नई दिल्ली/टीम डिजिटल। वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में श्रृंगार गौरी और अन्य देवी-देवताओं की नियमित पूजा की मांग से जुड़े मुकदमे की पोषणीयता को लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय में दायर याचिका की सुनवाई के दौरान शुक्रवार को हिंदू पक्ष के वकीलों ने बहस पूरी की।
पांच हिंदू महिलाओं ने वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में श्रृंगार गौरी और अन्य देवी-देवताओं की नियमित पूजा अर्चना की अनुमति मांगते हुए वाराणसी की अदालत में वाद दायर किया है जिसकी पोषणीयता पर अंजुमन इंतेजामिया की आपत्ति निचली अदालत ने खारिज कर दी थी। निचली अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई है। तय तिथि के मुताबिक, शुक्रवार को इस मामले में सुनवाई शुरू हुई।
हालांकि कुछ देर सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने इस मामले में अगली सुनवाई 21 दिसंबर को करने का निर्देश दिया। ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाली अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद ने इस आधार पर हिंदू पक्ष के दावे का विरोध किया है कि निचली अदालत में यह वाद पूजा स्थल कानून, 1991 से बाधित है जो यह व्यवस्था देता है कि 15 अगस्त, 1947 को मौजूद किसी भी धार्मिक स्थल को परिवर्तित करने की मांग करते हुए कोई वाद दायर नहीं किया जा सकता।
हालांकि, अंजुमन इंतेजामिया की याचिका खारिज करते हुए वाराणसी के जिला जज ने 12 सितंबर के अपने आदेश में कहा था कि इन पांच हिंदू महिलाओं का वाद, पूजा स्थल अधिनियम, वक्फ कानून और यूपी श्री काशी विश्वनाथ मंदिर अधिनियम से बाधित नहीं होता।
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