नई दिल्ली/टीम डिजिटल। उत्तरप्रदेश (Uttar Pradesh) के हाथरस (Hathras) में एक युवती के साथ हुए गैंगरेप और हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि इस केस की निगरानी इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) को करने को दी जाएगी। कोर्ट के इस आदेश के बाद पीड़िता के भाई ने एक बार फिर इस केस को दिल्ली शिफ्ट करने की मांग की है।
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केस को दिल्ली शिफ्ट करने की मांग हाथरस पीड़िता के भाई ने शुक्रवार को कहा, 'हम चाहतें हैं कि केस को दिल्ली शिफ्ट कर दिया जाए। सरकार को हमारी मदद करनी चाहिए, हम उन्हीं पर निर्भर हैं। हम बस यही चाहते हैं कि जहां भी रहें, सुरक्षित रहें।'
The family wants the case to be shifted to Delhi, we also want to shift there. The governemnt should help us in this regard, we are dependent on them. We just want to be safe wherever we are: Brother of #HathrasIncident victim pic.twitter.com/HtL8xfa3cs — ANI UP (@ANINewsUP) October 16, 2020
The family wants the case to be shifted to Delhi, we also want to shift there. The governemnt should help us in this regard, we are dependent on them. We just want to be safe wherever we are: Brother of #HathrasIncident victim pic.twitter.com/HtL8xfa3cs
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परिवार चाहता है दिल्ली में हो ट्रायल इससे पहले गुरुवार को सुप्रीट कोर्ट में पीड़ित परिवार की तरह से कहा गया था कि वह केस का ट्रायल दिल्ली में कराना चाहते हैं। पीड़ित परिवार की तरफ से उनका पक्ष वकील सीमा कुशवाह (Seema Kushwah) ने रखा। उनका कहना था कि यहां पीड़ित परिवार को अपनी जान का खतरा है वहीं दूसरा तरफ वकील का कहना था कि सीबीआई इस मामले की जांच करके सीधे रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में जमा करे।
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कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने वकील और अन्य पक्षों की बात सुनकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुप्रीम कोर्ट में वकील इंदिरा जयसिंह ने भी कहा कि परिवार को केंद्रीय एजेंसी से सुरक्षा मिलनी चाहिए। कोर्ट का कहना है कि हमने पीड़ित, सरकार और आरोपी सभी की बात सुन ली है और फैसला सुरक्षित रख लिया है।
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पीठ ने कहा ये पीठ से कहा गया कि उत्तर प्रदेश में निष्पक्ष सुनवाई संभव नहीं है क्योंकि पहले ही जांच कथित रूप से चौपट कर दी गई है। पीठ ने इस आशंका को दूर करते हुए कहा, 'उच्च न्यायालय को इसे देखने दिया जाये। अगर कोई समस्या होगी तो हम यहां पर हैं ही।' इस मामले में सुनवाई के दौरान सालिसीटर जनरल तुषार मेहता, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे, इन्दिरा जयसिंह और सिद्धार्थ लूथरा सहित अनेक वकील विभिन्न पक्षों की ओर से मौजूद थे। इस मामले में कई अन्य वकील भी बहस करना चाहते थे लेकिन पीठ ने कहा, 'हमे पूरी दुनिया की मदद की आवश्कता नहीं है।'
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सुरक्षा पर उठ रहे सवाल सुनवाई के दौरान पीड़ित की पहचान उजागर नहीं करने से लेकर उसके परिवार के सदस्यों और गवाहों को पूरी सुरक्षा और संरक्षण जैसे मुद्दों पर बहस हुई। पीड़ित के परिवार के वकील ने इस मामले की सुनवाई उप्र से बाहर राष्ट्रीय राजधानी की अदालत में स्थानांतरित करने की मांग की। वरिष्ठ अधिवक्ता इन्दिरा जयसिंह ने भी इस मामले की उप्र में निष्पक्ष सुनवाई को लेकर अपनी आशंका व्यक्त की और गवाहों के संरक्षण का मुद्दा उठाया। इससे पहले, सुनवाई शुरू होते ही सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने उप्र सरकार द्वारा दाखिल हलफनामे का जिक्र किया जिसमे पीड़ित के परिवार और गवाहों को प्रदान की गयी सुरक्षा और संरक्षण का विवरण दिया गया था।
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आरोपियों की कस्टडी मांग सकती है पुलिस मिली जानकारी के मुताबिक सीबीआई मामले में अब आरोपियों की कस्टड़ी मांग सकती है। ऐसा करने के लिए उसे मथुरा कोर्ट में याचिका दायर कर सभी आरोपियों की कस्टडी की मांग करनी होगी। पॉलीग्राफ टेस्ट हो सकता है जिसके लिए कोर्ट से इजाजत लेनी पड़ सकती है।
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क्या है मामला? हाथरस के एक गांव में 14 सितंबर को 19 वर्षीय दलित लड़की से अगड़ी जाति के चार लड़कों ने कथित रूप से बलात्कार किया था। इस लड़की की 29 सितंबर को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान मृत्यु हो गयी थी। पीड़ित की 30 सितंबर को रात के अंधेरे में उसके घर के पास ही अंत्येष्टि कर दी गयी थी। उसके परिवार का आरोप है कि स्थानीय पुलिस ने जल्द से जल्द उसका अंतिम संस्कार करने के लिये मजबूर किया। स्थानीय पुलिस अधिकारियों का कहना था कि परिवार की इच्छा के मुताबिक ही अंतिम संस्कार किया गया।
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