नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। मेघालय के राज्यपाल सत्य पाल मलिक ने फिर केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला है। खास बात यह है कि सत्यपाल मलिक ने जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहने के दौरान के कई खुलासे किए हैं। सोशल मीडिया पर वायरल उनकी एक वीडियो क्लिप में वह दो फाइलों का जिक्र करते हैं, जिसमें अंबानी और आरएसएस और पूर्व मु्ख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के मंत्री का जिक्र भी कर रहे हैं। इस फाइलों में घपलों का हवाला देते हुए कैंसिल करने का भी वह दावा कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने मोदी सरकार को चेताया भी है कि वह इसी तरह बेधड़क बोलते रहेंगे।
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एक बात का जिक्र करते हुए मलिक ने कहा, 'वीपी सिंह मुझे अकेले में ले गए और उन्होंने कहा कि सत्यपाल संभलकर काम करना, मैंने कहा- क्यूं, बोलने लगे कि बेइमानी करने के बाद प्रधानमंत्रियों से नहीं लड़ा जा सकता। हमें दोनों को प्रधानमंत्रियों से लड़ना है। लिहाजा पाक-साफ रहना। मैं जो कश्मीर से लौटने के बाद किसानों के लिए बोल दिया बेधड़क। अगर मैं कश्मीर में कुछ कर लेता तो मेरे घर तो ईडी पहुंच जाती आज से पहले। इनकम टैक्स वाले पहुंच जाते। आज मैं सीना ठोककर कह सकता हूं कि प्रधानमंत्री के पास सारी संस्थाएं हैं, सब कुछ है, मेरी जांच करा लें, मैं इसी तरह बेधड़क रहूंगा, क्यूंकि मेरे पास कुछ नहीं है।'
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मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मालिक बहुत बड़े खुलासे कर रहे हैं . किसानों के मुद्दे पर मोदी सरकार को घेर चुके मालिक साहब ने डंके की चोटकर इस बार जो कहा है ,वो ज्यादा विस्फोटक है ... pic.twitter.com/jQZwvgBp9S — Ajit Anjum (@ajitanjum) October 21, 2021
मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मालिक बहुत बड़े खुलासे कर रहे हैं . किसानों के मुद्दे पर मोदी सरकार को घेर चुके मालिक साहब ने डंके की चोटकर इस बार जो कहा है ,वो ज्यादा विस्फोटक है ... pic.twitter.com/jQZwvgBp9S
उन्होंने आगे कहा, 'मैंने कश्मीर में जाने के बाद दो फाइलें मेरे सामने आईं, एक मैं अंबानी शामिल थे और एक में संघ के बड़े अफसर वो थे। एक पुरानी महबूबा मिनिस्ट्री के मिनिस्टर थे और जो प्रधानमंत्री जी के बहुत नजदीक बताते थे। मुझे सचिव ने दोनों फाइलों के बारे में बताया था कि इसमें घपला है। मैंने दोनों डील कैंसिल कर दी। सचिव ने यह भी बताया कि इसमें आपको डेढ़-डेढ़ सौ करोड़ मिल सकता है।'
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बता दें कि एक दूसरी वायरल वीडियो क्लिप में, मलिक को कथित तौर पर यह दावा करते हुए देखा जा सकता है कि अब्दुल्ला और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती को रोशनी योजना के तहत भूखंड मिले थे। फारूक अब्दुल्ला ने मलिक के आरोप को झूठ बताते हुए खारिज कर दिया। मलिक अनुच्छेद 370 निरस्त किये जाने के समय जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे। अब वह मेघालय के राज्यपाल हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने बृहस्पतिवार को जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्य पाल मलिक के इस आरोप को 'झूठ' बताकर खारिज कर दिया कि वह और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला रोशनी योजना के लाभार्थी थे।
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False & unsavoury utterances of Satya Pal Malik about me being a beneficiary of Roshni Act is highly mischievous. My legal team is preparing to sue him. He has the option to withdraw his comments failing which I will pursue legal recourse. pic.twitter.com/QVSOEFLGYp — Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) October 20, 2021
False & unsavoury utterances of Satya Pal Malik about me being a beneficiary of Roshni Act is highly mischievous. My legal team is preparing to sue him. He has the option to withdraw his comments failing which I will pursue legal recourse. pic.twitter.com/QVSOEFLGYp
वायरल हुई एक वीडियो क्लिप में, मलिक को कथित तौर पर यह दावा करते हुए देखा जा सकता है कि अब्दुल्ला और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती को रोशनी योजना के तहत भूखंड मिले थे। फारूक अब्दुल्ला ने मलिक के आरोप को झूठ बताते हुए खारिज कर दिया। मलिक अनुच्छेद 370 निरस्त किये जाने के समय जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे। अब वह मेघालय के राज्यपाल हैं। अब्दुल्ला ने यहां अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, Þपहले उन्होंने (मलिक) हमसे झूठ बोला कि अनुच्छेद 370 को खत्म नहीं किया जाएगा। यह जारी रहेगा। बाद में उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने उनसे कहा था कि केवल अनुच्छेद 35-ए को हटाया जाएगा, धारा 370 नहीं। वह झूठ बोलते हैं।' अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर समेत पूरे देश में झूठ फैलाया जा रहा है।
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गौरतलब है कि रोशनी अधिनियम फारूक अब्दुल्ला की सरकार में लागू किया गया था, जिसमें राज्य सरकार की जमीन के कब्जेदार को शुल्क देकर मालिकाना हक देने का प्रावधान था। इस योजना से प्राप्त राशि का इस्तेमाल राज्य की जल विद्युत परियोजनाओं पर खर्च किया जाना था। हालांकि, जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने इस कानून को गैर-कानूनी करार देकर रद्द कर दिया था और लाभार्थियों की जांच करने की जिम्मेदारी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी। पिछले साल नवंबर में, जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला को योजना लाभार्थियों की सूची में नामित किया और आरोप लगाया कि जम्मू में अवैध रूप से कब्जा की गई भूमि पर एक घर बनाया गया था। हालांकि फारूक और उमर ने इसका खंडन किया था। नेशनल कांफ्रेस (नेकां) के जम्मू के कुछ नेताओं के पार्टी छोडऩे पर फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि इस तरह के घटनाक्रम से पार्टी पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा, Þनेकां कभी नहीं मरेगी... जम्मू-कश्मीर को केवल नेकां ही बचाएगी। भाजपा और आरएसएस का सफाया हो जाएगा।'
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