नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में अयोध्या (Ayodhya) के विवादित ढांचा विध्वंस मामले में लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी समेत सभी 32 दोषियों को बरी किए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई दो हफ्ते के लिए टल गई।
याचिकाकर्ताओं ने अदालत से कहा कि उन्हें अपनी याचिका में कुछ खामियों को दूर करने के लिये कुछ और समय चाहिए। यह याचिका न्यायमूर्ति राकेश श्रीवास्तव की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध थी। न्यायमूर्मित ने मामले को सुनवाई के लिए दो सप्ताह बाद सूचीबद्ध करने के निर्देश दिये हैं। यह याचिका आठ जनवरी को अयोध्या निवासी हाजी महबूब अहमद और सैयद अखलाक अहमद की ओर से दाखिल की गई थी।
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लखनऊ बेंच में हुई सुनवाई याचिका पर सुनवाई हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ द्वारा की गई। दो अयोध्या निवासियों की ओर से अधिवक्ता व ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कार्यकारी सदस्य जफरयाब जिलानी द्वारा दायर याचिका को मंगलवार को न्यायमूर्ति राकेश श्रीवास्तव की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया। जिलानी बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक भी हैं। जिलानी ने कहा कि उन्हें अदालत का रुख इसलिए करना पड़ा क्योंकि पिछले साल आए इस मामले में फैसले के खिलाफ सीबीआई ने अब तक अपील दाखिल नहीं की है।
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30 सितंबर को CBI ने सुनाया था फैसला याचिका में विवादित ढांचा विध्वंस मामले के 30 सितम्बर 2020 के सीबीआई अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी, तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी , उमा भारती, विनय कटियार सहित सभी 32 अभियुक्तों को बरी करने के विशेष अदालत के फैसले को गलत व तथ्यों के विपरीत बताया गया है। पुनरीक्षण याचिका में अयोध्या निवासी दोनों याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि याचीगण इस मामले में गवाह होने के साथ-साथ विवादित ढांचा विध्वंस की घटना के पीड़ित भी हैं।
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'कार सेवकों' ने ढहा दिया था बाबरी मस्जिद याचिका में सभी 32 अभियुक्तों को दोषी करार दिये जाने की मांग की गई है। बाबरी मस्जिद को 6 दिसंबर 1992 को 'कार सेवकों' ने ढहा दिया था। इस मामले में 30 सितम्बर 2020 को सीबीआई की विशेष अदालत ने लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, साक्षी महाराज, लल्लू सिंह, बृजभूषण शरण सिंह व महंत नृत्य गोपाल दास समेत सभी जीवित 32 अभियुक्तों को बरी कर दिया था।
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फैसले के खिलाफ पुनरीक्षण याचिका दाखिल बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में लखनऊ की केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की विशेष अदालत के फैसले के खिलाफ शुक्रवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंड पीठ में एक पुनरीक्षण याचिका दाखिल की गई। विशेष सीबीआई अदालत ने अपने फैसले में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती सहित सभी 32 आरोपियों को मस्जिद के विध्वंस में शामिल होने के आरोपों से बरी कर दिया था।
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AIMPLB ने की याचिका दाखिल ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से अयोध्या निवासी हाजी महबूब और हाजी सैय्यद अखलाक अहमद ने यह याचिका दाखिल की है। याचिका में कहा गया कि सीबीआई विशेष अदालत द्वारा आरोपियों को बरी किए जाने के विशेष अदालत के फैसले को याचिकाकर्ताओं ने चुनौती देने का फैसला किया है।
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आडवाणी-जोशी समेत 32 को CBI कोर्ट ने किया था बरी विशेष अदालत ने पिछले साल भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती सहित सभी 32 आरोपियों को मस्जिद के विध्वंस में शामिल होने के आरोपों से बरी कर दिया था। अदालत ने अपने फैसले में 32 आरोपियों के खिलाफ कोई सुबूत न होने का हवाला देते हुए उन्हें बरी किया था।
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