Sunday, Oct 01, 2023
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हरियाणा विधानसभा ने की चंडीगढ़ को लेकर पंजाब की AAP सरकार के कदम की निंदा

  • Updated on 4/5/2022

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। हरियाणा विधानसभा ने सतलुज-यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर के निर्माण को पूरा करने और पंजाब से हिंदी भाषी क्षेत्रों को स्थानांतरित करने की मांग करते हुए मंगलवार को एक प्रस्ताव पारित किया। विधानसभा ने इसके साथ ही चंडीगढ़ पर दावा करने के लिए पड़ोसी राज्य पंजाब की निंदा की। पंजाब विधानसभा द्वारा चंडीगढ़ को तत्काल राज्य को स्थानांतरित करने के लिए एक प्रस्ताव पारित करने के कुछ दिनों बाद हरियाणा विधानसभा का एक दिवसीय सत्र बुलाया गया। 

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हरियाणा सरकार के प्रस्ताव में कहा गया है, ‘‘यह सदन पंजाब विधानसभा में एक अप्रैल 2022 को पारित प्रस्ताव पर चिंता व्यक्त करता है, जिसमें सिफारिश की गई है कि चंडीगढ़ को पंजाब में स्थानांतरित करने के मामले को केंद्र सरकार के समक्ष उठाया जाए।’’ इसमें कहा गया है, ‘‘यह हरियाणा के लोगों को स्वीकार्य नहीं है। हरियाणा ने चंडीगढ़ पर अपना अधिकार बरकरार रखा है।’’ केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ पंजाब और हरियाणा की साझा राजधानी है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव को तीन घंटे की चर्चा के बाद सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया।  खट्टर ने सदन में उनकी सरकार द्वारा लाए गए प्रस्ताव का सर्वसम्मति से समर्थन करने के लिए प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक दलों के सदस्यों को धन्यवाद दिया। चर्चा में भाग लेते हुए, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पंजाब विधानसभा द्वारा पारित प्रस्ताव को खारिज कर दिया। 

हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता ने कहा, ‘‘पंजाब के प्रस्ताव का कोई मतलब नहीं है, यह केवल राजनीतिक नौटंकी है।’’ प्रस्ताव में केंद्र से आग्रह किया गया कि जब तक दोनों राज्यों के बीच सभी मुद्दों का समाधान नहीं हो जाता, तब तक कोई भी ऐसा कदम नहीं उठाया जाए जिससे 'मौजूदा संतुलन’’ बिगड़े। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा हाल में की गई इस घोषणा के बाद एक राजनीतिक विवाद छिड़ गया था कि केंद्रीय सेवा नियम केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के कर्मचारियों पर लागू होंगे। प्रस्ताव में कहा गया है, ‘‘पूर्णकालिक सदस्यों की नियुक्ति के लिए केंद्र सरकार द्वारा बीबीएमबी (भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड) के नियमों में हालिया संशोधन पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 की भावना के खिलाफ है, जो नदी परियोजनाओं को पंजाब और हरियाणा की साझा संपत्ति मानता है।’’ 

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प्रस्ताव के मुताबिक, ‘‘इन परिस्थितियों में इस सदन ने केंद्र सरकार से आग्रह करने का संकल्प किया है कि वह ऐसा कोई कदम न उठाए, जो मौजूदा संतुलन को बिगाड़े और जब तक पंजाब के पुनर्गठन से उत्पन्न सभी मुद्दों का समाधान न हो जाए, तब तक सछ्वाव बनाए रखे।’’ प्रस्ताव में केंद्र सरकार से उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन में एसवाईएल नहर के निर्माण के लिए कदम उठाने का आग्रह किया गया। इसमें कहा गया है कि एसवाईएल नहर के निर्माण से रावी और ब्यास नदियों के पानी को साझा करने का हरियाणा का अधिकार Þऐतिहासिक, कानूनी, न्यायिक और संवैधानिक रूप से स्थापित है। प्रस्ताव में पंजाब के ङ्क्षहदी भाषी क्षेत्रों को हरियाणा में स्थानांतरित करने का मुद्दा फिर उठाया गया। 

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इसमें कहा गया है, ‘‘इंदिरा गांधी समझौता, राजीव-लोंगोवाल समझौता और वेंकटरमैया आयोग के जरिये उन हिंदी भाषी क्षेत्रों के संबंध में हरियाणा के दावे को स्वीकार कर लिया गया है जो पंजाब राज्य के क्षेत्र में आते हैं।’’ हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि चंडीगढ़ राज्य की राजधानी थी, है और हमेशा रहेगी। विपक्षी दल कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि इस मुद्दे पर यदि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और हरियाणा के राज्यपाल से मिल ने का फैसला किया जाता है तो उनकी पार्टी राज्य सरकार का समर्थन करेगी। हुड्डा ने कहा, Þहम हरियाणा के अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुट होकर लड़ेंगे।'कांग्रेस नेता रघुवीर सिंह कादियान ने कहा कि हरियाणा के लिए अपने अधिकारों के लिए ‘‘करो या मरो’’ की लड़ाई लडऩे का समय आ गया है। 

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हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि पंजाब का प्रस्ताव एक 'राजनीतिक संकल्प' था। उन्होंने दावा किया कि पड़ोसी राज्य श्रीलंका की तरह आॢथक संकट का सामना कर सकता है और वहां की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार केवल लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है।      उन्होंने कहा, ‘‘पंजाब की ‘आप’ सरकार अच्छी तरह जानती है कि चुनाव के दौरान उन्होंने जो बड़े-बड़े वादे किए थे, वे कभी पूरे नहीं हो सकते।’’      इंडियन नेशनल लोकदल के नेता अभय सिंह चौटाला ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली हरियाणा सरकार ने एसवाईएल नहर मुद्दे पर पर्याप्त प्रयास नहीं किए।

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