
उसे इक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा।
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