Wednesday, May 31, 2023
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B'day Special: पढ़ें, बॉलीवुड में कई हिट्स देने वाले विधु विनोद चोपड़ा की कुछ अनसुनी बातें

  • Updated on 9/5/2018

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। बॉलीवुड फिल्म निर्देशक विधु विनोद चोपड़ा के नाम से तो हर कोई वाकिफ है। वो एक ऐसी शख्सियत है जिन्हें किसी परिचय की जरुरत नहीं। इंडस्ट्री को '1942:ए लव स्टोरी', 'मुन्ना भाई', 'थ्री इडियट्स', 'पीके' और 'संजू' जैसी नायाब फिल्मों का तोहफा देने वाले विधु विनोद चोपड़ा का आज जन्मदिन है। 5 सितंबर 1952 को जम्मू कश्मीर में पैदा हुए विधु आज 66 साल के हो गए हैं। अपनी जिंदगी का सबसे बड़ा हिस्सा वह पहले ही बॉलीवुड के नाम कर चुके हैं। उनके बर्थडे के मौके पर आइए जानते हे उनसे जुड़ी कुछ खास बातें। 

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विधु ने इंडस्ट्री को फिल्म ही नहीं ऊंची गुणवत्ता वाले निर्देशक भी दिए हैं। 

ये बहुत कम लोग जानते हैं कि विधु विनोद चोपड़ा ने इंडस्ट्री को बेहतर फिल्में ही नहीं बल्कि दो बेहतरीन डायरेक्टर भी दिए हैं, जिनका नाम है-संजय लीला भंसाली और राजकुमार हिरानी।

दरअसल, भंसाली ने अपने करियर की शुरूआत विधु विनोद चोपड़ा के साथ बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर किया था। उन्होंने विधु के साथ फिल्म 'परिंदा' और '1942:ए लव स्टोरी' में काम किया था। पुणे फिल्म संस्थान में ही पढ़े भंसाली ने आठ साल तक विधु विनोद चोपड़ा को असिस्ट किया और खुद को बेहतर किया। 

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वहीं बात करें राजकुमार हिरानी की तो वह फिल्म 'मिशन कश्मीर' के वक्त से विधु के साथ हैं। इस फिल्म को बनाते वक्त विधु की पहली पत्नी रेणु सलूजा का देहांत हो गया था। विधु की सभी फिल्मों की एडिटिंग उनकी पत्नी किया करती थी लेकिन उनकी मृत्यु होने के बाद फिल्म 'मिशन कश्मीर' की बची हुई एडिटिंग को पूरा करने के लिए राजकुमार हिरानी को लाया गया। वह तब से ही विधु के साथ हैं।

करोड़ों के लिए भी नही बदला इस फिल्म का अंत

अपने चालीस साल के फिल्मी करियर में विधु ने सिर्फ आठ फीचर फिल्मों का निर्देशन किया है, जिसमें 'सजा-ए-मौत', 'खामोश', 'परिंदा', '1942:ए लव स्टोरी', 'करीब', 'मिशन कश्मीर', 'एकलव्य' और 'ब्रोकन हॉर्सेज' शामिल हैं। इन आठ फिल्मों में सबसे ज्यादा आइकॉनिक फिल्म अगर विधु की कोई है तो वो है साल 1989 में आई फिल्म 'परिंदा'।

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यह फिल्म अपनी कलात्मकता के लिहाज से ऐसी पहली फिल्म थी जिसमें कई बोल्ड फैसले लिए गए। उस दौर की फिल्मों के लिहाज से इस फिल्म में सब कुछ अलग था खासतौर पर इसका क्लाइमैक्स। इस फिल्म का अंत हिंदी सिनेमा की सबसे दर्दनाक अंत वाली कहानियों में से एक था।

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इस क्लाइमैक्स को बदलने के लिए विधु के फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर्स ने उन्हें चेताया कि फिल्म में इस तरह का क्लाइमैक्स को रखकर वह अपने करियर का अंत करने जा रहे हैं। उन्हें कहा गया कि आप फिल्म की हैप्पी एंडिंग रख दीजिए और कमाई में लाखों-करोड़ रुपये का इजाफा हो जाएगा, लेकिन वे नहीं माने।

जब पंचम दा की धुन को 'कचरा' कह कर बनवाया बेहतरीन संगीत

फिल्म 'परिंदा' की सफलता के बाद विधु ने अपनी अगली फिल्म '1942:ए लव स्टोरी' पर काम शुरू कर दिया था। उस दौर में म्यूजिक कंपोजर आर.डी. बर्मन का फिल्मी करियर खत्म हो चुका था। अपनी इस फिल्म का म्यूजिक कंपोज कराने विधु, पंचम दा के पास गए। हालांकि लोगों ने उन्हें कहा कि पंचम दा का दौर अब खत्म हो गया है उनके गानों की बाजार में अच्छी कीमत नहीं मिलेगी। बावजूद इसके विधु नहीं माने और पंचम दा के पास पहुंच गए। 

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पंचम दा ने फिल्म के लिए पहली धुन बनाई और उसे विधु को सुनाया। जो धुन पंचम दा ने विधु को सुनाई वो काफी पुराने टोटके के साथ थी, जिसपर विधु ने झट से कहा कि 'ये सब कचरा है'। पंचम दा ने दो बार और कोशिश की लेकिन कोई खास नतीजा नहीं निकाल पाए। उन्हें लगा अब ये फिल्म गई हाथ से। उन्होंने विधु से कहा कि 'क्या वो उन्हें एक हफ्ता दे सकते हैं?' 

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पंचम दा की इस बात पर उन्हें गले लगाते हुए विधु ने कहा 'दादा, मैं आपको एक हफ्ता नहीं दूंगा, मैं आपको एक साल दूंगा। बस प्लीज वो संगीत दीजिए जिसकी इस फिल्म को जरुरत है'। विधु की इस बात से पंचम दा बहुत भावुक हो गए और एक हफ्ते बाद लौटे तो उनके साथ 'कुछ न कहो' गाना था, जिसने अपने कमाल के म्यूजिक से जादू कर दिया था। इस फिल्म के म्यूजिक के लिए पंचम दा को उनका आखिरी फिल्मफेयर अवॉर्ड फॉर बेस्ट म्यूजिक डायरेक्टर भी मिला। 

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