नई दिल्ली/टीम डिजिटल। नए साल के जश्न में पूरी दुनिया डूबी हुई है, भारत में भी नए साल को लेकर लोगों में उत्साह और खुशी की लहर है। खुशी का माहौल बॉलीवुड के एक दिग्गज अभिनेता के घर पर भी है लेकिन नए साल के जश्न से ज्यादा वहां किसी और ही वजह से सब खुश हैं। हम बात कर रहे हैं बॉलीवुड अभिनेता नाना पाटेकर की, जी हां हम सब के 'नाना' जो 1 जनवरी को नए साल के साथ-साथ अपना 68वां जन्मदिन भी मना रहे हैं।
नाना पाटेकर का असली नाम ज्यादा लोगों को शायद पता न है, नाना का असली नाम विश्वनाथ पाटेकर है। उनका जन्म बंबई जिसे अब मुंबई कहा जाता है वहां 01 जनवरी 1951 को एक मध्यम वर्गीय मराठी परिवार में हुआ। उनके पिता दनकर पाटेकर चित्रकार थे। नाना पाटेकर को शुरु से ही एक्टिंग का शौक था। उन्होंने होश संभालने के साथ ही अभिनय की शिक्षा लेनी शुरु कर दी थी। मुंबई के जे.जे स्कूल आफ ऑर्टस से पढ़ाई की। इस दौरान वह कॉलेज द्वारा आयोजित नाटकों में हिस्सा लिया करते थे।
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नाना पाटेकर का बचपन काफी गरीबी में बीता है। वह 8 किलोमीटर पैदल चलकर फिल्मो के पोस्टर को पेंटिंग करने का काम 35 रूपये महीने पर करते थे। जब खाना खाने का वक्त होता था, तो वह जानबूझ कर अपने दोस्तों और जानने वालों के घर पर जाया करते थे, इस उम्मीद से कि कोई उन्हे खाने के लिए एक रोटी दे देगा।
फिल्मी दुनिया में नाना पाटेकर वो नाम है जो किसी परिचय का मोहताज नहीं है। नाना ने अपने फिल्मी करियर में कई चैलेंजिंग रोल जिसे दर्शकों ने खुब सराहा। नाना के फैंस भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बड़ी तादाद में हैं, उनके द्वारा बड़े पर्दे पर निभाए गए रोल आज भी उनके प्रशंसकों के दिलों में जिंदा है। उनकी फिल्म का एक डायलॉग 'एक मच्छर साला आदमी को हिजड़ा बना देता है' आज भी लोगों के जुबान पर आ ही जाता है।
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नाना पाटेकर के अभिनय में एक विशेषता रही कि वह किसी भी तरह की भूमिका के लिये सदा उपयुक्त रहते है। फिल्म 'खामोशी' में एक गूंगे की भूमिका हो या फिर 'परिंदा' और 'अंगार' जैसी फिल्म में मानसिक रूप से विक्षिप्त खलनायक की भूमिका में या फिर 'तिरंगा' या 'क्रांतिवीर' जैसी फिल्म में एक्शन से भरपूर किरदार इन सभी भूमिकाओं में उनका कोई जवाब नहीं था।
नाना पाटेकर ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत साल 1978 आई फिल्म 'गमन' के साथ किया था। इस फिल्म में दर्शकों ने उनको नोटिस नहीं किया लेकिन कहते हैं ना टैलेंट ज्यादा दिन नहीं छिप सकता है उसी प्रकार नाना ने भी दर्शकों को अपने टैलेंट के दम पर खुद को नोटिस करने पर मजबूर कर दिया।
वर्ष 1984 में प्रदर्शित फिल्म 'आज की आवाज' बतौर अभिनेता नाना पाटेकर ने राजब्बर के साथ काम किया। यह फिल्म पूरी तरह राजब्बर पर केन्द्रित थी फिर भी नाना सधे हुये किरदार निभाकर अपने अभिनय की छाप छोड़ने में कामयाब रहे। आज से करीब 24 साल पहले नाना ने फिल्म 'क्रांतिवीर' के लिए मांगी 1 करोड़ की फीस ली थी जो उस समय में किसी भी एक्टर को नहीं मिली थी।
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