Saturday, Jun 03, 2023
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Hate speech: Jamiat Ulema E Hind filed petition for investigation under court surveillance rkdsnt

नफरती भाषण : कोर्ट निगरानी में जांच के लिए जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने दायर की याचिका

  • Updated on 12/31/2021

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दाखिल कर पैगंबर मोहम्मद के व्यक्तित्व पर कथित ‘लगातार हमलों’ और देश के विभिन्न हिस्सों में कुछ लोगों द्वारा मुस्लिमों की आस्था पर कथित हमलों से संबंधित घृणा अपराध के मामले में अदालत की निगरानी में जांच और अभियोजन का अनुरोध किया गया है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना सैयद महमूद असद मदनी के माध्यम से दाखिल याचिका में केंद्र को यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है कि नफरत वाले भाषणों, विशेष रूप से पैगंबर मोहम्मद की शख्सियत को निशाना बनाकर दिये गये बयानों के संबंध में विभिन्न राज्यों द्वारा की गयी कार्रवाई पर रिपोर्ट दी जाए। 

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अधिवक्ता एम आर शमशाद द्वारा दाखिल याचिका में देशभर में घृणा भाषणों से संबंधित अपराधों के सिलसिले में की गयीं समस्त शिकायतों को एक साथ शामिल करके स्वतंत्र जांच समिति गठित करने का निर्देश जारी करने का भी अनुरोध किया गया है। याचिका में कहा गया, ‘‘पैगंबर मोहम्मद का अपमान इस्लाम की पूरी बुनियाद पर ही हमला करने के समान है और इस तरह यह अत्यंत गंभीर प्रकृति का है क्योंकि इसके नतीजतन न केवल मुस्लिम समुदाय के लोगों पर निशाना साधा जाता है, बल्कि उनकी आस्था की बुनियाद पर भी हमला किया जाता है।’’ 

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इसमें कहा गया कि ऐसे भाषण किसी अन्य की आस्था की आलोचना की स्वीकार्य सीमा से परे जाकर दिये जा रहे हैं और निश्चित रूप से धार्मिक असहिष्णुता को भड़का सकते हैं। याचिका के अनुसार राज्य और केंद्र के अधिकारियों को इन्हें विचारों तथा धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता के संदर्भ में असंगत मानना चाहिए और समुचित प्रतिबंधात्मक कदम उठाने चाहिए। संगठन ने कहा कि उसने काफी समय तक इंतजार करने और शासकीय अधिकारियों को उचित कदम उठाने के लिए पर्याप्त वक्त देने के बाद यह याचिका दायर की है।  

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हाल में 76 वकीलों ने प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि दिल्ली और हरिद्वार में आयोजित अलग-अलग समारोहों में कथित रूप से दिये गये नफरत भरे भाषणों का स्वत: संज्ञान लिया जाए। उन्होंने पत्र में आरोप लगाया है कि आयोजनों में दिये गये भाषण न केवल नफरत भरे थे, बल्कि ‘‘एक पूरे समुदाय की हत्या का खुला आह्वान’’ भी थे। पत्र के अनुसार, ‘‘ये भाषण न केवल हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए गंभीर खतरा हैं, बल्कि लाखों मुस्लिम नागरिकों के लिए भी खतरा पैदा करते हैं।’’ वकीलों ने कहा कि इस तरह के भाषण पहले भी सुनने में आते रहे हैं और इसलिए इस तरह के आयोजनों को रोकने के लिए तत्काल न्यायिक हस्तक्षेप जरूरी है। पत्र में वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद, दुष्यंत दवे और मीनाक्षी अरोड़ा समेत अन्य वकीलों के दस्तखत हैं। 

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