नई दिल्ली/टीम डिजिटल। दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के विधि पाठ्यक्रम के मध्यवर्ती सेमेस्टर के लिए ऑनलाइन ‘ओपन बुक’ परीक्षा आयोजित करने के फैसले में हस्तक्षेप करने से सोमवार को इनकार कर दिया और कहा कि वह छात्रों को एक पेशेवर पाठ्यक्रम की परीक्षा की शर्तों को निर्धारित करने की अनुमति नहीं देगा। पिछले साल कोविड-19 के कारण इस परीक्षा का आयोजन नहीं हो सका था।
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जस्टिस प्रतीक जालान की पीठ ने दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि संकाय के द्वितीय और अंतिम वर्ष के छात्रों की चार याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा, ‘‘मैं छात्रों को एक पेशेवर पाठ्यक्रम की परीक्षा की शर्तों को निर्धारित करने की अनुमति नहीं दूंगा।’’ अदालत ने विश्वविद्यालय को इसके बजाए असाइनमेंट आधारित परीक्षा आयोजित करने का निर्देश देने से इनकार कर दिया।
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पीठ ने कहा, ‘‘अदालत विश्वविद्यालय को असाइनमेंट आधारित परीक्षा आयोजित करने के लिए अनिवार्य निर्देश नहीं दे सकता...यह ऐसा मामला है जिस पर विचार करने के लिए विश्वविद्यालय अधिकृत है। विश्वविद्यालय के नीतिगत निर्णय में अदालत द्वारा हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता।’’ हालांकि, पीठ ने विश्वविद्यालय से कहा कि परीक्षाओं के परिणाम जल्द से जल्द घोषणा की जाए। विधि संकाय की डीन प्रोफेसर वंदना ने अदालत को बताया कि परीक्षा जुलाई में ही आयोजित होने की संभावना है और पहले दौर में हिस्सा नहीं ले पाने वाले छात्रों के लिए सितंबर में फिर से परीक्षा इसका आयोजन किया जाएगा।
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डीयू की तरफ से पेश वकील सीमा डोलो ने कहा कि जैसा कि ‘बार काउंसिल ऑफ इंडिया’ की सिफारिश है, परीक्षा का तरीका चाहे ऑनलाइन, ऑफलाइन, मिश्रित या असाइनमेंट आधारित हो, इसे संबंधित संस्थान के विवेक पर छोड़ दिया जाए। अंतिम वर्ष के विधि के छात्र की तरफ से पेश अधिवक्ता सिद्धार्थ सीम ने दलील दी कि पिछले साल के मध्यवर्ती सेमेस्टर दो और चार के लिए ऑनलाइन ‘ओपन बुक’ परीक्षा छात्रों के हित में नहीं है।
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अदालत ने प्रोफेसर वंदना के इस आश्वासन को रिकॉर्ड में दर्ज किया कि जहां तक संभव होगा प्रवेश परीक्षाओं की तारीखों को ध्यान में रखकर कार्यक्रम तय किए जाएंगे। पीठ ने कहा कि जो छात्र जुलाई में परीक्षा नहीं दे सकते, वे सितंबर में परीक्षा में बैठ सकते हैं। अदालत ने इसके साथ ही चारों याचिकाओं का निपटारा कर दिया।
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